खाकी वर्दी पहनने का जज्बा- DSP श्रेष्ठा ठाकुर अपने काम से बनी सिंघम

खाकी वर्दी पहनने का जज्बा- DSP श्रेष्ठा ठाकुर अपने काम से बनी सिंघम

शामली। कुछ आईपीएस या पीपीएस अफसर ऐसे हैं, जिनके परिवार के किसी सदस्य या खुद को इंसाफ ना मिलने के बाद वह खुद खाकी वर्दी पहनने का लक्ष्य बनाकर पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की सोचते हैं। एक छात्रा ने खाकी वर्दी पहनना का सपना तब देखा, जब उस छात्रा के साथ हुई छेडछाड़ के बाद मनचलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई ना हो सकी। खाकी वर्दी पहनना और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने का सपना पढ़ाई में शुरूआत से ही होनहार लड़की ने कड़ी मेहनत से साकार कर दिया। खाकी वर्दी पहनने के बाद पीपीएस अधिकारी ने कानून के दायरे से अलग चलने वालों के छक्के छुडाये। पीपीएस अधिकारी की बुलंदशहर पोस्टिंग के दौरान एक वीडियो वायरल हुई थी, जिसे देखकर लोगों ने उनकी प्रशंसा भी की थी। जी हां यह पीपीएस अधिकारी हैं श्रेष्ठा ठाकुर, जिस अफसर को आयरन लेडी और सिंघम के नाम से भी पुकारा जाता है।


श्रेष्ठा एक उत्तम स्त्री को कहा जाता है। 12 अगस्त 1984 को उन्नाव जिले के एक बिजनेसमैन एसबी सिंह भदौरिया के यहां पर जन्मी बच्ची को श्रेष्ठा नाम दिया गया। श्रेष्ठा ठाकुर के दो भाई भी हैं। बड़े भाई का नाम मनीष प्रताप है। इंटरमीडिएट तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिये श्रेष्ठा ठाुकर का एडमिशन कानपुर के एक कॉलेज में हुआ था। कानपुर में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही कुछ मनचलों ने श्रेष्ठा ठाकुर के साथ छेड़छाड की तो श्रेष्ठा ठाकुर ने इग्नोर कर दिया था लेकिन इसके बाद फिर लड़कों ने स्नातक की छात्रा के साथ छेड़छाड की। दोबारा छेडछाड़ होने के बाद छात्रा श्रेष्ठा ठाकुर पुलिस स्टेशन पहुंच गई और छेडछाड करने वाले मनचलों के खिलाफ शिकायत कर दी। छात्रा की शिकायत के बाद पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई ना होने पर श्रेष्ठा ठाकुर के जहन में वर्दी पहनने और एक श्रेष्ठ महिला पुलिस अफसर बनने के लक्ष्य ने जन्म लिया। श्रेष्ठा ठाकुर ने एमबीए की डिग्री हासिल की हुई है।


स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के दौरान हुई छेडछाड़ का आस-पड़ोस के लोगों को पता लगने के बाद परिजनों को ताने मिलने लगते हैं कि लड़की बड़ी हो गई, अब लड़की को अकेले बाहर नहीं जाना चाहिए। इस दौर में बड़े भाई मनीष प्रताप ने अपने बहन श्रेष्ठा ठाकुर का हौंसला कम नहीं होने दिया और पूरा मन पढ़ाई में लगाने के लिये कहा। भाई के सपोर्ट से बहन का हौंसला और बढ़ जाता है और वह एक श्रेष्ठ पुलिस अफसर बनने के लिये अपनी ताकत झोंकना शुरू कर देती है। श्रेष्ठा ठाकुर परीक्षा पासआउट कर साल 2012 बैच की पीपीएस अधिकारी बन गई।


पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर बुलंदशहर, बहराइच और अमरोहा जिले में भी क्षेत्रधिकारी के रूप में कार्य कर चुकी हैं। शासन ने पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर का अमरोहा जिले से ट्रांसफर करते हुए शामली जिले में भेजा। शामली जिले की सीओ सिटी की कमान संभालने के बाद अब पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर थानाभवन क्षेत्राधिकारी के रूप में पुलिसिंग कर रही है। पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के प्रति एक्टिव रहती है। पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर लड़कियों को कानून रूप से मजबूत बनाने रखने के साथ-साथ शारीरिक तौर पर भी मजबूत बनाने के लिये उन्हें ताइक्वांडो का प्रशिक्षण भी देती है।

पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर जब अपने कॉलेज जा रही थी। इसी बीच सड़क किनारे एक लड़का भीख मांग रहा था, जिसे भूख लगी थी। बच्चे को लगी भूख मिटाने के लिये पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ने अपना खाने का टिफिन उस बच्चे को दे दिया था। इतना ही नहीं पीपीएस अधिकारी के बारे में बताया जाता है कि वह अपने हाथ से बना खाना बेसहारा कुत्तों को भी खिलाती है।

पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर ने वर्ष 2017 के महीने जून में भाजपा नेता के बेटा का यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर चालान काट दिया था, जिसके बाद भाजपा नेताओं ने एकत्रित होकर हंगामा किया था लेकिन महिला डीएसपी ने बीजेपी नेताओं की हेकड़ी निकाल दी थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था और जिसे देखकर जनता कह रही थी कि अफसर हो तो ऐसी। सरकारी काम में बाधा डालने पर पांच बीजेपी नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

बहराइच जिले में एक क्षेत्राधिकारी के तौर पर कार्य कर रही थी। इसी दौरान होली के पर्व पर सादे कपड़ों में शहर के बाबा सुंदर सिंह मूक बधिर विद्यालय पहुंचकर दिव्यांग बच्चों के संग पहुंचकर होली खेली और बच्चों को उपहार के रूप में गुझिया, पिचकारी, रंग दिये। बच्चों ने सिंघम पुलिस अफसर श्रेष्ठा ठाकुर को उनके साथ होली का पर्व मनाने के लिये धन्यवाद बोला था। पीपीएस अधिकारी श्रेष्ठा ठाकुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों भी सम्मानित किया जा चुका है।



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