BJP का आपरेशन महाराष्ट्र - क्या दोहराया जायेगा बिहार फार्मूला

लखनऊ। सुशांत राजपूत की संदिग्ध आत्महत्या के बाद से ही महामात्य चाणक्य वाली रणनीति महाराष्ट्र में चल रही है। महानंद के अडिग निष्ठा वाले सेवक महामात्य राक्षस को राजा चन्द्रगुप्त की सेवा में कैसे लाया जाए, इसके लिए ही बालीवुड के सितारों को गर्दिश के दिन देखने पड़े हैं। इस मिशन का टारगेट मातोश्री ही है, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है। इसीलिए पिछले दिनों शिवसेना के नम्बर दो नेता संजय राउत की भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया। हालांकि इस मुलाकात को सामना में छपे एक आलेख के सिलसिले से जोड़ा गया लेकिन संजय राउत ने जब देवेंद्र फडणवीस से कहा कि हम कोई दुश्मन नहीं हैं, तब ये कयास लगाए जाने लगे कि क्या महाराष्ट्र में भी बिहार की कहानी दोहराई जाने वाली है? इस अटकल को उस समय और बल मिला जब एनसीपी नेता शरद पवार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिले। इससे पहले एनडीए से अकाली दल के अलग होने पर संजय राउत ने कहा था कि यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने कहा था कि शिवसेना और अकाली दल के बिना एनडीए अपूर्ण है। ये दोनों उसके मजबूत स्तंभ थे। इसी के बाद कांग्रेस ने भी शिवसेना की कार्यशैली पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
कृषि विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा से किनारा किया तो मन की बात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इशारों-संकेतों में कह दिया कि कृषि को बंदिशों से आजादी मिली। दर असल पंजाब में जब भाजपा के साथी प्रकाश सिंह बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल (बादल ) पहले नम्बर से खिसक कर तीसरे नम्बर पर चली गयी तो वो भाजपा के लिए लगभग अनुपयोगी हो गयी है। भाजपा उससे खुद पीछा छुड़ाना चाहती थी। कृषि विधेयकों ने उसका काम आसान कर दिया। इसीलिए कुनबे में कमी की प्रतिपूर्ति महाराष्ट्र से करने का रास्ता बनाया जा रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस इसीलिए चौकन्ना हो गये हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने 27 सितम्बर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। ये मुलाकात राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना सांसद संजय राउत की बैठक के एक दिन बाद हुई है। फडणवीस और राउत की इस मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। सूत्रों ने कहा कि पवार, ठाकरे से उनके आधिकारिक निवास पर मिले और यह मुलाकात करीब 40 मिनट तक चली। बैठक के दौरान क्या हुआ, तुरंत पता नहीं चल सका लेकिन संजय राउत के बयान और भाजपा के प्रति हमदर्दी उसी प्रकार की है जैसी बिहार में महागठबंधन सरकार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार दिखा रहे थे। नीतीश कुमार को भी लालू यादव उसी तरह भारी लगने लगे थे, जैसे उद्धव ठाकरे को राहुल गांधी। राहुल गाँधी के बयानों को लेकर कई बार शिवसेना को असहज होना पड़ा है। उस समय भी शरद पवार ने ही मामले को सुलझाया था। अब मामला गंभीर होता जा रहा है। संजय राउत की रणनीति से सरकार के साथी आशंकित दिख रहे हैं। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने तो बहुत कुछ खुलकर कह दिया है। फडणवीस और राउत गत दिनों मुंबई के एक होटल में मिले थे हालांकि उनकी बैठक से कई तरह की अटकलें लगाई गईं। फडणवीस ने इसके बाद कहा कि भाजपा का शिवसेना के साथ हाथ मिलाने या उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को गिराने का कोई इरादा नहीं है। फडणवीस ने यह भी कहा कि बैठक शिवसेना के मुखपत्र सामना के लिए एक साक्षात्कार से संबंधित थी। फडणवीस ने बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए दावा किया कि राज्य के लोग शिवसेना नीत 'महाराष्ट्र विकास आघाडी' सरकार के कामकाज से नाखुश हैं और यह अपनी अकर्मण्यता के चलते गिर जाएगी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि शिवसेना सांसद संजय राउत से उनकी मुलाकात हुई, जिसने राजनीतिक गलियारों में अटकलों को हवा दे दी, जबकि यह मुलाकात शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के लिए एक साक्षात्कार के सिलसिले में थी और राज्य में कोविड-19 के चलते लाकडाउन और अनलाक मुद्दों पर बात हुई लेकिन संजय राउत के इस बयान ने लोगो के कान जरूर खड़े कर दिये कि हम लोग अर्थात भाजपा और शिवसेना कोई दुश्मन नहीं हैं। गौरतलब है कि पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे को लेकर शिवसेना ने भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया था। इसके बाद उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने राज्य में गठबंधन सरकार बनाने के लिये राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया था। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता फडणवीस ने कहा, शिवसेना से हाथ मिलाने या (राज्य में) सरकार गिराने का हमारा कोई इरादा नहीं है. जब यह खुद-ब-खुद गिरेगी, तब हम देखेंगे। बिहार में यही हुआ था। फडणवीस कहते हैं कि राउत के साथ उनकी मुलाकात के कोई राजनीतिक निहितार्थ नहीं हैं।
इसके बावजूद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता संजय राउत की मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है। देवेंद्र फडणवीस का इस तरह संजय राउत से मिलना अब कांग्रेस को भी खटकने लगा है। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने इस मुलाकात पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये मुलाकात शिवसेना का राजनीतिक व्यभिचार है। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा किसान बिल का संसद में कांग्रेस और एनसीपी ने विरोध किया, जबकि राज्य के मुख्य मंत्री और शिवसेना के नेता उसका समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात को लेकर चल रही अटकलों पर संजय राउत ने कहा है कि वे हमारे दुश्मन नहीं हैं। हम लोगों ने सरकार में साथ काम किया है। हमारी मुलाकात सामना को लेकर हुई थी। देवेंद्र फडणवीस से मेरी मुलाकात के बारे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पहले से जानकारी है। हम लोगों के बीच विचारधारा का अंतर हो सकता है, लेकिन हम एक दूसरे के दुश्मन नहीं है।कांग्रेस नेता संजय निरुपम कहते हैं कि शिवसेना की भूमिका हमेशा से ही भ्रमित करने वाली होती है। मेरा कहना है कि कांग्रेस ने अपने विचार, धर्म, व्यवहार सब कुछ छोड़कर सत्ता में भागीदार बनने के लिए जिसके साथ भागीदारी की है, वो शिवसेना कभी भी धोखा दे सकती है। महाराष्ट्र सरकार के घटकदलों में आशंका के बादल घनघोर होते जा रहे हैं। भाजपा इसका फायदा उठा सकती है।
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)