इस लोकसभा सीट पर 3 नेताओं ने लगाई है ट्रिक - जानिये कौन है

इस लोकसभा सीट पर 3 नेताओं ने लगाई है ट्रिक - जानिये कौन है

लखनऊ। मेरठ लोकसभा सीट पर 18 बार लोकसभा का चुनाव हो चुका है और 9 नेता लोकसभा में मेरठ से सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं लेकिन तीन बार ऐसा हुआ कि एक ही पार्टी के निशान पर, एक ही व्यक्ति ने लगातार मेरठ लोकसभा सीट पर हैट्रिक लगाई है। वर्तमान में मेरठ लोकसभा सीट पर भाजपा के सांसद राजेंद्र अग्रवाल तीसरे ऐसे नेता बन गए हैं।

मेरठ लोकसभा सीट पर सबसे पहले 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर शाहनवाज खान ने चुनाव लड़ा और वो जीतकर सांसद बन गए थे। उसके बाद शाहनवाज खान ने 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर उन्होंने जीत हासिल की थी । जनवरी 1914 में जन्म लेने वाले शाह नवाज खान भारतीय राष्ट्रीय सेना के अधिकारी के रूप में भी काम कर चुके थे। सुभाष चंद्र बोस के भाषणों से प्रभावित शाहनवाज खान भारतीय राष्ट्रीय सेना में शामिल होकर स्वतंत्र भारत के लिए लड़ाई लड़ चुके थे। ठाकुर अमरपाल सिंह का जन्म 31 मई 1946 के मेरठ जनपद की मवाना तहसील के गांव ढिबौली में हुआ था। बीएससी करने के बाद ठाकुर अमरपाल सिंह ने सियासत करने की सोची और उनकी शुरुआत गन्ना सोसाइटी से हुई। 1978 में वह मवाना गन्ना सोसायटी के चेयरमैन रहे। 1989 में ठाकुर अमरपाल सिंह ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके बाद मेरठ में हुए उपचुनाव में 1994 में ठाकुर अमरपाल सिंह ने दसवीं लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत गए। इसके बाद जब 1996 में लोकसभा का चुनाव हुआ तो ठाकुर अमरपाल सिंह पर भाजपा ने भरोसा जताया। जिसका परिणाम रहा कि लगातार दूसरी बार ठाकुर अमरपाल सिंह ने मेरठ लोकसभा सीट को भाजपा के खाते में डाल दिया था। 1998 में हुए 12 वीं लोकसभा के चुनाव में तीसरी बार भाजपा ने फिर से ठाकुर अमरपाल सिंह पर भरोसा जताया और उन्होंने भाजपा के भरोसे को कायम रखते हुए इस लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की और दूसरी बार हैट्रिक लगाने वाले नेता बन गए। इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर शाहनवाज खान 3 बार सांसद बन चुके थे। इसके बाद भाजपा ने ठाकुर अमरपाल से किनारा कर लिया और 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर टिकट दिया, जहां वे समाजवादी पार्टी के सांसद मुनव्वर हसन से चुनाव हार गए थे।

ठाकुर अमरपाल सिंह के बाद 1999 और 2004 में मेरठ लोकसभा सीट पर भाजपा का नंबर नहीं आया। 1999 में जहां कांग्रेस के टिकट पर अवतार सिंह भड़ाना जीते तो 2004 में बसपा के टिकट पर मोहम्मद शाहिद अखलाक सांसद बने थे। 2009 में मेरठ लोकसभा सीट पर भाजपा की शुरुआत तब हुई जब भाजपा के टिकट पर राजेंद्र अग्रवाल ने ताल ठोकी। इस लोकसभा चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल ने 232137 वोट पाकर बसपा के मलूक नागर को 43 हजार के लगभग वोटों से हरा दिया था , जबकि इस बार सपा के टिकट पर शाहिद मंजूर को 183527 तो कांग्रेस के राजेंद्र शर्मा को 61003 वोट मिली थी। बसपा ने जब शाहिद अखलाक को टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए थे। उन्हें 34078 वोट से ही संतोष करना पड़ा। इसके बाद दूसरी बार 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजेंद्र अग्रवाल पर किस्मत फिर आजमाई और मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से भाजपा के पक्ष में चल रही लहर के कारण राजेंद्र अग्रवाल को 5,32,981 वोट मिली जबकि बसपा के मोहम्मद शाहिद अखलाक को 3,00,655 वोट ही मिल पाए। इस बार राजेंद्र अग्रवाल की जीत का अंतर रिकॉर्ड बना चुका था। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी शाहिद अखलाक को 2,32,326 वोटों से हराया। 2019 का चुनाव राजेंद्र अग्रवाल के लिए मुश्किल भरा रहा। उन्होंने पहला चुनाव 47 हजार वोटों से जीता तो दूसरा चुनाव दो लाख से अधिक वोटों से जीते थे। इस बार उनके सामने बसपा के टिकट पर हाजी याकूब कुरैशी चुनाव लड़ रहे थे। आमने-सामने का चुनाव था। इस आमने-सामने के चुनाव में जहां राजेंद्र अग्रवाल को 5,86,184 वोट मिली तो हाजी याकूब कुरैशी को 5,81,400 मिल पाए थे। इस चुनाव में कांग्रेस के हरेन्द्र अग्रवाल तीसरे स्थान पर रहे थे । कड़े मुकाबले में राजेंद्र अग्रवाल ने 4,730 वोट से जीत कर भाजपा की मेरठ लोकसभा सीट पर दूसरी बार हैट्रिक लगाने का काम किया और इस लोकसभा सीट पर तीसरी बार हैट्रिक लगाने वाले तीसरे नेता बन गए है।

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