एनपीए की शर्तों में ढील पर कवायद

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने से पहले गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) से जुड़ी शर्तों में ढील दिए जाने के विषय पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) एवं संबंधित पक्षों से बातचीत कर रही है। अगर इस विषय पर सहमति बन जाती है तो किसी ऋण के एनपीए में तब्दील होने की अवधि बढ़ाकर 120 दिन या 180 दिन की जा सकती है। इस समय अगर किसी ऋण का भुगतान 90 दिनों तक नहीं होता है तो उसे एनपीए मान लिया जाता है।

कोविड-19 महामारी की वजह से बैंकिंग तंत्र में एनपीए में इजाफा हुआ है, खासकर सरकार नियंत्रित बैंकों के लिए परेशानियां बढ़ गई हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए एनपीए शर्तों में ढील दिए जाने पर चर्चा शुरू हुई है। सरकार का मानना है कि एनपीए के वर्गीकरण के लिए निर्धारित अवधि काफी कम है। इस बारे में एक सरकारी अधिकारी ने कहा, एनपीए की पहचान सहित फंसे ऋण से संबंधित विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए संभावनाओं पर विचार हो रहा है। बैंकों की सेहत सुधारने के लिए विभिन्न विभाग और नियामक चर्चाएं कर रहे हैं। इनमें एक विकल्प के तौर पर एनपीए वर्गीकरण की अवधि 90 दिन से बढ़ाए जाने पर विचार हो रहा है। माना जा रहा है कि कर्जदाताओं को ऋण लौटाने का समय 90 दिनों से बढ़ाकर कम से कम 120 दिनों तक किया जाना चाहिए। अधिकारी ने कहा कि इससे बैंकों को बहीखाता दुरुस्त रखने और अपने ऊपर अत्यधिक बोझ कम करने में मदद मिलेगी। आरबीआई ने छह महीने तक कर्ज भुगतान से अस्थायी तौर पर राहत दी थी। हालांकि नियामक ने अपनी हाल की रिपोर्ट में कहा था कि नीतिगत स्तर पर आरबीआई द्वारा उठाए कदम धीरे-धीरे वापस लिए जाने के से वित्त वर्ष 2022 बैंकों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। सूत्रों ने कहा कि सरकार फिलहाल सभी संबंधित पक्षों से बात कर रही है और इस मसले पर अंतिम निर्णय आरबीआई लेगा।