हिंसक होता असम-मेघालय सीमा विवाद

हिंसक होता असम-मेघालय सीमा विवाद

लखनऊ। पूर्वोत्तर भारत के दोनों संवेदनशील राज्य असम और मेघालय के बीच सीमा का विवाद सुलझाने में अब कोई बड़ी समस्या नहीं होनी चाहिए क्योंकि दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार है और केन्द्र में भी भाजपा ही सत्तारूढ़ है। इस प्रकार राजनीतिक बाधा नहीं है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृहमंत्री से शिकायत की है कि असम के वनकर्मी और पुलिस वाले मेघालय में घुसे, बिना किसी कारण के गोलीबारी की। उधर, असम पुलिस का कहना है कि उसके वनों से तस्करी करके लकड़ी मेघालय ले जायी जा रही थी। असम और मेघालय के बीच सीमा को लेकर विवाद चल रहा है और इसी के चलते पहले भी कई नागरिक मारे जा चुके हैं। इस ताजा घटनाक्रम में भी असम पुलिस और मेघालय की जनता के बीच संघर्ष में 6 लोग मारे गये। पांच लोग मेघालय के निवासी बताये गये जबकि असम का एक वनकर्मी भी शहीद हो गया है। आगजनी भी हुई जिसमें एक कार जल गयी। सीमा विवाद लगातार हिंसक होता जा रहा है। इसको शीघ्रातिशीघ्र सुलझाने की जरूरत है। इस मामले को लेकर विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस ने राजनीति शुरू कर दी है जो आग में घी का काम कर सकती है। गृहमंत्री अमित शाह ने इसी साल मार्च के अंत में समझौता कराया था, उसका बेहतर नतीजा क्यों नहीं सामने आ रहा है।

शिलांग के पश्चिम जयंतिया हिल्स में असम-मेघालय सीमा विवाद को लेकर हुई झड़प के कुछ घंटे बाद असम की एक एसयूवी को मेघालय की राजधानी शिलांग में अज्ञात लोगों ने आग लगा दी। दमकल विभाग ने आग पर काबू पाया, जिससे एसयूवी पूरी तरह से जल गई, लेकिन किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। वेस्ट कार्बी आंगलोग जिले में असम-मेघालय सीमा पर कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को 22 नवम्बर तड़के असम के वनकर्मियों द्वारा रोकने के बाद भड़की हिंसा में एक वन कर्मी सहित छह लोगों की मौत हो गई। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को टैग करते हुए एक ट्वीट में शिकायत की है कि असम पुलिस और वनकर्मी मेघालय में घुसे और बिना उकसावे के गोलीबारी करनी शुरू कर दी। संगमा की पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी पार्टी है। हालांकि, असम पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि ट्रक को राज्य के वेस्ट कार्बी आंगलोंग जिले में राज्य के वन विभाग की टीम ने रोका तो मेघालय की तरफ से लोगों की भीड़ ने इस टीम और पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया, जिसके कारण असम की ओर से हालात पर काबू पाने के लिए गोली चलाई गई। संगमा ने कहा, ''पश्चिमी जैंतिया हिल्स जिले के मुकरोह गांव में मारे गये छह लोगों में से पांच लोग मेघालय के निवासी हैं, जबकि असम के एक वनकर्मी की मौत हुई है। इसके विपरीत असम पुलिस ने एक वन कर्मी समेत मृतकों की संख्या केवल चार बताई है।

संगमा ने ट्वीट किया, ''मेघालय सरकार इस घटना की कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है जिसके तहत असम पुलिस और असम के वनकर्मियों ने मेघालय में घुसकर बिना उकसावे के गोलीबारी की। मेघालय सरकार न्याय दिलाने के लिए सभी कदम उठायेगी। इस अमानवीय कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस बीच विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया, मेघालय के मुक्रोह में हुई अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण गोलीबारी की घटना से मैं स्तब्ध और अत्यंत दुखी हूं, जिसमें असम के 5 निर्दोष नागरिकों और एक वन रक्षक की जान चली गई। इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके परिवारों के साथ हैं। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद अभिषेक बनर्जी ने लिखा, कोनराड संगमा और हिमंत विश्व शर्मा कब तक सीएम रहेंगे। मेघालय को हल्के में लेना? मेघालय के लोग कब तक भय और असुरक्षा में जिएं? यह अन्याय कब तक चलेगा? आज की घटना सरकार की अक्षमता को उजागर करती है, अपने ही लोगों को विफल कर रही है। इस प्रकार की राजनीति उचित नहीं है।

असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद सुलाझाने के लिए दोनों राज्यों के बीच इसी साल मार्च में ऐतिहासिक समझौता हुआ था। पांच दशकों से लंबित असम मेघालय सीमा समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम के मुख्यमंत्री डा हिमंत विश्व शर्मा तथा मेघालय के मुख्यमंत्री करनाड संगमा ने छह स्थानों पर सीमा विवाद सुलझाने के लिए समझौता पर हस्ताक्षर किया था।

इन दो राज्यों के बीच कुल बारह स्थानों पर सीमा को लेकर विवाद है। मेघालय के मुख्यमंत्री ने इस बात को समझा कि व्यवहारिक पहल से सीमा क्षेत्र में बार-बार होने वाले तनाव को सुलझाया जा सकता है। नगालैंड के साथ असम का सीमा विवाद लंबे समय से उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। सीमा पर तनाव रहने की वजह से दो पड़ोसी राज्यों के बीच भी अक्सर तनाव हो जाता है। असम-मिजोरम सीमा पर घटी घटना इस बात का प्रमाण थी, जिसमें असम पुलिस के छह जवान मारे गए थे ।यदि असम ने अपनी तरफ से संयम नहीं बरता होता तो असम-मिजोरम सीमा पर भारत-पाकिस्तान वाली स्थिति पैदा हो जाती।

पूर्वोत्तर के किसी भी राज्य में जमीन से जाने के लिए असम से गुजरना होता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से डा हिमंत विश्व शर्मा ने असम से सटे राज्यों के साथ आपसी बातचीत से सीमा समस्या का समाधान करने का प्रयास आरंभ किया है। उस दिशा में असम और मेघालय के बीच का प्रयास एक निश्चित मुकाम तक पहुंच गया लगता था। असम-मेघालय के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक साथ पूरे विवाद को सुलझाने की जगह कोशिश यह की गई कि एक-एक जगह का विवाद निपटाया जाए। पहले छह स्थानों के लिए आपसी सहमति बनी, फिर उस पर केंद्र सरकार की सहमति से समझौते का रूप दिया गया। भारतीय सर्वेक्षण ब्यूरो नए सिरे से सीमांकन करके उसे अमली रूप देगा, यानी अब छह स्थानों पर कोई सीमा विवाद नहीें होगा। केंद्र ने भी साफ कर दिया है कि यदि राज्यों के बीच आपसी सहमति से समाधान हो जाता है तो एक अच्छी बात है। यह तो साफ है कि सीमा विवाद को निपटाने के लिए 'लेना और देना' की नीति पर चलना होगा। कुछ हिस्से मेघालय को देना होगा और कुछ मेघालय को असम के लिए छोड़ना होगा। कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर कोई आबादी नहीं है। कुछ एकड़ खाली जमीन हैं। कहीं पर मात्र एक मैदान को लेकर विवाद है। सीमा विवाद सुमझाने के लिए जमीनी हकीकत को जानना जरूरी है। इसके लिए दोनों राज्यों ने मंत्री स्तरीय तीन समितियों का गठन कर दिया था।

असम कैबिनेट ने पहले चरण में 36.79 वर्ग किलोमीटर विवादित क्षेत्र को सुलझाने का फैसला लिया है, जिसमें से असम को 18.51 वर्ग किलोमीटर और मेघालय को 18.28 किलोमीटर देने पर सहमति बनी है। असम से काटकर 1972 में मेघालय और मिजोरम का गठन किया गया था। (हिफी)

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