प्रदेश में बजी पंचायत चुनाव की दुंदुभी-आरक्षण की हुई घोषणा

प्रदेश में बजी पंचायत चुनाव की दुंदुभी-आरक्षण की हुई घोषणा

लखनऊ। प्रदेश में पंचायतों का आरक्षण जारी कर दिये जाने से पंचायत चुनाव का एक तरह से आगाज हो गया। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव ने आरक्षण जारी करते हुए कहा है कि पिछले 5 निर्वाचनों का संज्ञान लेते हुए रोटेशन जारी किया जायेगा।

वृहस्पतिवार को पंचायतों के आरक्षण का जारी करते हुए प्रदेश के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश के 826 ब्लॉक व 58194 ग्राम पंचायतों में वार्डों की संख्या का गठन हो चुका है। आरक्षण के लिए पिछले 5 निर्वाचनों के आरक्षण का संज्ञान लेते हुए रोटेशन प्रणाली से आरक्षण लागू किया जायेगा। उन्होंने बताया कि जो पद पहले कभी आरक्षित नही हुए है, उन्हें वरीयता दी जाएगी। अनुसूचित जाति और जनजाति, ओबीसी, महिला के क्रम में पिछले निर्वाचन को देखते हुए आरक्षण लागू किया जाएगा। उन्होेंने बताया कि शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुखों के पदों का आरक्षण जारी किया जाएगा। जनपर स्तर पर ग्राम पंचायतों का आरक्षण जारी किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश में सूबे के सभी जिलाधिकारियों से कहा गया है कि नियमावली के अनुसार, पंचायतों में आरक्षण चक्रानुक्रम रीति से ही होगा लेकिन जहां तक हो सके, पूर्ववर्ती निर्वाचनों अर्थात सामान्य निर्वाचन वर्ष 1995, 2000, 2010 और वर्ष 2015 में अनुसूचित जनजातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जनजातियों को आवंटित नहीं की जाएगी और अनुसूचित जातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जातियों को आवंटित नहीं की जाएंगी। इसी तरह पिछड़े वर्गों को आवंटित जिला पंचायतें पिछड़े वर्गों को आवंटित नहीं की जाएंगी। आरक्षण प्रक्रिया में अपनाया जाएगा।

पंचायत चुनाव में कोई भी पंचायत जातिगत आरक्षण से वंचित नहीं रहेगी। अब तक चक्रानुक्रम आरक्षण से ऐसी कई पंचायतें बची रह गईं, जिन्हें ना ओबीसी के लिए आरक्षित किया जा सका और ना ही अनुसूचित जाति के लिए। ऐसे में इस बार आरक्षण प्रक्रिया लागू करने के लिए चक्रानुक्रम के तहत नया फार्मूला अपनाया जाएगा। जारी किये गये आरक्षण फार्मूले की खास बात यह है कि वर्ष 1995 से अब तक के 5 चुनावों में जो पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होती रहीं और ओबीसी के आरक्षण से वंचित रह गई, वहां ओबीसी का आरक्षण होगा लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा निगाहें जिला पंचायत परिषद अध्यक्ष पद के आरक्षण को लेकर लगी हुई है।

गौरतलब है कि इस बार उत्तर प्रदेश के सभी 75 जनपदों में एक साथ पंचायतों के वार्डों के आरक्षण की नीति लागू होगी। वर्ष 1995 में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था और उसमें आरक्षण के प्रावधान लागू किए गए थे लेकिन तब से अब तक हुए पांच पंचायत चुनावों में जिले के कई ग्राम पंचायतें ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत अध्यक्ष के पद आरक्षित होने से वंचित रह गए। ऐसे में इस बार जिला पंचायत परिषद के सभी 20 वार्डों, ग्राम प्रधान के 244 , क्षेत्र पंचायत के 505 और वार्ड सदस्य के 3322 पदों के आरक्षण में चक्रानुक्रम फार्मूला अपनाया जाएगा। पहले यह देखा जाए कि वर्ष 1995 से अब तक के पांच चुनावों में कौन सी पंचायतें अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित नहीं हो पाई हैं और इन पंचायतों में इस बार प्राथमिकता के आधार पर आरक्षण लागू किया जाए। जिला पंचायत राज अधिकारी कुमार अमरेन्द्र का कहना है कि इस नए फैसले से अब वह पंचायतें जो पहले एससी के लिए आरक्षित होती रहीं और ओबीसी के आरक्षण से वंचित रह गईं, वहां ओबीसी का आरक्षण होगा और इसी तरह जो पंचायतें अब तक ओबीसी के लिए आरक्षित होती रही हैं वह अब एससी के लिए आरक्षित होंगी। khoji news

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