पिता मुलायम के नक्शेकदम पर अखिलेश- लोगों के दिल को छू गया

पिता मुलायम के नक्शेकदम पर अखिलेश- लोगों के दिल को छू गया

इटावा। अपने पिता एवं समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नक्शेकदम पर चलते हुये पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का सड़क पर उतर कर आत्मीयता के साथ नये साल की बधाई देने का तरीका इटावा के लोगों के दिल को छू गया।

अखिलेश यादव नव वर्ष के मौके पर इटावा के पुराना शहर में कई करीबी परिचितों शुभचिंतकों के यहां बधाई देने के लिए पहुंचे थे। नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के करीबी एवं सपा प्रशंसक देशबंधु सोनी को बधाई देने अखिलेश उनके घर पहुंचे। पिछले साल एमएलसी चुनाव के दरम्यान मुलायम सिंह यादव इटावा में अपने मताधिकार का प्रयोग करने आए हुए थे, तब देशबंधु सोनी की गुजारिश पर वह उनके घर पहुंचे थे जहां मुलायम का स्वागत फूल बरसा कर किया गया था। देश बंधु सोनी के घर से लौटते समय अखिलेश नेता जी के एक और करीबी सुरेश यादव की उस दुकान पर पहुंचे जहां नेताजी अमूमन बालूशाही खाने के लिए पहुंचते रहे हैं।

अखिलेश यादव ने बलदेव प्रसाद मिष्ठान भंडार पर पहुंचकर के गाजर के हलवे के साथ साथ में बालूशाही का भी आनंद लिया। इस दौरान मिष्ठान भंडार के संचालक सुरेश ने नेताजी से जुड़ी हुई तमाम स्मृतियों को साझा करते हुए प्रतिष्ठान में लगे उनके चित्रों को दिखाया। सुरेश ने बताया कि अखिलेश यादव बिना किसी पूर्व सूचना के उनके प्रतिष्ठान पर पहुंचे और नए साल पर उनको बधाई दी।

अखिलेश यादव इस दुकान से बाहर निकले तो पड़ोस में ही मिठाई सोप वाले ने उनसे दुकान में आने का अनुरोध किया जिसे अखिलेश ठुकरा नही सके। अखिलेश यादव जब पुरबिया टोला मार्ग से आ रहे थे तो बीच रास्ते में इटावा शहर की मशहूर खीर मोहन की दुकान के स्वामी ने उनके अनुरोध किया । जिस पर अखिलेश यादव अपनी गाड़ी से उतर कर खीर मोहन की दुकान पर पहुंचे और उस दुकान संचालक से खीर मोहन के बारे में उन्होंने विस्तार से चर्चा की जिसके बाद खीर मोहन का सेवन भी किया।

इटावा शहर में भ्रमण और लोगों को बधाई देने के बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट कर संदेश दिया है कि नये साल में यही दुआ सबका मुँह मीठा हो। सबका कारोबार चले बड़ा हो या छोटा हो।

नए साल पर जिस अंदाज में अखिलेश यादव अपने इटावा शहर की सड़कों पर लोगों के बीच मिलते मिलते नजर आए हैं, उसे देखकर के लोग ऐसा कहने लगे हैं कि एक वक्त नेताजी भी बिल्कुल इसी अंदाज में लोगों के बीच जाकर के मेल मिलाप किया करते थे।

राजनीतिक टीकाकार सुभाष त्रिपाठी ने कहा कि अपने पिता मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव का बदला हुआ यह अंदाज समाजवादियों में हर हाल में जोश भरेगा। इस जोश का असर निकट जल्द होने वाले निकाय चुनाव,साल 2024 में होने वाले संसदीय चुनाव के साथ-साथ 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी जनमत के रूप में दिखाई देगा।

वार्ता

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