भाकियू ने भरी हुंकार मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपा

मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन ने किसानों की समस्याओं का निराकरण कराने के लिए मुख्यमंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपते हुए कहा कि है कि ज्ञापन सौंपा है ज्ञापन में भाकियू ने कहा है कि जिला प्रशासन व सरकार किसानों की समस्याओं को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं, जिसके चलते भारतीय किसान यूनियन को आंदोलन का रास्ता चुनना पड रहा है।
भारतीय किसान यूनियन ने आज तहसील मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। ज्ञापन में भाकियू मांग की है कि विद्युत नियामक आयेाग द्वारा प्रस्तावित बिजली दरों को किसी भी हालत में स्वीकृति न दी जाए और किसानों को निजी नलकूप हेतु बिजली निःशुल्क उपलब्ध करायी जाए। ज्ञापन में बताया गया है कि देश के 6 राज्यों में किसानो को मुफ्त बिजला मुहैया करायी जा रही है। भाकियू ने मांग की है कि पंजीकृत किसानों को ब्याज व पैनल्टी में 31 जौलाई 2019 तक दी जाने वाली छूट में गैर पंजीकृत किसानों केा भी शामिल किया जाए। भाकियू ने मांग की है कि सामान्य योजना के अन्र्तत स्वीकृत सभी नलकूप कनैक्शन का शत्-प्रतिशत् लक्ष्य निर्गत किया जाए। वर्तमान सरकार के गेठन के पश्चात सामान्य योजना के अन्तर्गत निजी नलकूप के कनेक्शन में लाईन की लम्बाई 300 मीटर से घटाकर 190 मीटर कर दी गर्यी हे। जिससे किसानों पर अत्यधिक भार बढ़ गया है। सामान्य योजना के अन्तर्गत कनेक्शन पर दी जाने वाली सब्सिडी में वृद्धि की जाए।
भाकियू ने मांग की है कि प्रदेश में गन्ना किसानों का बकाया राशि का भुगतान अविलम्ब ब्याज सहित कराया जाए। शुगर केन एक्ट मे गन्ना आयुक्त को ब्याज माफ करने वाली शक्ति प्रदान करने वाली धारा को अविलम्ब सामाप्त किया जाए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पिछले सत्र के ब्याज के निस्तारण हेतु उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को अधिकृत किया गया है। सरकार द्वारा अविलम्ब किसानों को ब्याज देने के निर्देश दे। ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य में सोयाबीन, दलहन, बासमती धान, मक्का, आलू सहित फल एवं सब्जियों को भी समर्थन मूल्य के आधीन लाया जाए। भाकियू नेताओं ने कहा कि आलू का समर्थन मूल्य कम से कम 1200 रू प्रति कुन्तल तय किया जाए। राज्यय सरकार द्वारा दूध के दाम भी तय किये जाएं। गाय और भैंस दानों के दूध के दाम सामान रूप से निश्चित किये जाएं। पशुपालक किसानों को बैंक के क्रेडिट कार्ड स्कीम के अन्तर्गत लाया जाए। फसलों की खरीद समर्थन मूल्य से कम न होना सुनिश्चित किया जाए।
भाकियू ने मांग की है कि कृषि उत्पाद विपणन विनियमन माॅडल अधिनियम में महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर फसलों का विक्रय सरकार व व्यापारी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम करने पर दण्ड का प्रावधान किया जाए। फसलों की नीलामी समर्थन मूल्य से किया जाना भी सूनिश्चित किया जाए और खरीफ का ऋण वितरण 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक और रबी का ऋण 1 सितम्बर से 31 मार्च तक होता है। किसान को खर्रीफ व रबी फसली ऋण एक साथ दिया जाए। उन्होंने मांग की है कि फसली ऋण का एक चैथाई हिस्सा कृषि आदान के रूप में क्रय करने की अनिवार्यता समाप्त की जाए। सहकारी समितियों में जून में केवल ब्याज जमा करने की अनुमति दी जाए।
भाकियू ने ज्ञापन में कहा है कि प्रदेश में नई नहरों के निर्माण एवं चैगामा नहर परियोजना व बुंदेलखण्ड पंचनदा बांध परियोजना को अविल पूरा यिका जाए। नहरों के पानी को टेल तक पहुंचाने की कारगर व्यवस्था की जाए तथा कृषि वानिकी के अन्तर्गत किसानों द्वारा पाॅपुलर, सागौन, यूके लिप्टिस की खेती की जा रही है। किसानों का उत्पीडन मण्डी समिति व वन विभाग द्वारा किया जा रहा है। कृषि वार्निकी के अन्तर्गत आने वाले सभी वृक्षों पर सभी जनपदों में कटाई एवं ढुलाई पर लगाये गये प्रतिबन्ध को समाप्त करते हुए मण्डी शुल्क भी समाप्त किया जायें तथा मेंथा को फसल का दर्जा देते हुए मण्डी शुल्क समाप्त किया जायें।
ज्ञापन में भाकियू ने कहा कि प्रदेश में आवार पशुओं जैसे नीलगाय, जंगली सुअर आदि के द्वारा किसानेां की फसलेां को नष्ट किया जा रहा है। भाकियू ने मांग की है कि सरकार द्वारा इसकी रोकथाम हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाये तथा बुंदेलखण्ड में अन्ना प्रथा पर कानूनी प्रतिबंध लगाया जाए। भाकियू ने सरकार से मांग की है कि किसान सम्मान निधि योजना में राज्य सरकार का अंशदान बढ़ाकर इसे 10000 रूपये किया जाए तथा राज्य में एक बेहतर किसान पेंशन योजना चालू की जाए और पेंशन का प्रीमियम किसानों से न लिया जाए।
ज्ञापन में बताया गया है कि कृषि पशुपालन, गन्ना, उद्यान, मतस्य आदि कृषि से सम्बंधित विभागों द्वारा एक्सटंशन का कार्य नहीं किया जा रहा है। किसान विभाग की बजाय कम्पनियों की सलाह पर कार्य कर रहे हैं, जिससे किसानों की उत्पादन लागत कम करना सम्भव नहीं है। विभागों द्वारा समय-समय पर किसानों को एडवायजरी जारी करते हुए एक्सटेंशन पर कार्य करना चाहिए। भाकियू ने मांग की है कि एनजीटी के पुराने वाहनों पर आदेश से ट्रैक्टर को मुक्त किया जाए। सभी तरह के वाहनों की समय सीमा 15 वर्ष की जाए।
भाकियू ने बताया है कि क्षेत्र की काली नदी व हिन्डन में सम्बन्धित शहरों और कस्बों व फैक्ट्रियों द्वारा प्रदूषित पानी छोड़ा जाता है, जिससे नदी के किनारे पर स्थित गांव में कैंसर, हार्ट अटैक, पीलिया जैसी भयंकर बीमारी से सैंकड़ों लोग हर वर्ष मरते हैं एवं टीवी, फ्रिज, ट्रैक्टर आदि तीन वर्ष में ख्राब हो जाते हैं। काली नदी के आसपास के क्षेत्र के लेगों के कैंसर की जांच हेतु कैम्प लगाए जाएं। इसके साथ ही गंगनहर पर खतौली टर्मिनल द्वारा काली नदी में गंगनहर का पानी वर्षों पूर्व छोड़ा जाता था, परन्तु टर्मिनल की मरम्मत के बहाने टर्मिनल पर करोडों रूपये खर्च दिखाकर सिंचाई विभाग मेरठ द्वारा बहुत बड़ा घोटाला किया है। भाकियू ने घोटाले की जांच कराकर कार्यवाही करते हुए टर्मिनल का अधूरा कार्य पूरा कराने एवं काली नदी में उक्त टर्मिनल से पानी छोड़ने की मांग की है। भाकियू ने चेतावनी दी है कि उक्त मामले में प्रभावी समाधान न होने के दशा में भाकियू नदी प्रदूषण व टर्मिनल को लेकर बड़ा आन्दोलन करेगी। भाकियू ने मांग की है कि आन्दोलन के दौरान किसानों पर सभी मुकदमें वापस लिये जाये।
उप जिलाधिकारी को ज्ञापन देने वालों में भाकियू के युवा मण्डलाध्यक्ष धीरज लाटियान, महासचिव नवीन राठी, धर्मेंद्र मलिक, बिटटू राठी, सतेन्द्र ठाकुर, इरशाद फरीदी, विकास शर्मा, ठा. कुशलवीर, गांगेराम त्यागी, अंकित चौधरी, अमरजीत, शाहिद आलम आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।