संडे स्पेशल: जब देवर-भाभी धर्मशाला में ढ़ेर हो गया था दस्यु सरगना

संडे स्पेशल: जब देवर-भाभी धर्मशाला में ढ़ेर हो गया था दस्यु सरगना

मुजफ्फरनगर। 90 के दशक में आगरा जोन में एक कुख्यात दस्यु सरगना का अपराध जगत में बोलबाला था । हद तो यहां तक थी कि खाकी पर भी हमला करने में वो हिचकिचाता नहीं था। डकैती, अपहरण, हत्या करना उस सरगना गिरोह का शगल बन गया था। सुपारी लेकर हत्या करने की महारत हासिल रखने वाले इस दस्यु सरगना ने दो सिपाहियों की हत्या कर राइफल भी लूट ली। पुलिस ने उसको अपने निशाने पर तो लिया मगर तीन साल तक वह पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा। 3 साल बाद जब इस दस्यु सरगना का सामना युवा थानेदारों की टीम से बुलंदशहर में हुआ तो इस एनकाउंटर में दस्यु सरगना को जान गंवा कर दुनिया को अलविदा कहना पड़ा। इस एनकाउंटर टीम में शामिल थानेदारों में से एक थे तब बुलंदशहर के सिकंदराबाद थाने के प्रभारी एवं वर्तमान में मुजफ्फरनगर जनपद में तैनात सीओ सिटी राजेश कुमार द्विवेदी और उनके साथ थे वर्तमान में डीजी ईओडब्ल्यू के स्टाफ अफसर सीओ अशोक वर्मा एवं वर्तमान में शामली में तैनात इंस्पेक्टर सुशील कुमार दुबे।


खोजी न्यूज़ का सन्डे स्पेशल


वर्ष 1995 में एक परिवार ने आगरा के तत्कालीन एसएसपी से शिकायत की कि दस्यु सरगना सियाराम निषाद और सिया धमकी दे रहा है कि तुम अपनी बेटी की शादी नहीं करोगे। इस सूचना पर पुलिस ने उस परिवार की सुरक्षा में दो सिपाहियों को तैनात कर दिया। इससे बौखलाए सियाराम निषाद ने सुरक्षा में लगाए गए दोनों पुलिसकर्मियों की हत्या करने के साथ उनकी रायफलें भी लूटकर भाग गया। इस दुस्साहसिक घटना के बाद आगरा की पुलिस सियाराम निषाद के पीछे लग गई, मगर पुलिस को 3 साल तक कामयाबी नहीं मिली। आगरा पुलिस ने सुरागरसी के माहिर अपने दो सिपाहियों देवेंद्र भदोरिया एवं शिवचरण परिहार को सियाराम निषाद के पीछे लगाया हुआ था लेकिन नतीजा सिफर पर ही अटका हुआ था।

कौन था दस्यु सरगना

फिरोजाबाद जनपद के गांव रामदास का पूरा थाना बसई मोहम्मदपुर का निवासी सियाराम निषाद उर्फ सिया ने अपना गैंग बनाया हुआ था। इस गैंग का असली काम सुपारी लेकर हत्या, डकैती, लूट एंव अपहरण करना था। इस गैंग की पहचान होती थी कि यह डकैती के दौरान बलात्कार की घटना जरूर करता था। कई डकैती की घटनाओं में पुलिस इसी तरह के कारनामों से उसके गैंग को ट्रेस कर लेती थी। इस पर लूट, डकैती, हत्या के दर्जनों मुकदमे उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में दर्ज थे। राजस्थान के धोलपुरी जनपद के थाना राय खेड़ा में साल 1993 में इस दस्यु सरगना ने अपने गैंग के साथ मिलकर शादी के दौरान डकैती की घटना को अंजाम दिया था । इस डकैती में भी सियाराम निषाद ने नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था । इस घटना के संबंध में थाना रायखेड़ा पर मुकदमा अपराध संख्या 93/ 1993 धारा 302, 398, 397, 342 दर्ज हुआ था।

ऐसे हुआ था दस्यु सरगना का एनकाउंटर

दो सिपाहियों की हत्या कर भागे दस्यु सरगना के पीछे आगरा पुलिस लगी हुई थी। इसी दौरान पुलिस को सूचना मिली की बुलंदशहर जनपद के छतारी- अतरौली मार्ग के गांव पंडरावल की देवर - भाभी धर्मशाला में दस्यु सरगना सियाराम निषाद छुपा हुआ है। यह सूचना पुलिस को मिली तो बुलंदशहर के तत्कालीन एसएसपी सुभाष चंद्र गुप्ता ने जिले के तेजतर्रार थानेदारों की एक टीम गठित कर सियाराम निषाद को पकड़ने में लगा दिया इस टीम में तत्कालीन थानाध्यक्ष नरौरा अशोक वर्मा, थानाध्यक्ष सिकंदराबाद राजेश कुमार द्विवेदी, एसओ औरंगाबाद जेके सिंह व एसएसपी के रीडर सुशील कुमार दुबे के साथ-साथ सिपाही करण पाल, कीरत सिंह, कृष्णपाल, वीरेंद्र सिंह, अरुण कुमार, विजय सिंह, संजीव कुमार को भी इस टीम में शामिल कर दिया। अपने कप्तान के दिशा निर्देशन में इस पुलिस टीम ने देवर भाभी धर्मशाला को घेरकर दस्यु सरगना को सरेंडर करने के लिए ललकारा । जिस पर दस्यु सरगना ने पुलिस टीम पर फायर कर दिया पुलिस टीम ने भी जवाबी फायरिंग की जिसमें तीन लाख के ईनामी दस्यु सरगना सियाराम निषाद को मौत का सामना करना पड़ा। पुलिस ने उसके पास से 32 बोर का इंग्लिश रिवाल्वर और बंदूक भी बरामद की थी। उस समय सिया राम निषाद पर उत्तर प्रदेश से 2 लाख, राजस्थान से 50 हजार , मध्य प्रदेश से 25 हजार वह अन्य जगह से कई नाम घोषित थे।

इस एनकाउंटर के बाद बुलंदशहर में पुलिस टीम का जगह जगह नागरिक अभिनंदन हुआ था। आम जनता ने इस पुलिस टीम के साथ साथ तत्कालीन सीओ अनूप शहर जेपी अत्रिश, सीओ खुर्जा जयप्रकाश का भी अभिनंदन किया था।

जांच मजिस्ट्रेट ने की थी पुलिस पदक की संस्तुति


इस एनकाउंटर के बाद तत्कालीन डीएम बुलंदशहर ने इस एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे। इसका जांच अधिकारी तत्कालीन एसडीएम शिकारपुर शैल कुमार राय को बनाया गया था। जांच अधिकारी ने अपनी मजिस्ट्रेट जांच में इस कुख्यात दस्यु सरगना के दुस्साहसिक कारनामों को उजागर करते हुए पुलिस टीम के साहसिक गुडवर्क को देखते हुए एनकाउंटर में शामिल पुलिस टीम को पुलिस पदक देने एंव एक रैंक प्रमोशन की प्रबल संस्तुति भी की थी।

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