राजनीती में चला एक और सवाल, विधायको के पास इतने पैंसे आये कहा से?

राजनीती में चला एक और सवाल, विधायको के पास इतने पैंसे आये कहा से?

लखनऊ। गैर-भाजपा शासित झारखंड में बीते दिनों कांग्रेस के तीन विधायकों की गिरफ्तारी से सियासी कानाफूसी स्वाभाविक है। पश्चिम बंगाल में पार्थ चटर्जी कांड को लेकर बुरी तरह घिरी ममता बनर्जी ने भी इस मामले को हाथो हाथ लिया और कहने लगी ईडी इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती? मामला पेंचीदा है। कांग्रेस के तीन विधायकों को इतना रुपया किसने दिया? और क्यों दिया? क्या झारखंड सरकार को गिराने की सचमुच कोशिश की जा रही थी? हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कई सवालों का बेबाकी से जवाब देते हुए यही प्रमाणित किया कि भाजपा की तरफ से हेमंत सोरेन की सरकार को गिराने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। उधर, राजनीतिक पंडित कह रहे हैं कि यदि दो-तिहाई कांग्रेसी समूह बनाकर भाजपा के साथ सदन में पेश अनुपूरक बजट के दौरान क्रास वोटिंग कर देते तो सरकार अल्पमत में आ सकती थी। कांग्रेस ने तीनों विधायकों को निलंबित किया और झामुमो की सरकार बच गयी। सरकार गिरने का खतरा फिलहाल टल गया लेकिन बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी? कांग्रेस के तीनों विधायकों के पास पैसा कहां से आया, इसका स्रोत बताने में वे असफल रहे हैं। संदेह का कारण भी यही है।

राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड में यूपीए की ओर से दस क्रॉस वोट डाले जाने के बाद से ही सूबे की राजनीति में बड़े फेरबदल की चर्चा होने लगी थी। कांग्रेसी विधायकों के टूटने की आशंकाओं से जुड़ी खबरों को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय रांची पहुंचे थे। दूसरी ओर कांग्रेस के एक-एक विधायक पर कड़ी निगरानी रखी जाने लगी। राजनीति के क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि जिस प्रकार सरकार गिराने की साजिश की बात कही जा रही है, उस हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस के तीन विधायकों के पकड़े जाने के बाद सरकार गिरने का खतरा फिलहाल टल गया है। जानकारों का कहना है कि यदि दो तिहाई कांग्रेसी समूह बनाकर भाजपा के साथ सदन में पेश अनुपूरक बजट के दौरान क्रॉस वोटिंग कर देते तो सरकार अल्पमत में आ सकती थी, लेकिन कांग्रेस की सख्ती और तीन विधायकों की गिरफ्तारी के बाद इसकी आशंका टल गई है। सरकार से फिलहाल खतरा टल गया है। जानकार इसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सक्रियता का परिणाम भी मान रहे हैं। गठबंधन दलों कांग्रेस व झामुमो ने दावा किया है कि हेमंत सरकार पर कोई संकट नहीं है, यह अपना कार्यकाल पूरा करेगी। भारी मात्रा में नकदी के साथ धरे गए कांग्रेस के तीनों विधायकों डॉ इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप को 31 जुलाई को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके साथ रहे दो अन्य को भी गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां 10 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। इधर, पार्टी ने तीनों विधायकों को निलंबित कर दिया है।

ऐसी परिस्थिति में एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि इस प्रकार निलंबित किये जाने से क्या कांग्रेस विधायक दल की सदस्य संख्या पर विधानसभा के अंदर कोई प्रभाव पड़ेगा अथवा नहीं। साथ ही दलबदल अधिनियम पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि जी विश्वनाथन बनाम तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि निलंबित अथवा बर्खास्त किये जाने पर भी पार्टी का व्हीप निष्कासित किये गये विधायकों पर लागू होगा। ऐसी परिस्थति में निष्कासन के बावजूद भी किसी अन्य पार्टी में विलय के लिये आवश्यक सदस्य संख्या पूर्ववत रहेगी। ऐसी परिस्थिति में सदन की कार्यवाही में उनके भाग लेने की संभावना नहीं के बराबर है। कांग्रेस के 17 विधायक हैं। अविनाश पांडेय ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग पर एक-एक विधायकों से अलग-अलग बात कर उनसे जवाब-तलब किया। वह विधायकों के साथ बैठक कर रहे थे, तभी उन्हें तीन विधायकों के असम जाने की जानकारी मिली। उनकी बात मोबाइल पर कोलेबिरा विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी से हुई। विधायक ने बताया कि वह कोलकाता आये हुये हैं। थोड़ी देर बाद शाम को अविनाश पांडेय ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी तो दूसरी ओर कांग्रेस के तीन विधायकों को कैश के साथ पकड़े जाने की खबरें आने लगीं।पार्टी के एक विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह ने रांची के अरगोड़ा थाना में तीनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी। तीनों विधायकों को करीब 49 लाख की नकदी के साथ हिरासत में लिया गया था। पूछताछ में तीनों बरामद राशि का स्रोत नहीं बता सके। राशि कहां से आई, किस लिए आयी, इसमें तीनों के अलग-अलग बयान की बात सामने आयी। इसके बाद तीनों को गिरफ्तार गया।

झारखंड कांग्रेस के तीन विधायकों की नकदी के साथ गिरफ्तारी के बाद भाजपा पर एक बार फिर हेमंत सरकार को अस्थिर करने के आरोप लगाये जा रहे हैं। पहले भी सत्ता पक्ष केंद्रीय एजेंसियों के जरिए राज्य सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगता रहा है। पूरे प्रकरण पर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ऐसे अनर्गल आरोपों का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सिर्फ आरोप लगाती है। एफआईआर करती है तो जांच कर कार्रवाई क्यों नहीं करती? उनसे पूछा गया कि क्या सरकार को अस्थिर करने में भाजपा की भूमिका है?

बाबूलाल ने कहा कई महीनों से इस तरह की बातें सत्ताधारी पार्टी की तरफ से सुनाई देती है। फल-सब्जी बेचने वालों को पुलिस ने जेल भेज दिया। लेकिन जांच नहीं कराई। पुलिस ने चार्जशीट तक दायर नहीं की। मैं तो चुनौती देता हूं। सरकार झामुमो की है। वह इन आरोपों की जांच क्यों नहीं कराती? सत्ताधारी दल के विधायकों में ही असंतोष है। इनके विधायक धमकी देते हैं, सीएम डरे हुए लगते हैं। पूरे मामले में झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी दो साल से हेमंत सरकार को गिराने की पटकथा लिखने में जुटी है। भाजपा नेता झारखंड की चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार को येन-केन प्रकारेण गिरा कर राज्य में सत्ता हासिल करने का षड़यंत्र रच रहे हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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