राजपाल सैनी के रूप में सपा को मिला पिछड़ों का कद्दावर नेता

राजपाल सैनी के रूप में सपा को मिला पिछड़ों का कद्दावर नेता

लखनऊ। हाल ही में बसपा के हाथी से उतरकर सपा की साईकिल पर सवार होने वाले पूर्व मंत्री राजपाल सैनी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पिछड़ा वर्ग समाज की वोटों को कैच करने वाले अच्छे फील्डर हैं। राजनीति के माहिर पूर्व सांसद राजपाल सैनी को मुलायम सिंह यादव का खासमखास बताया जाता है। वर्ष 1994 में मुलायम सिंह यादव के कहने पर ही उन्होंने सपा ज्वाइन की थी और काफी लंबे समय पार्टी में कार्य भी किया। लेकिन किसी कारणवश वह बसपा में शामिल हो गये थे। बसपा सुप्रीमों मायावती राजपाल सैनी को पार्टी का जिलाध्यक्ष, विधायक, दो बार मंत्री और राज्यसभा सांसद और उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य बीज विकास निगम के चेयरमैन जैसी अच्छी जिम्मेदारी सौंप चुकी है। फिर भी राजपाल सैनी के जो ताल्लुक और लगाव मुलायम सिंह यादव से है शायद किसी पार्टी से हो। जिस पार्टी में वह रहते हैं उसके लिये वह निस्वार्थ भाव से समर्पित होकर कार्य करते है।

भाजपा ने वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे स्वामी प्रसाद मौर्य व पूर्व कैबिनेट मंत्री धर्मसिंह सैनी सहित कई नेताओं को अपने पाले में कर लिया था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान ही भाजपा ने पूर्व मंत्री राजपाल सैनी को भी अपनी तरफ खींचने के लिये कई मंत्र अपनाये। इतना ही नहीं अपनी और खींचने के लिये उन्होंने उनको टिकट देने की बात भी कह दी थी। लेकिन वह भाजपा में शामिल नहीं हुए थे। अगर उस समय राजपाल सैनी भाजपा में शामिल हो जाते तो उनका योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया जाना तय था। क्योंकि पिछड़ा वर्ग समाज की सियासत में उनकी एक अलग पहचान है। आगामी वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव समर की इस समय चर्चा चरम पर है। आगामी वर्ष 2022 विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अपनी टीम में एक ऐसा खिलाड़ी चाहिए था, जो पिछड़ा समाज के साथ अन्य वर्गों की वोटों को कैच करने में कामयाब हो सके। वर्ष 2017 के चुनावों में भाजपा के मंत्रों में न फंसने वाले नेता राजपाल सैनी को अपनी ओर खींचना किसी भी दल के लिये कठिन था। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पिछड़ा समाज के दिलों पर राज करने वाले नेता राजपाल सैनी को अपनी ओर खींचना अखिलेश यादव के लिये इसलिये आसान हो गया। क्योंकि राजपाल सैनी मुलायम सिंह यादव के खासमखास हैं।


कुछ दिन पूर्व ही अखिलेश यादव ने राजपाल सैनी व उनके पुत्र को लखनऊ बुलाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में वोटों को कैच करने की बेहतरीन पकड़ करने के लिये उनके हाथों में साईकिल का हैंडल दे दिया। राजपाल सैनी का कहना है कि सपा की सदस्यता ग्रहण करने के पश्चात उन्होंने यह संकल्प में मन में गाड़ लिया है कि भाजपा को उत्तर प्रदेश के आगामी वर्ष 2022 विधानसभा चुनावों में पराजित करना है और अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाना है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में सपा ही ऐसी पार्टी है, जो तमाम वर्ग का कल्याण कर सकती है। अति पिछड़ा वोट बैंक में विशेषतौर से प्रदेश की पुख्ता सीट कैराना लोकसभा पर इन वोटों की संख्या एक लाख 40 हजार हैं और वहीं मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और बिजनौर सहित कई जनपदों में बड़ी तादात है, इनमें सैनी, पाल, कश्यप, प्रजापति शामिल हैं। राजपाल सैनी की अपनी बिरादरी के साथ-साथ अति पिछड़ा वर्ग में अच्छी पकड़ है। पिछड़ा वर्ग की अच्छी वोट बैंक होने के कारणवश हर पार्टी इस पर नजर रखती है। यहां से समाजवादी पाटी सरकार में साहब सिंह सैनी को एलएलसी व कैबिनेट मंत्री बनाया तो बीजेपी ने भी धर्मसिंह सैनी को राज्यमंत्री बनाया है। आगामी वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में शामली जनपद के थानाभवन सीट पर भी सपा अपनी नजर गडाये हुए है। यहां पर सैनी समाज की 40 हजार के लगभग वोट हैं। थानाभवन विधानसभा सीट से भाजपा में कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा लगातार दो बार से जीत रहे हैं, जिसमें उनके समाज की वोटों के अलावा पिछड़ा वर्ग समाज की वोटों को सबसे बड़ा योगदान है।

सूत्रों के अुनसार राजपाल सैनी खतौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं और आगामी वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने पर वह वहां से बाजी भी मार सकते हैं क्योंकि सैनी समाज की इस सीट पर काफी मात्रा में वोट है। यह तो पूरी तरह जगजाहिर ही है कि राजपाल सैनी अपनी बिरादरी के साथ-साथ अति पिछड़ा वर्ग पर अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं। मौजूदा भाजपा विधायक विक्रम सैनी भी इन्हीं सैनी और अन्य पिछड़ा वर्ग समाज की वोटों के सहारे ही विधानसभा का मुंह देख पाये हैं। बसपा के ट्विटर और फेसबुक तक सीमित रहने को देखते हुए अब ऐसा लग रहा है कि वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के दंगल में अब यूपी में भाजपा और सपा के बीच ही चुनावी युद्ध हो सकता है और जनपद मुजफ्फरनगर सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपाल सैनी अखिलेश को सीएम की गद्दी दिलाने और पिछड़ा वर्ग समाज की वोट सपा के खाते में जुटाने के लिये अग्रणीय भूमिका निभायेंगे।

गौरतलब है कि पिछड़ा वर्ग के समाज के बड़े कद्दावर नेता पूर्व सांसद राजपाल सैनी वर्ष 1994 के दौरान जनता दल को छोड़कर मुलायम सिंह यादव के कहने पर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। वर्ष 1994 और 1998 के दौरान वह समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे। वर्ष 1998 में राजपाल सैनी बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए। उन्हें बसपा का जिलाध्यक्ष बनाया गया। बसपा सुप्रीमों मायावती ने उनकी सैनी समाज पर पकड़ को देखते हुए वर्ष 2002 में हुए चुनाव के दौरान उन्हें जनपद मुजफ्फरनगर की मोरना विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया। थोक में मिली सैनी व अन्य समाज की वोटों के चलते चुनाव में जीत हासिल कर राजपाल सैनी मोरना विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। राज्य मे मायावती सरकार जब सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री बनी मायावती ने उन्हे अपने मंत्रीमंडल मेंयुवा कल्याण व खेल मंत्री बनाया। इसके बाद जब दोबारा से बसपा की सरकार आई तो मुख्यमंत्री बनी मायावती ने पूर्व राज्य मंत्री राजपाल सैनी को उत्तर प्रदेश राज्य बीज विकास निगम का चेयरमैन बनाते हुए दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री बनाया। इस दौरान राजपाल सैनी ने मुजफ्फरनगर सीट से बसपा प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा का चुनाव भी लडा लेकिन हार गये। पूर्व मंत्री राजपाल सैनी की पार्टी के प्रति वफादारी को देखते हुए बसपा के राज्यसभा सांसद बने। वर्ष 2017 में खतौली विधानसभा सीट से बेटे शिवान सैनी को बसपा से चुनाव लड़ाया। लेकिन उनके जीत हाथ न लग सकी। जनवरी में अखिलेश यादव से राजपाल सैनी की हुई मुलाकात से ही लोगों ने अंदाजा लगाना शुरू कर दिया था कि राजपाल सैनी का सपा में आना तय है। राजपाल सैनी को सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खासमखास हैं। उनके कहने पर ही उन्होंने वर्ष 1994 में जनता दल को छोड़े साईकिल को चलाने का कार्य किया था। सपा में राजपाल सैनी का सपा में शामिल होने का लोगों का अंदाजा बिल्कुल सही निकला।

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