केजरीवाल और एलजी में फिर ठनी

केजरीवाल और एलजी में फिर ठनी

लखनऊ। अभी एक महीने पहले की ही (जून 2022) की बात है जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना से शिष्टाचार भेंट की थी। इस अवसर पर केजरीवाल ने कहा था कि हम सहज समन्वय कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री से पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल से जिस तरह के रिश्ते थे, हमारी पार्टी अब वैसा कुछ नहीं करना चाहेगी। हो सकता है केजरीवाल की भावना ऐसी रही हो लेकिन दिल्ली राज्य और केन्द्र की सियासत तो केजरीवाल को चैन से सरकार नहीं चलाने देगी। केजरीवाल की यह तीसरी सरकार है और उस समय के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग से लेकर अनिल बैजल तक तनातनी का ही माहौल चलता रहा। अधिकारों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची और कोर्ट ने दोनों के अधिकार तय कर दिये थे लेकिन केन्द्र सरकार इससे संतुष्ट नहीं थी। प्रचंड बहुमत वाली नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दिल्ली राज्य को लेकर एक अधिनियम संशोधित किया जिसके चलते उपराज्यपाल को बहुत ज्यादा शक्ति प्रदान कर दी गयी है। यही कारण रहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल सिंगापुर का दौरा करने वाले थे लेकिन उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने उनको विदेश जाने की अनुमति ही नहीं दी। इस प्रकार केजरीवाल और एलजी मंे एक बार फिर अधिकार-युद्ध शुरू हो गया है। विनय कुमार सक्सेना 23 मई को उपराज्यपाल बने थे।


दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच तल्खी कम होते नहीं दिख रही है। एलजी द्वारा सीएम के सिंगापुर दौरे की फाइल नामंजूर करने के बाद नाराजगी काफी बढ़ गई थी। ऐसे में बताया जा रहा है कि दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना की साप्ताहिक बैठक में सीएम अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए। वहीं, इससे पहले दिल्ली एलजी भी 8 जुलाई को हुई साप्ताहिक बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सिंगापुर के दौरे पर जाने वाले थे, लेकिन उपराज्यपाल द्वारा उनके दौरे की फाइल को नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद से ही राजभवन और दिल्ली सरकार के बीच तल्खी बढ़नी शुरू हो गई थी। वहीं, राज्यपाल ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति पर सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री खफा हो गए। सूत्रों से पता चला है कि इसको देखते हुए सीएम केजरीवाल, एलजी की वीकेंड मीटिंग में शामिल नहीं हुए।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसी साल जून मंे दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ मीटिंग की। यह मीटिंग कितनी महत्वपूर्ण रही, यह सीएम केजरीवाल के बयानों से पता चल गया है। मीटिंग के बाद केजरीवाल खुश नजर आए और उन्होंने कहा कि अब हर शुक्रवार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ मीटिंग करेंगे। हम दिल्ली से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे। चर्चा करने के लिए हर शुक्रवार की शाम लगभग 4-4.30 बजे मिलेंगे। सीएम केजरीवाल ने कहा कि शुक्रवार को हुई इस मीटिंग में पानी और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। हम सहज समन्वय कर रहे हैं। एलजी के साथ बैठक के बाद सीएम ने ये जानकारी दी। मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल की मुलाकात ऐसे समय हुई, जब हाल ही में एलजी ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसपर आम आदमी पार्टी ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद ये फैसला लिया गया कि अब हर शुक्रवार को मीटिंग होगी।

दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे में आती है। इसलिए यहां सरकार को हर काम के लिए एलजी से परमीशन लेनी पड़ती है। बिना एलजी के रजामंदी के काम नहीं होते हैं। हाल ही में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर संवैधानिक व्यवस्था को बिगाड़ने का आरोप लगाया था। एलजी सक्सेना ने दिल्ली जल बोर्ड की मीटिंग ली थी, जिसको लेकर आम आदमी पार्टी ने आपत्ति जताई थी। हालांकि हालात सामान्य हो गये, मीटिंग से तो ऐसा ही लगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया, हमने पानी और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की। हम सहज समन्वय कर रहे हैं। दिल्ली सीएम के पुराने एलजी रहे बैजल से जिस तरह रिश्ते थे, पार्टी अब वैसा कुछ करना नहीं चाहेगी। पूर्व एलजी पर आम आदमी पार्टी ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। एक बार तो कई दिनों तक एलजी के घर के बाहर सरकार के मंत्रियों ने धरना दिया था। इसमें डिप्टी सीएम सिसोदिया से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक ने असहयोग का आरोप लगाया था।

दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल का इस्तीफा दिया। साथ ही राष्ट्रपति ने एक अधिसूचना जारी कर विनय कुमार सक्सेना को दिल्ली के नया उपराज्यपाल बनाने की घोषणा की। इसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर अनिल बैजल के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। वहीं नए उप राज्यपाल विनय कुमार को दिल्ली सरकार की ओर से पूरा सहयोग देने की बात कही। 18 मई को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया था। गत वर्ष 31 दिसंबर को उपराज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल के 5 साल पूरे हो गए थे। हालांकि दिल्ली के उपराज्यपाल का कार्यकाल निश्चित नहीं होता। अपने कार्यकाल के दौरान कई मुद्दों पर केजरीवाल सरकार और अनिल बैजल के बीच कई बार टकराव देखा गया। अनिल बैजल ने एक साल पहले दिल्ली सरकार की 1000 बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी। इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार से उनकी अनबन हुई थी। नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना कानपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। कुछ समय पहले तक वह खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष थे। विनय कुमार सक्सेना ने जेके ग्रुप के साथ राजस्थान में एक सहायक अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया था। वाइट सीमेंट प्लांट के साथ 11 साल काम करने के बाद 1995 में उन्हें गुजरात में प्रस्तावित बंदरगाह परियोजना की देखभाल के लिए महाप्रबंधक के रूप में प्रमोट किया गया था। 2015 में वह केवीआईसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए थे। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 में नियमों के कथित उल्लंघन तथा प्रक्रियागत खामियों को लेकर इसकी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने की सिफारिश की है। इसके बाद सीएम केजरीवाल को गुस्सा आ गया। (हिफी)

अभी एक महीने पहले की ही (जून 2022) की बात है जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना से शिष्टाचार भेंट की थी। इस अवसर पर केजरीवाल ने कहा था कि हम सहज समन्वय कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री से पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल से जिस तरह के रिश्ते थे, हमारी पार्टी अब वैसा कुछ नहीं करना चाहेगी। हो सकता है केजरीवाल की भावना ऐसी रही हो लेकिन दिल्ली राज्य और केन्द्र की सियासत तो केजरीवाल को चैन से सरकार नहीं चलाने देगी। केजरीवाल की यह तीसरी सरकार है और उस समय के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग से लेकर अनिल बैजल तक तनातनी का ही माहौल चलता रहा। अधिकारों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची और कोर्ट ने दोनों के अधिकार तय कर दिये थे लेकिन केन्द्र सरकार इससे संतुष्ट नहीं थी। प्रचंड बहुमत वाली नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दिल्ली राज्य को लेकर एक अधिनियम संशोधित किया जिसके चलते उपराज्यपाल को बहुत ज्यादा शक्ति प्रदान कर दी गयी है। यही कारण रहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल सिंगापुर का दौरा करने वाले थे लेकिन उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने उनको विदेश जाने की अनुमति ही नहीं दी। इस प्रकार केजरीवाल और एलजी मंे एक बार फिर अधिकार-युद्ध शुरू हो गया है। विनय कुमार सक्सेना 23 मई को उपराज्यपाल बने थे।

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच तल्खी कम होते नहीं दिख रही है। एलजी द्वारा सीएम के सिंगापुर दौरे की फाइल नामंजूर करने के बाद नाराजगी काफी बढ़ गई थी। ऐसे में बताया जा रहा है कि दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना की साप्ताहिक बैठक में सीएम अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए। वहीं, इससे पहले दिल्ली एलजी भी 8 जुलाई को हुई साप्ताहिक बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सिंगापुर के दौरे पर जाने वाले थे, लेकिन उपराज्यपाल द्वारा उनके दौरे की फाइल को नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद से ही राजभवन और दिल्ली सरकार के बीच तल्खी बढ़नी शुरू हो गई थी। वहीं, राज्यपाल ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति पर सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री खफा हो गए। सूत्रों से पता चला है कि इसको देखते हुए सीएम केजरीवाल, एलजी की वीकेंड मीटिंग में शामिल नहीं हुए।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसी साल जून में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ मीटिंग की। यह मीटिंग कितनी महत्वपूर्ण रही, यह सीएम केजरीवाल के बयानों से पता चल गया है। मीटिंग के बाद केजरीवाल खुश नजर आए और उन्होंने कहा कि अब हर शुक्रवार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ मीटिंग करेंगे। हम दिल्ली से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे। चर्चा करने के लिए हर शुक्रवार की शाम लगभग 4-4.30 बजे मिलेंगे। सीएम केजरीवाल ने कहा कि शुक्रवार को हुई इस मीटिंग में पानी और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। हम सहज समन्वय कर रहे हैं। एलजी के साथ बैठक के बाद सीएम ने ये जानकारी दी। मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल की मुलाकात ऐसे समय हुई, जब हाल ही में एलजी ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसपर आम आदमी पार्टी ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद ये फैसला लिया गया कि अब हर शुक्रवार को मीटिंग होगी।

दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे में आती है। इसलिए यहां सरकार को हर काम के लिए एलजी से परमीशन लेनी पड़ती है। बिना एलजी के रजामंदी के काम नहीं होते हैं। हाल ही में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर संवैधानिक व्यवस्था को बिगाड़ने का आरोप लगाया था। एलजी सक्सेना ने दिल्ली जल बोर्ड की मीटिंग ली थी, जिसको लेकर आम आदमी पार्टी ने आपत्ति जताई थी। हालांकि हालात सामान्य हो गये, मीटिंग से तो ऐसा ही लगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया, हमने पानी और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की। हम सहज समन्वय कर रहे हैं। दिल्ली सीएम के पुराने एलजी रहे बैजल से जिस तरह रिश्ते थे, पार्टी अब वैसा कुछ करना नहीं चाहेगी। पूर्व एलजी पर आम आदमी पार्टी ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। एक बार तो कई दिनों तक एलजी के घर के बाहर सरकार के मंत्रियों ने धरना दिया था। इसमें डिप्टी सीएम सिसोदिया से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक ने असहयोग का आरोप लगाया था।

दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल का इस्तीफा दिया। साथ ही राष्ट्रपति ने एक अधिसूचना जारी कर विनय कुमार सक्सेना को दिल्ली के नया उपराज्यपाल बनाने की घोषणा की। इसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर अनिल बैजल के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। वहीं नए उप राज्यपाल विनय कुमार को दिल्ली सरकार की ओर से पूरा सहयोग देने की बात कही। 18 मई को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया था। गत वर्ष 31 दिसंबर को उपराज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल के 5 साल पूरे हो गए थे। हालांकि दिल्ली के उपराज्यपाल का कार्यकाल निश्चित नहीं होता। अपने कार्यकाल के दौरान कई मुद्दों पर केजरीवाल सरकार और अनिल बैजल के बीच कई बार टकराव देखा गया। अनिल बैजल ने एक साल पहले दिल्ली सरकार की 1000 बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी। इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार से उनकी अनबन हुई थी। नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना कानपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। कुछ समय पहले तक वह खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष थे। विनय कुमार सक्सेना ने जेके ग्रुप के साथ राजस्थान में एक सहायक अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया था। वाइट सीमेंट प्लांट के साथ 11 साल काम करने के बाद 1995 में उन्हें गुजरात में प्रस्तावित बंदरगाह परियोजना की देखभाल के लिए महाप्रबंधक के रूप में प्रमोट किया गया था। 2015 में वह केवीआईसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए थे। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 में नियमों के कथित उल्लंघन तथा प्रक्रियागत खामियों को लेकर इसकी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने की सिफारिश की है। इसके बाद सीएम केजरीवाल को गुस्सा आ गया। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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