जन्मदिन विशेष रवि शंकर प्रसाद - संघ से जुड़ा नाता तो भाजपा तक सफर जारी

जन्मदिन विशेष रवि शंकर प्रसाद - संघ से जुड़ा नाता तो भाजपा तक सफर जारी

नई दिल्ली। भारत सरकार में संचार, इलेक्‍ट्रानिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और विधि एवं न्‍याय के कैबिनेट मंत्री रवि शंकर प्रसाद का आज जन्मदिन है । तीन तलाक कानून पर अपनी बेबाक राय रखने वाले मंत्री रवि शंकर प्रसाद का राजनैतिक जीवन जनसंघ से शुरू हुआ जो आज भाजपा संगठन से साथ भी जारी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पसंदीदा नेता मांनने वाले मंत्री रवि शंकर प्रसाद की पत्नी डॉ माया शंकर है तो बेटे के रूप में आदित्य तथा बेटी अदिति भी है। रवि शंकर प्रसाद की एक बहन अनुराधा प्रसाद राष्ट्रीय स्तर की पत्रकार है।

रवि शंकर प्रसाद का जन्म बिहार में पटना के एक प्रख्यात कायस्थ परिवार में हुआ। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बी०ए०(ऑनर्स), एम०ए०(राजनीति विज्ञान) तथा एलएल०बी० की डिग्रियाँ लीं। उनके पिता ठाकुर प्रसाद पटना उच्च न्यायालय के जाने माने वकील तथा तब जनसंघ (वर्तमानकाल में भाजपा) के प्रमुख संस्थापकों में से एक थे। रवि शंकर प्रसाद का विवाह 3 फरवरी 1982 को डॉ माया शंकर के साथ हुआ। डॉ॰ माया शंकर पटना विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर हैं।

रवि शंकर प्रसाद ने 1970 के दशक में इन्दिरा गांधी की सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शनों का आयोजन कर छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन आरम्भ किया था। आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में उन्होंने बिहार में छात्र आन्दोलन का नेतृत्व किया तथा जेल भी गए। रवि शंकर प्रसाद कई वर्षों तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ जुड़े रहे और संगठन में विभिन्न पदों पर आसीन रहे। छात्र जीवन में वे पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के सहायक महासचिव और विश्वविद्यालय की सीनेट तथा वित्त समिति, कला और विधि संकाय के सदस्य रह चुके हैं।



गौरतलब है कि रवि शंकर प्रसाद भारत के कैबिनेट मंत्री होने के साथ साथ सर्वोच्च न्यायालय में एक पेशेवर वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। उन्होंने 1980 में पटना उच्च न्यायालय में काम शुरू किया था। पटना उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ द्वारा उन्हें वर्ष 1999 में वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया। वर्ष 2000 में उनका नामांकन सर्वोच्च न्ययायालय में हुआ। बिहार के पूर्व मुख्यमन्त्री और पूर्व केंद्रीय रेलमन्त्री लालू प्रसाद यादव के विरुद्ध चारा घोटाले और कोलतार घोटाले में जनहित याचिका पर बहस करने वाले वे प्रमुख वकील थे। 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ में लम्बे समय से चल रहे अयोध्या मुकदमे के तीन अधिवक्ताओं में से रवि शंकर प्रसाद भी एक थे।

रवि शंकर प्रसाद वर्षों तक भाजपा की युवा शाखा तथा पार्टी संगठन में राष्ट्रीय स्तर के उत्तरदायित्व संभालते रहे हैं। सन् 2000 में वह सांसद बने और सन् 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कोयला एवं खान राज्यमंत्री रहे।1 जुलाई 2002 को प्रसाद को विधि एवं न्याय मन्त्रालय में राज्य मन्त्री का अतिरिक्त भार दिया गया। कार्यभार संभालने के एक पखवाड़े के अन्दर उन्होंने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन हेतु एक विधेयक तैयार किया और फास्ट ट्रैक अदालतों की प्रक्रिया को गति दी।

सूचना एवं प्रसारण राज्य मन्त्री के रूप में उन्होंने रेडियो, टेलीविजन और एनिमेशन क्षेत्र में सुधारों तथा गोवा में भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के केन्द्र की स्थापना की शुरुआत की।रवि शंकर प्रसाद 2006 में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने और अप्रैल 2006 में बिहार से राज्य सभा के लिए पुनः सांसद चुने गए। 2007 में उन्हें फिर भारतीय जनता पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया।

रवि शंकर प्रसाद 1991 से 95 तक दो कार्यकाल के लिए भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो 1995 से सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, भारतीय जनता पार्टी के रूप काम करने के बाद अप्रैल 2000 में उन्हें राज्य सभा सदस्य बनाया गया । मई 2000 से 2001 तक पेट्रोलियम, रसायन तथा वित्त मन्त्रालय की सलाहकार समितियों के सदस्य रहने के बाद रवि शंकर प्रसाद को 1 सितम्बर 2001 से 29 जनवरी 2003 तक कोयला और खान मन्त्रालय में राज्य मन्त्री तो 1 जुलाई 2002 से 29 जनवरी 2003 तक विधि और न्याय मन्त्रालय में राज्य मन्त्री का अतिरिक्त प्रभार देने के बाद उन्हें 29 जनवरी 2003 से मई 2004 तक सूचना और प्रसारण मन्त्रालय में राज्य मत्री का स्वतन्त्र प्रभार दिया गया । रविशंकर प्रसाद वर्ष 2000 में पहली बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। फिर इसके बाद 2006 में दूसरी बार रविशंकर प्रसाद राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। 2012 में राज्यसभा के लिए तीसरी बार और 2018 में चौथी बार चुने गए।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विधि एवं न्याय और सूचना प्रसारण मंत्रालय का पदभार संभाला। चार बार राज्यसभा सांसद रहे रविशंकर प्रसाद पहली बार बिहार की पटना साहिब लोकसभा सीट से चुनाव 2019 में लड़ें, जहां उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी फिल्म अभिनेता और तत्कालीन सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को 284657 वोटों से हराया। वर्तमान में रवि शंकर प्रसाद भारत सरकार में संचार, इलेक्‍ट्रानिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और विधि एवं न्‍याय के कैबिनेट मंत्री हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में सरकार में वरिष्‍ठ मंत्री के रूप में रवि शंकर प्रसाद ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का नेतृत्‍व किया। रवि शंकर प्रसाद के प्रयासों से भारत के दूरसंचार क्षेत्र का पुनरूद्धार हुआ है, जिसमें सबसे अधिक निवेश हुआ है। भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम पीएसयू, बीएसएनएल, में रवि शंकर प्रसाद के नेतृत्‍व में एक बड़ा बदलाव देखा गया। रवि शंकर प्रसाद भारत को एक वैश्विक इलेक्‍ट्रानिक्‍स विनिर्माण केंद्र (हब) के रूप में विकसित करने के कार्य का नेतृत्‍व भी कर रहे हैं। रवि शंकर प्रसाद के नेतृत्‍व में भारतीय डाक ई-कार्मस लॉजिस्टिक्‍स सेवा प्रदाताओं के साथ वित्‍तीय समावेशन के माध्‍यम के रूप में भी उभर कर आया है। विधि एवं न्‍याय मंत्री के रूप में रवि शंकर प्रसाद न्‍यायपालिका में होने वाले सुधारों का नेतृत्‍व कर रहे हैं। रवि शंकर प्रसाद ने उच्‍च न्‍यायपालिका में नियुक्तियों में सुधार की बात कही, जिसके परिणामस्‍वरूप राष्‍ट्रीय न्‍यायिक नियुक्ति आयोग का अधिनियमन हुआ, जो पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से लंबित था।

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