सुख-दुख के साथी हैं योगी सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल

सुख-दुख के साथी हैं योगी सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल

मुजफ्फरनगर। सुख-दुख की घड़ी में आपसी स्नेह ही समाज को जोड़े रखता है। यह स्नेह उस समय और भी मानवीय दृष्टिकोण से सामाजिक ताने-बाने की मजबूती के लिए और भी अधिक अहम हो जाता है, जबकि पीड़ा में व्याप्त किसी व्यक्ति के साथ हम अपना जुड़ाव रखते हैं। सामाजिक स्तर पर हमारा यही व्यवहार हमारी पहचान बनता है और ऐसे ही व्यवहार के धनी हैं राज्य सरकार के मंत्री एवं शहर विधायक कपिल देव अग्रवाल। वह आज एक राजनीतिक मंच पर पहचाने जाते हैं, लेकिन उनका सामाजिक दृष्टिकोण आम आदमी वाला ही है। उनको लोग मंत्री होने के बावजूद भी आम आदमी के बीच रहने के कारण सुख-दुख का साथी मानते है। उन्होंने इसको हर स्तर पर साबित भी किया है। उनका व्यवहार ऐसा है कि वह अपने विरोधी को भी जीतने में सफल हो जाते हैं।



आज उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में दायित्व निभा रहे कपिल देव अग्रवाल ने हमेशा ही जनपद मुजफ्फरनगर में आम कार्यकर्ता और आम आदमी से अपना जुड़ाव रखा है। वह किसी भी राजनीतिक या सामाजिक बंधन से परे सुख और दुख में हमेशा ही लोगों के बीच पहुंचते रहे हैं। वह अपने विधानसभा तक ही सीमित नहीं रहते हैं, जब भी उनको किसी के दुख की खबर मिलती हैं, वह सबसे पहले पहुंचने वालों में शामिल रहते हैं। उनका यही व्यवहार उनकी सामाजिक पहचान के साथ ही राजनीतिक कौशलता का भी परिचायक बन गया है। मुजफ्फरनगर जनपद में हाल के दिनों में मंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने गम और खुशी का ऐसा कोई भी अवसर नहीं छोड़ा, जिसमें वह आम आदमी के रूप में ही लोगों के बीच में उपस्थित ना रहे हों। उनके व्यवहार की बात करें तो वह किसी की खुशी का हिस्सा बनना भूल सकते हैं, लेकिन किसी के दुख में सांत्वना देने में कभी पीछे नहीं रहे।



बात 23 अगस्त की है, मंत्री कपिल देव अग्रवाल लखनऊ से वापस मुजफ्फरनगर लौट रहे थे। उनको रास्ते में जानकारी मिली कि हापुड़ की डीएम अदिति सिंह के पिता का निधन हो गया है, वह रास्ते में हापुड़ रूके और सभी प्रोटोकोल को अलग रखते हुए इंसानियत का फर्ज निभाने मंत्री होते हुए भी डीएम अदिति के आवास पर पहुंचे, शोक संवेदना व्यक्त की और फिर अपने घर आये। इसी दिन बुढ़ाना क्षेत्र के गांव गढी नौआबाद के किसान ताराचंद के युवा पुत्र मोहित बालियान के कश्मीर के पुंछ राजौरी सेक्टर में शहीद होने पर उसके अंतिम संस्कार में शामिल हुए। शहीद को श्रद्धांजलि दी। 24 अगस्त को सुबह वह पार्टी के नेता और नगरपालिका में सभासद नरेश चन्द मित्तल के आवास पर पहुंचे, उनकी पत्नी के निधन पर शोक जताया। सांत्वना दी। 26 अगस्त को वह पुरकाजी गये, वहां गरीब परिवार के युवक मयंक बंसल की हत्या को लेकर परिजनों से मिले, परिजन पुलिस द्वारा कार्यवाही ना करने से नाराज थे। पुलिस अफसरों से बात की, कार्यवाही के निर्देश दिये और मयंक के परिजनों की आर्थिक हालत को देखते हुए तत्काल ही डीएम को इस परिवार की पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता कराने के निर्देश दिये। 29 अगस्त को वह अपने आवास पर थे। उनको जानकारी मिली कि बुढ़ाना मोड निवासी प्रशांत शर्मा पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हो गया है। वह तुरंत शहीद सैनिक के घर पहुंचे, उनके पिता से मिले, पूरी जानकारी ली और सरकार के प्रतिनिधि के रूप में शहीद के पिता को सांत्वना दी। कपिल देव अग्रवाल सबसे पहले यहां पहुंचने वालों में शामिल रहे। इसके बाद वह आरएसएस के कार्यकर्ता अश्वनी गोयल के आवास पर पहुंचे, अश्वनी ने अपने ही घर में आत्महत्या कर ली थी। परिजनों को हिम्मत बंधाई और उनका दुख बांटने का काम किया।



इससे पहले भी मंत्री कपिल देव अग्रवाल लगातार जनपद में भाजपा के आम कार्यकर्ता हो या आम आदमी, सभी के बीच सुख और दुख बांटते हुए नजर आये। रक्षाबंधन पर जब लाॅक डाउन के कारण बहनें अपने भाईयों को राखी बांधने नहीं जा पा रही थी, तो वह भाजपा की महिला कार्यकर्ताओं के घर घर पहुंचे और उनसे राखी बंधवाई। इतना ही नहीं, बीते साल सर्दियों की एक सुबह वह अचानक ही शहर में समाचार पत्रों का वितरण करने वाले हाॅकर्स के बीच जा पहुंचे, उनके साथ झांसी की रानी पार्क के पास चाय पी, उनकी समस्याओं को जाना और काफी देर तक उनके बीच रहकर उनको हौसला बढ़ाया। मंत्री कपिल देव अग्रवाल की इस कार्यशैली और अपनत्व ने हाॅकर्स का दिल जीत लिया।



मंत्री कपिलदेव अग्रवाल का कहना है कि मानवता के नाते भी हमारा यह दायित्व बनता है कि हम समाज में अपने आसपास हो रहे सुख दुख में शामिल रहें। एक जनप्रतिनिधि होने के कारण मेरा यह प्रयास रहता है कि मैं जनता के सुख दुख में साथ खड़े रहने की जिम्मेदार का निर्वहन कर सकूं। कष्ट के समय लोग उम्मीद भी करते हैं कि कोई उनकी पीड़ा को बांटने वाला उनके साथ आकर खड़ा हो जाये। यह हम सभी का सामाजिक कर्तव्य है।





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