12 सितम्बर को इक़रा हसन का दौरा हुआ तो लगा लौट आये मरहूम मुनव्वर हसन !

12 सितम्बर को इक़रा हसन का दौरा हुआ तो लगा लौट आये मरहूम मुनव्वर हसन !

मुज़फ्फर नगर। 12 सितम्बर 2024 को मुजफ्फरनगर जिले में झमाझम बरसात हो रही थी, ऐसे में कैराना से सपा सांसद इकरा हसन मीरापुर विधानसभा के अपने दौरे पर थी। बारिश के बीच मीरापुर कस्बे सहित कई गांव में जिस तरह से इकरा हसन के इंतजार में पब्लिक जुटी रही उससे 20 साल पहले के उनके पिता मुनव्वर हसन का दौर याद आ गया। जब इसी तरह मुजफ्फरनगर की जनता के बीच नेता के तौर पर मुनव्वर हसन अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे। आज हम बताएंगे कि इकरा हसन के इस दौरे से कैसे मुनव्वर हसन की याद आई ।


नाम था मुनव्वर हसन, तब मुजफ्फरनगर अब शामली जिले के हरियाणा के किनारे पर बसे कस्बे कैराना के मुनव्वर हसन ने 1991 में विधानसभा का चुनाव लड़ा और उन्होंने कद्दावर नेता हुकुम सिंह को शिकस्त दे दी। मुनव्वर हसन 1993 में भी चुनाव लड़े और जीते, 1996 में उन्होंने कैराना लोकसभा सीट से चुनाव जीता, 1999 में हारे तो मुलायम सिंह यादव ने उन्हें राज्यसभा में भेज दिया। 2004 में मुनव्वर हसन ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए। यह वह दौर था जब मुनव्वर हसन की कैराना तक ही लोकप्रियता सीमित नहीं थी। मुनव्वर हसन सहारनपुर और मुजफ्फरनगर के लोगों के दिलों में रचे बसे हुए थे।

लोकप्रियता का आलम यह था कि वह कभी भी अपने तय कार्यक्रम में निर्धारित समय पर नहीं पहुंच पाते थे, उसकी वजह थी दरअसल मुनव्वर हसन जहां जाते वहां जनता उनके पीछे-पीछे लग जाती। कई मौकों पर तो ऐसा होता था कि उनके कुर्ते तक फट जाते थे लेकिन मुनव्वर आसान 2008 में इस दुनिया को अलविदा कर गए तब से मुनव्वर हसन जैसे नेता के कमी मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और शामली जिले में लोगों को खेलती रही।

मुनव्वर हसन के बेटे नाहिद हसन थोड़ा बड़े हुए और वो हुकुम सिंह के कैराना लोकसभा सीट से सांसद बनने के बाद 2014 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर पहली बार विधायक बन गए। नाहिद हसन अभी राजनीति का सबक सीख रहे थे कि 2017 का विधानसभा चुनाव आ गया। नाहिद हसन दूसरी बार विधायक तो जरूर बने लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार की उन पर नजरें टेढ़ी हो गई। हालात यहां तक बने कि नाहिद हसन पर गैंगस्टर जैसी कार्रवाई विधायक रहते हुए भी की गई। साल 2022 का विधानसभा चुनाव आया तो नाहिद हसन को जेल जाना पड़ा। मुनव्वर हसन की बेटी और नाहिद हसन की बहन इकरा हसन ने चुनावी मोर्चा संभाला और अपने बलबूते पूरे विधानसभा चुनाव 2022 में नाहिद हसन को तीसरी बार विधायक बना ले गई। 2022 के नाहिद हसन के विधानसभा चुनाव की कमान संभालते संभालते इकरा हसन ने सियासत का सबक पूरी तरह सीख लिया और उन्होंने सोशल मीडिया को बखूबी इस्तेमाल करना शुरू किया। हालत यह बने कि 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते इकरा हसन सोशल मीडिया पर एक बड़ा ब्रांड बन गई और समाजवादी पार्टी ने उन्हें कैराना लोकसभा सीट से टिकट दे दिया। इकरा हसन लोकसभा का चुनाव जीती और सांसद बन गई। सांसद बनने के बाद से इकरा हसन की लोकप्रियता चरम पर दिखाई पड़ रही है। लोग उनमें मुनव्वर हसन का अक्श भी ढूंढते हैं।


अब बात हम करेंगे कि मुनव्वर हसन की याद क्यों आई। दरअसल मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट पर चंदन चौहान के सांसद बनने के बाद यहां उप चुनाव होना है। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इकरा हसन को भी जिम्मेदारी सौंप हुई है। 12 सितम्बर का दिन था सुबह से ही मुजफ्फरनगर जिले खासकर मीरापुर इलाके में जोरदार बारिश बरस रही थी। पहले से ही इकरा हसन के कार्यक्रम तय कर दिए गए थे। इकरा हसन सिखेड़ा गांव में पहुंची। बारिश के बीच उनका बहुत शानदार स्वागत हुआ। इसके बाद इकरा हसन कस्बे में डॉक्टर सरताज के क्लीनिक का उद्घाटन करने पहुंची तब भी भारी बारिश थी। 12 बजे इकरा हसन को पहुंचना था लेकिन वहां पहुंचते पहुंचते उन्हें तीन से ज्यादा बज गए लेकिन इकरा हसन को देखने और सुनने वालों की भीड़ कम नहीं हुई। जैसे ही इकरा हसन कार्यक्रम में पहुंची भीड़ ने उन्हें घेर लिया।


उसके बाद इकरा हसन मीरापुर में गई, ककरौली में गई, जटवाड़ा गांव के प्रधान नवाब अली के घर पर गई। इकरा हसन का वैसे तो राजनीतिक दौरा था लेकिन जिस तरह मीरापुर इलाके में इकरा हसन के स्वागत के लिए लोग भारी बारिश में भी डटे रहे उससे उनके पिता मुनव्वर हसन के कार्यकाल की मीरापुर विधानसभा के लोगों को आई। दरअसल मुनव्वर हसन का सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जिले में इतना क्रेज था कि वह कई कई घंटे देर से पहुंच पाए थे लेकिन भीड़ उनको देखने के लिए जमी रहती थी। यही 12 सितम्बर को मीरापुर विधानसभा इलाके में दिखाई पड़ा कि इकरा हसन का जहां भी कार्यक्रम लगा हुआ था वहां भारी बारिश के बावजूद पब्लिक हटने को तैयार नहीं थी। यह साबित करता है कि इकरा हसन अपने पिता मुनव्वर हसन की सियासी जमीन को अपनी लोकप्रियता के बलबूते फिर से वापस लौटा ले रही हैं ।




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