जनहित में 200 से अधिक धरना प्रदर्शन कर चुके हैं भाकियू नेता राजू अहलावत

किसानों के हित की बात हो या सामाजिक सरोकारों की, राजू अहलावत हमेशा नम्बर वन साबित होते रहे हैं।
मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक व किसानों के मसीहा बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत से प्रभावित होकर आरम्भ से ही भाकियू से जुड़ गये जनपद की खतौली तहसील के गांव भैंसी निवासी राजू अहलावत आज किसानों की पंचायत में बड़ा नाम है। विगत आठ वर्षों से जिलाध्यक्ष के रूप में भारतीय किसान यूनियन का झण्ड़ा बुलन्द करने वाले राजू अहलावत की सबसे खास बात है कि वे पीड़ित के साथ बेहद नर्म और शोषक के साथ बेहद सख्ती से पेश आते हैं।
किसानों के हित की बात हो या सामाजिक सरोकारों की, राजू अहलावत हमेशा नम्बर वन साबित होते रहे हैं। किसानों या पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए राजू अहलावत ने कभी ये नहीं देखा कि सामने वाला कितना ताकतवर है। उन्होंने बस न्याय दिलाने की ठान ली, तो बस फिर वे उतर पडे मैदान में और हमेशा हर मौके पर किसान संगठन की ताकत का लोहा मनवाकर ही दम लिया। सन 2012 में भाकियू जिलाध्यक्ष बनने से पहले उन्होंने भाकियू के युवा तुर्क के रूप में किसानों को सरकार द्वारा अधिग्रहित की गयी उनकी जमीन वाजिब मुआवजा दिलाने के लिए 22 बार हाईवे जाम किया था, जिसका नतीजा ये निकला कि सरकार जिस जमीन का मुआवजा किसानों को केवल 60 रूपया दे रही थी, उसको उसी जमीन का मुआवजा 4500 रूपये तक देना पड़ा था। इसके बाद 2012 में भाकियू जिलाध्यक्ष बनने के बाद राजू अहलावत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वे अब तक किसानों और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए 200 से अधिक धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। किसानों को उचित मुआवजा दिलाने सहित किसानों पर लादे गये झूठे मुकदमे वापिस कराने के लिए सिवाया टोल पर दिया गया उनका धरना बेहद चर्चित रहा था। यह कई दिनों तक चला था। धरने के दौरान टोल की सारी व्यवस्था मिट्टी में मिल गयी थी। इस दौरान उसे करोड़ों के राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ा था। भारतीय किसान यूनियन का ये धरना बेहद सफल प्रदर्शनों में गिना जाता है। इस प्रदर्शन के कारण तत्कालीन बसपा सरकार को झुकना पड़ा था और 300 से अधिक किसानों पर लादे गये झूठे मुकदमों को वापिस लेने सहित मुआवजे और अण्डरपास के लिए भी हाईवे अथाॅरिटी से सहमति बन गयी थी।
भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष व वर्तमान मंडलाध्यक्ष राजू अहलावत ने बताया कि उन्होंने 2016 में चकबन्दी अधिकारियों के भ्रष्टाचार के चलते बुढ्ढाखेडा में एक किसान द्वारा की गयी आत्महत्या के मामले में एकजुट होकर आवाज उठायी थी। किसानों की एकजुटता को देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने मामले की जांच करायी थी और भ्रष्टाचार में लिप्त पाये गये चकबन्दी विभाग के एक अधिकारी व सात कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की गयी थी।
हाल में जिलाधिकारी कार्यालय पर भारतीय किसान यूनियन द्वारा किये गये धरना-प्रदर्शन को डेमेज कंट्रोल की संज्ञा दिये जाने पर भाकियू मंडल अध्यक्ष राजू अहलावत ने कहा कि अफसरों को समझना चाहिए कि भाकियू जिले में है, उन्हें जनता की समस्या को सुनना और समझना पडेगा और उसका निदान भी करना पडेगा। उन्होंने विगत दिनों एक बैठक के दौरान भाकियू के वर्तमान जिलाध्यक्ष धीरज लाटियान को जिलाधिकारी द्वारा बैठने को कहने की बात पर संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी भी दी थी कि प्रशासन को किसानों की बात सुननी ही पडेगी। उन्होंने कहा था कि किसानों का पैसा दबाकर बैठी शुगर मिलों पर दबाव बनाकर किसानों के बकाये गन्ना मूल्य का भुगतान कराना चाहिए, जिससे किसान बिजली के बकाये बिल का भुगतान कर सके।
ऐसा नहीं है कि राजू अहलावत केवल विरोध ही करना जानते हैं, वे अच्छा काम करने पर शासन-प्रशासन सहित सरकार की सराहना भी करते हैं। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद भाकियू नेता राजू अहलावत ने कहा था कि ये सरकार का बेहद सराहनीय कदम है। उन्होंने दावा किया था कि अब भारतीय किसान यूनियन जम्मू-कश्मीर में भी अपना संगठन तैयार करेगी और किसानों की आवाज को हर मोर्चों पर उठायेगी। उनका मानना है कि चाहे बार्डर पर खेती करने का मामला हो या बार्डर पर किसान पुत्रों का सिपाही के रूप में तैनात रह कर सीमाओं की सुरक्षा का मामला हो, किसान का नुकसान ही सबसे अधिक होता है, तो किसान को इस सबका मुआवजा मिलना ही चाहिए।
अगस्त 2018 में आयोजित किसान क्रांति मार्च को लेकर भी तत्कालीन जिलाध्यक्ष रहे राजू अहलावत ने किसानों मे जोश भरा था और उनके आह्वान पर ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में किसान क्रान्ति यात्रा में भाग लिया था। 23 सितंबर से दो अक्टूबर 2018 तक हरिद्वार से दिल्ली के लिए चलने वाली पैदल यात्रा को लेकर भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजू अहलावत ने कहा था कि देश में किसानों का शोषण किया जा रहा है। चीनी मिलें भुगतान नहीं कर रही हैं, जिसके चलते किसानों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। दस साल से पुराने मॉडल के ट्रैक्टरों को खत्म करने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने किसान क्रांति यात्रा में शामिल होने के लिए ग्रामीणों से कहा था कि यात्रा को सफल बनाने के लिए हर घर से 20 रोटी बनवाकर लानी है और एक घर से एक किसान को यात्रा में जरूर शामिल होना है। इस यात्रा केंद्र व राज्य सरकार में हलचल होनी शुरू हो गई थी।
भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजू अहलावत पुरकाजी के चेयरमैन जहीर फारूकी के मामले में अपने सैकड़ो कार्यकर्ताओं को लेकर हाइवे पर धरने पर बैठ गए थे और वहीं धूप में इंस्पेक्टर पुरकाजी को बैठाकर खरी खोटी सुनाई थी। उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि इंस्पेक्टर खुद हत्या की साजिश में शामिल है। भाकियू नेता राजू अहलावन ने चेतावनी दी थी कि अगर जहीर फारूकी को कुछ भी होता है तो भारतीय किसान यूनियन सड़कों से लेकर रेल तक सब जाम कर देंगे। वर्ष 2018 में सड़क दुर्घटना में हुई दो बच्चों की मौत के मामले में उसके बेहद गरीब परिवार को सरकारी सहायता दिलानें के लिए भी राजू अहलावत मैदान में आ गये थे। चार माह तक भी गरीब परिवार की बात नहीं सुने जाने पर उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी थी कि अगर 15 दिनों में पीड़ित गरीब परिवार को मदद नहीं मिलती है तो तहसील का घेराव किया जायेगा, जिसके लिए अफसर खुद जिम्मेदार होंगे। इसके बाद प्रशासन के कानों पर जूं रेंगी थी।
राजू अहलावत ने जनपद के रोहाना के निकटवर्ती खामपुर में मानक के अनुसार नहीं बन पुल का निर्माण रूकवा दिया था और चेतावनी दी थी कि पुल का निर्माण मानक के अनुसार ही होना चाहिए, जिससे भविष्य में दुर्घटना की सम्भावना न रहे। राजू अहलावत सड़कों पर दौड़ रहे ओवरलोड वाहनों के भी खिलाफ हैं, उन्होंने इन ओवरलोड वाहनों पर भी अंकुश लगाने के लिए भी हुंकार भरी थी। उनका कहना है कि शुगर मिल के वाहन क्षमता से अधिक गन्ना लादकर सड़कों पर चलते हैं, जिनसे अक्सर दुर्घनाएं होती रहती हैं। उन्होंने प्रशासन ने इन वाहनों पर लगाम लगाने की मांग भी की थी। राजू अहलावत का कहना है कि जनपद ही नहीं, बल्कि आसपास की कोई तहसील, ब्लाॅक या जिला मुख्यालय ऐसा नहीं है, जहां उन्होंने कई-कई बार धरना-प्रदर्शन नहीं किया हो। ये राजू अहलावत की कार्यशैली ही है कि आठ वर्ष के लम्बे समय तक भाकियू जिलाध्यक्ष रहने के बावजूद उनकी छवि एकदम बेदाग है। उनके दामन पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा है। यही वजह है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध सभी उनकी बात सुनने को बाध्य हो जाते हैं।
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