पुलिस की वर्दी पहनी-इंजीनियर बने लुटेरे-इस तरह चढे पुलिस के हत्थे

नई दिल्ली। तीन इंजीनियर दोस्तों ने स्पेशल 26 फिल्म से प्रेरित होकर अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर काल सेंटरों में लूट की साजिश रच डाली। आरोपी घिटोरनी गांव में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के अधिकारी बनकर एक कॉल सेंटर में डकैती डालने के बाद फरार हो गए। पुलिस द्वारा सघनता के साथ की गई जांच पड़ताल के बाद सभी छह दोस्तों को दबोच लिया गया।
पुलिस उपायुक्त प्रताप सिंह ने बताया कि 15-16 मार्च की रात को घिटोरनी गांव के कॉल सेंटर में डकैती डालने का मामला सामने आया है। कॉल सेंटर के मालिक सुशांत राज ने अपनी शिकायत में बताया कि 4 लोग पहले एक गाड़ी में सवार होकर कॉल सेंटर के गेट पर आए। जहां उन्होंने देखा कि कॉल सेंटर में काम नहीं चल रहा है और वहां पर कोई भी मौजूद नहीं है। इसके बाद कार में सवार होकर आए लोगों ने गेट तोड़ दिया और कॉल सेंटर के भीतर घुस गए। आरोपियों ने वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी को जमकर पीटा और उसे बंधक बना लिया। आरोपियों ने कॉल सेंटर का दूसरा गेट तोड़ा और वहां से सामान लूट लिया। घटना के दौरान कॉल सेंटर के मालिक भी जाग गए तो आरोपियों ने उन्हें खुद को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा का अधिकारी बताकर वहां से फरार हो गए। मुकदमा दर्ज होने के बाद इंस्पेक्टर अजय कुमार नेगी, एसआई मुकेश, एएसआई रामनिवास की टीम ने संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू की। पुलिस ने मौके के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज, सर्विलांस और मुखबिरों के जरिए जानकारी जुटाई। लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। पुलिस ने सुरक्षाकर्मी और मालिक से दोबारा पूछताछ की तो सामने आया कि लॉकडाउन के बाद से उनका दफ्तर बंद है। लेकिन वह लोगों को साक्षात्कार लेने के लिए नोएडा अभी जा रहे हैं। पुलिस ने साक्षात्कार किए गए सभी लोगों से पूछताछ की। पूछताछ किए जाने के दौरान सुमित कुमार का नाम सामने आया। सुमित के बारे में जानकारी जुटाने के बाद पुलिस को पता चला कि वारदात वाली रात उसका मोबाइल घटनास्थल वाली जगह पर एक्टिव था।
पुलिस ने सुमित को हिरासत में लेकर जब पूछताछ शुरू की तो सारा मामला खुल गया और पुलिस आरोपियों तक पहुंच गई। जांच में यह भी सामने आया है कि पीडित सुमित का पुराना दोस्त है और वह उसे पहले से जानता था। पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि स्पेशल 26 फिल्म देखकर वह उससे प्रभावित हुए और इसके बाद उन्होंने फिल्म की तरह ही लोगों को लूटने की साजिश रच डाली। आरोपियों में मुदासिर नजीर खुद को एसीपी और रघुविंदर इंस्पेक्टर और बाकी के लोग उनकी टीम के रूप में काम करते थे। आरोपी पहले कॉल सेंटर का चयन करते थे। उसके बाद वेब और स्थानीय लोगों के जरिए जानकारी जुटाने थे। फिर सभी आरोपी काल सेंटरों में छापा मारने के लिये जाते थे और काल सेंटरों के मालिकों से समझौता करने के नाम पर पैसे वसूलते थे।