भाजपा को जिताने में खुद हार बैठे मुख्यमंत्री पुष्कर धामी

भाजपा को जिताने में खुद हार बैठे मुख्यमंत्री पुष्कर धामी

देहरादून। उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक किसी भी सरकार ने वापसी नहीं की थी। 2017 में भाजपा ने एक बड़े बहुमत के साथ उत्तराखंड में सरकार बनाई तो मुख्यमंत्री के रूप में त्रिवेंद्र सिंह रावत को कमान सौंपी गई। उसके बाद भाजपा ने तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री बनाया था। चुनाव आते आते जब लगने लगा उत्तराखंड में भाजपा कमजोर पड़ रही है, तब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड की खटीमा विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक बने युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की जिम्मेदारी सौंप दी थी।

मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी के सामने सबसे बड़ी चुनौती उत्तराखंड में फिर से भाजपा की सरकार लाकर इतिहास रचने की थी। यही वजह है कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद कार्यकर्ताओं के सम्मान के लिए अफसरों के पेच कसने शुरू किए तो वहीं धामी उत्तराखंड की छोटी-छोटी समस्याओं को समझ कर उन्हें दूर करने में जुट गए। पुष्कर सिंह धामी का सीधा मकसद था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कैसे उत्तराखंड में भाजपा सरकार की वापसी हो। यही वजह रही कि खटीमा विधानसभा सीट से दो बार विधायक चुने जा चुके पुष्कर सिंह धामी ने अपना नामांकन करने के बाद सिर्फ चार बार खटीमा आकर अपना चुनाव प्रचार किया।


दरअसल पुष्कर सिंह धामी जानते थे कि अगर खटीमा में ज्यादा समय दिया गया तो उत्तराखंड में भाजपा की हार हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए पुष्कर सिंह धामी ने समूचे उत्तराखंड को मथते हुए भाजपा के पक्ष में लहर बनाने की कोशिश की। इधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समूचे उत्तराखंड में पार्टी के प्रत्याशियों के लिए अपनी विधानसभा सीट छोड़कर काम कर रहे थे। वही पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने से नाराज एक बड़ा धड़ा खटीमा में उनके लिए भीतरघात कर रहा था। भाजपा का यह धड़ा दरअसल पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने से खुश नहीं था, यही वजह रही कि उन्होंने खटीमा में पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ काम कर उनको हरवा दिया। नहीं तो कांग्रेस का गढ़ कहीं जाने वाली खटीमा विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में जहां पुष्कर सिंह धामी ने 29539 वोट लेकर चुनाव जीता था, वहीं इस बार उन्हें 40000 से ज्यादा वोट मिली लेकिन फिर भी धामी हार गए ।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इतिहास दोहराते हुए उत्तराखंड में भाजपा की सरकार वापस लौटा दी है मगर वह खुद चुनाव हार गए हैं । अब ऐसे समय में जब केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एवं पीयूष गोयल को भाजपा नेतृत्व ने पर्यवेक्षक बनाकर मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति बनाने के लिए उत्तराखंड भेजा है तो इसी बीच उत्तराखंड के चंपावत विधानसभा सीट से चुनाव जीते कैलाश गाहतोड़ी ने एलान कर दिया है कि अगर पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बनेंगे बनते हैं तो वे अपनी उनके लिए छोड़ देंगे। अब यह तो समय ही बताएगा कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एवं पीयूष गोयल किस नाम को मुख्यमंत्री के लिए चुनते हैं।

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