योगी सरकार में मंत्री नीलिमा कटियार ने ढ़ाई वर्ष की उम्र में ही मां संग खायी थी जेल की हवा

घायलों को अपनी गाड़ी में बिठाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया
लखनऊ। योगी मंत्रिमंडल में पहले विस्तार के बाद से उच्च शिक्षा तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सम्भाल रही नीलिमा कटियार को राजनीति अपनी मां पूर्वमंत्री प्रेमलता कटियार से विरासत में मिली। राजनीति की कठोरता को इन्होंने मां की गोद में जान लिया था। जब नीलिमा कटियार महज ढाई साल की थी, तब कानपुर में भाजपा के मजबूत स्तम्भ के रूप में इनकी माता प्रेमलता कटियार 1975 में आपातकाल का विरोध करने के जुर्म में जेल गईं थी और उनकी गोद में नीलिमा कटियार को भी जेल जाना पड़ा था, क्योंकि वे केवल ढ़ाई साल की बच्ची थी। आज उसकी छाप उनके राजनीतिक कॅरियर पर भी दिखती है। अभी हाल ही में कानपुर-लखनऊ हाइवे से लखनऊ आ रहीं राज्यमंत्री नीलिमा कटियार ने सड़क पर घायल दो युवकों को देखा तो उन्होंने तुरन्त अपनी गाडी को रुकवाया और अपनी स्कॉर्ट के जवानों की मदद से घायलों को अपनी गाड़ी में बिठाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया, इतना ही नहीं वे उनकी हालत समान्य होने तक अस्पताल में ही रहीं। जानकारी के अनुसार हर्ष (19) पुत्र चंद्रवीर और अभिषेक प्रजापति (23) बाईक पर सवार होकर फैक्ट्री जा रहे थे। तभी सिंगरोसी मोड़ के सामने किसी वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी थी।
अपने बूते पर की राजनीति
उनकी मां प्रेमलता कटियार भले ही भाजपा की बड़ी नेताओं में शुमार रही हों, लेकिन उन्होंने राजनीति अपने बूते पर की। 1993 में जब कानपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ तो वे विद्यार्थी परिषद से जुड़ गईं। छात्र जीवन में कई पदों पर रहीं। 2010 में महिला मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य बनीं। जिले में भी महिला मोर्चे में दायित्व संभाले। उनकी सक्रियता पार्टी के शीर्ष नेताओं तक चर्चित थी, इसलिए जब पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नई दिल्ली में वीरांगना सम्मेलन कराया था तो उन्हें उसमें खास जिम्मेदारी दी गई थी। 2013 में नीलिमा भाजपा की जिला महामंत्री बनीं और वर्ष 2018 में उनकी संगठन क्षमता को देखते हुए पार्टी ने उन्हें प्रदेश महामंत्री का दायित्व सौंप दिया था। इससे पहले ही नीलिमा कटियार 2017 में अपनी मां प्रेमलता कटियार की परंपरागत सीट पर 86620 वोटों से जीतकर पहली बार विधायक बन चुकी थीं। इस जीत से उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि संगठन क्षमता सहित उनमें जनता और खासकर युवाओं को आकर्षित करने की क्षमता भी है।
हरदोई स्थित मल्लावां कस्बे के तेंदुआ गांव निवासी पीसीएस अफसर धर्मेंद्र कुमार की पत्नी हैं नीलिमा कटियार
जानकार बताते हैं कि नीलिमा कटियार की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह बेहद सामान्य बनकर रहती हैं और पार्टी के रचनात्मक कार्यों में उनका योगदान अधिक रहता है। उन्होंने 1995 में बीएससी करने बाद 2001 में एमए की डिग्री प्राप्त की थी। हरदोई जनपद स्थित मल्लावां कस्बे के तेंदुआ गांव निवासी पीसीएस अफसर की धर्मेंद्र कुमार पत्नी व कानपुर की कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक नीलिमा कटियार को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में बतौर राज्यमंत्री शामिल किया गया तो उनकी ससुराल के क्षेत्र में जश्न का माहौल था। गांव में रह रही जेठानी चंद्रावती पत्नी अवधेश कुमार ने नीलिमा के मंत्री बनने की खबर मिलते ही लोगों का मुंह मीठा कराया।
दस में से दस सीटे जीतने का दिलाया था भरोसा
समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा के संभावित गठबंधन के चलते बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इनकी काट करने और अपने किलों को बचाने के लिए जातिगत चक्रव्यूह तैयार किया था। इसी रणनीति के तहत दमदार ओबीसी चेहरे पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार की बेटी और कल्याणपुर से विधायक नीलिमा कटियार को सूबे का महामंत्री बनाया गया था। उस समय नीलिमा कटियार ने अमितशाह को भरोसा दिलाया था कि वे दस में से दस सीटें जीतेंगे और उन्होंने अमितशाह को जो भरोसा दिलाया था, वे उस पर सौ प्रतिशत खरी उतरी थी।
कल्याणपुर विधान सभा पर भाजपा का 1991 से ही वर्चस्व रहा
बता दें कि नीलिमा की मां प्रेमलता कटियार चार दशकों से बीजेपी से जुड़ी हैं और पिछड़ी जाति के मतदताओं में उनकी पकड़ अच्छी मानी जाती है। प्रेमलता कटियार कल्याणपुर विधान सभा से 5 बार विधायक और तीन बार मंत्री रह चुकी हैं। प्रेमलता कटियार उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राज नाथ सिंह और बसपा का भाजपा के साथ गठबंधन वाली मायावती की सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। प्रेमलता कटियार और भारतीय जनता पार्टी का साथ आपातकाल के दौरान हुए विरोधी आंदोलन के साथ ही शुरू हो गया था। इस विधानसभा सीट में भाजपा का 1991 से ही वर्चस्व रहा है।