किसान आंदोलन के बाद अब एक और आंदोलन की तैयारी-बढी सरकार की टेंशन

किसान आंदोलन के बाद अब एक और आंदोलन की तैयारी-बढी सरकार की टेंशन

मेरठ। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की ओर से तकरीबन 1 साल तक चलाए गए आंदोलन के बाद अब जाट समाज की ओर से केंद्रीय स्तर पर जाटों को आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन की राह पर चलने का फैसला लिया गया है। आंदोलन के लिए 22 जनपदों के जाट समाज के प्रतिनिधियों ने जाट समाज की महासभा में शामिल होकर इसका खाका तैयार कर लिया है।

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले क्रांतिधरा मेरठ की धरती से अब जाट आरक्षण का मुद्दा गरमाने की तैयारियां शुरू कर दी गई है। उम्मीद की जा रही है कि अगर यह जाट आरक्षण का मामला चुनाव से पहले जोर पकड़ गया तो भाजपा के लिए बड़ी सिरदर्दी पैदा करेगा। उल्लेखनीय कि केंद्र में आरक्षण की मांग जाट समाज की ओर से पिछले कई सालों से की जा रही हैं। जाट आरक्षण को लेकर समाज के लोगों की ओर से मेरठ में कई बड़े कार्यक्रम आयोजित किये चुके हैं। मेरठ जाट आरक्षण आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। अब एक बार फिर से जाट आरक्षण का मामला यहीं से गर्माने की तैयारी शुरू की जा चुकी है।

दरअसल रविवार को महानगर में आयोजित की गई जाट महापंचायत में प्रदेश भर के 22 जिलों के जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़े पदाधिकारी शामिल हुए। जिन्होंने एक सुर में कहा कि चुनाव से पहले भाजपा की केंद्र सरकार को आरक्षण देना होगा। अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो जाट सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। जाट आरक्षण आंदोलन के संरक्षक मेजर जनरल एसएस अहलावत ने कहा. कि केंद्र में जाटों का आरक्षण राजनीतिक कमजोरी के कारण खत्म कर दिया गया है।

जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने आरोप लगाए कि इस आंदोलन में विभिन्न घ्प्रांतों में 18 युवाओं की हत्याएं अब तक हो चुकी हैं। वहीं इससे पूर्व इस आंदोलन में पूर्ववर्ती सरकार के समय 3 जाट युवक शहादत दे चुके हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी केंद्र सरकार नहीं जागी है।

पश्चिमी उप्र में भाजपा के लिए बनेगा मुसीबत।




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