सेवानिवृत्त अधिकारियों को निशाना बनाने वाला नटवरलाल चढ़ा पुलिस के हत्थे

सेवानिवृत्त अधिकारियों को निशाना बनाने वाला नटवरलाल चढ़ा पुलिस के हत्थे

लखनऊ। बीमा में बोनस देने, जीवन भर हेल्थ इंश्योरेंश दिलाने व कम्पनियों में इनवेस्ट करने पर कम समय मे रूपया दोगुना करने का झांसा देकर रिटायर्ड अधिकारियों से कई करोड़ की ठगी करने वाले गैंग के मास्टरमाइंड को लखनऊ से गिरफ्तार करने में एसटीएफ को उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई।

बुधवार को राजधानी में हुई प्रेसवार्ता में एसटीएफ के एसएसपी अनिल कुमार सिसोदिया ने बताया कि यूपी एसटीएफ को पिछले काफी समय से बीमा मे बोनस देने, जीवन भर हेल्थ इंश्योरेंश दिलाने व कम्पनियों मे इनवेस्ट करने पर कम समय मे रूपया दोगुना करने का लालच देकर जनता से कई करोड़ रूपये की ठगी करने वाले सूचना प्रोद्योगिकी अधि व थाना गाजीपुर पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ में वांछित गिरोह के मास्टरमाइंड रामेन्द्र कुमार मिश्रा के सम्बन्ध में सूचनाए प्राप्त हो रही थी। इस सम्बन्ध में प्राप्त सूचना को विकसित करते हुए मुखबिर खास द्वारा मिली सूचना के आधार पर दो फरवरी को पालीटेक्निक चौराहा लखनऊ से मुख्य आरोपी रामेन्द्र कुमार मिश्रा पुत्र मूलचन्द्र मिश्रा निवासी महसी, थाना हरदी, जिला बहराइच हाल पता-प्रेम बिहार बाग कालोनी मटियारी, थाना चिनहट, जनपद लखनऊ को गिरफ्तार किया गया।


इस गिरोह के 10 सदस्यों को पूर्व में माह अगस्त 2020 मे उप्र एसटीएफ व लखनऊ पुलिस द्वारा रिटायर्ड अपर निदेशक उप्र चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएं डाक्टर सीबी चौरासिया निवासी इंदिरा नगर लखनऊ से लगभग 40 लाख रूपये व रिटायर्ड पुलिस उपाधीक्षक रंजीत सिंह बोरा निवासी एनडी तिवारी निवासी विकास नगर लखनऊ से 414474 रूपये के बीमा में बोनस देने, जीवन भर हेल्थ इंश्योरेंश दिलाने व कम्पनियों मे इनवेस्ट करने पर कम समय में दोगुना करने का लालच देकर फर्जी कम्पनियों एलायंज ग्रीन सिटी, आरआईएल डेवलपर्स, एमडीआई ई कामर्स, मैक्स लाइफ म्युचुअल फाउंडेशन, गोल्डेन आरकिड, वेट फोलिओ सर्विस आदि के के नाम से खोले गये बैंक खातों मे जमा कराकर की गयी ठगी के परिप्रेक्ष्य मे थाना गाजीपुर पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ व थाना विकास नगर पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ पर पंजीकृत मुकदमें मे गिरफ्तार किया जा चुका है।

गिरोह से भारी मात्रा मे कूटरचित बीमा पालिसी बाण्ड बरामद किया गया था। पूछताछ में गिरफ्तार किये गये आरोपी ने बताया कि हम लोगों का एक संगठित गिरोह था। हमारे गिरोह का सदस्य वेद प्रकाश जो फर्जी नाम पते पर कम्पनी रजिस्टर्ड कराता था एवं कम्पनियों के नाम पर विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाता था। कम्पनियों के नाम पर खोले गये बैंक खातों के एटीएम व चेक बुक हस्ताक्षरित कराकर वेद प्रकाश अपने साथी अभिनव सक्सेना को उपलब्ध करा देता था। जिसके लिए वेद ठगी से खातों में आये हुए रूपयों का 25 प्रतिशत कमीशन लेता था। नेहा सक्सेना जो पीएनबी मेट लाइफ में कार्यरत थी, वह अपने पति रितेश के साथ मिलकर इंश्योरेंश से सम्बन्धित कस्टमर का डेटा निकालकर हम लोगों द्वारा खोले गये काल सेंटरों में उपलब्ध कराती थी। इस डेटा पर प्रिया , मिनाक्षी के साथ मिलकर दिल्ली, मुम्बई आफिस की इंश्योरेंश कर्मचारी बनकर राशी, श्रद्वा, अशी मलिक, मोनिका आदि नाम से नाम बदल-बदल कर काल करती व कराती थी। हम लोगों द्वारा ज्यादातर रिटायर्ड अधिकारियों को टारगेट किया जाता था।

कस्टमर को विश्वास दिलाने के लिए इश्योरेंश कर्मचारियों के साथ मिलकर प्रिया व मिनाक्षी द्वारा कम्पनी के नम्बर से कस्टमर को काल एसएमएस व व्हाटसएप कराया जाता था। जब कस्टमर को विश्वास हो जाता था तो अभिनव व मिनाक्षी कस्टमर से जाकर मिलते है। यदि कस्टमर कैश मे पेमेंट नही करता था तब उससे पीएनबी, मैक्स लाइफ, आरएलआई आदि नाम से चेक ले लेते थे और बाद में मैक्सलाइफ के आगे म्युचुअल फाउंडेशन, पीएनबी के आगे सर्विसेज आदि लिख कर फर्जी कंपनियों के बैंक खातों मे भुना लेते थे। मैक्सलाइफ म्युचुअल फाउंडेशन नाम से मेरी भी एक कम्पनी थी। जिसके खाते मे मैक्स लाइफ के नाम से लिए गए चेक पर अपने हाथ से ही म्युचुअल फाउंडेशन लिखकर चेक क्लियर करा ली जाती थी।

वेद को 25 प्रतिशत कमीशन देकर बचे रूपये को हम लोग आपस में बराबर बराबर बांट लेते थे। इसके अतिरिक्त कस्टमर को विश्वास दिलाने के लिए मिनाक्षी और प्रिया मिलकर कूटरचित बांड व रसीदें तैयार कर लेती थी जिससे कस्टमर का रिनिवल मिलता रहता था। कई वर्ष तक रिनिवल जमा करने पर जब कस्टमर को बतायी गयी योजना के तहत लाभ और बोनस नही मिलता था तो वह पुलिस या इंश्योरेंश कम्पनी के ऑफिसर जाने की बात करता था। तब अभिनव व रितेश द्वारा ग्राहकों को फोन करके खुद को आईआरडीए का अधिकारी बताकर अपने पास शिकायत दर्ज करा ली जाती थी और एडवोकेट से सिविल सूट दायर करने, इसके बाद रूपया वापस दिलाने व वापस मिल रहे रूपये का जीएसटी आदि के नाम पर भी कस्टमर से 2-3 वर्ष तक ठगी की जाती थी।

इस काम में एडवोकेट सिविल सूट की प्रक्रिया के बारे में समझाता था। मेरे गैंग के लोगों को अगस्त 2020 में जब से गिरफ्तार किया गया था तब से मैं अपना घर बदल कर रह रहा था और इन लोगों के मुकदमे में पैरवी कर रहा था। बताया जा रहा है कि अब तक इस गैंग द्वारा विगत 5 वर्ष में सैकड़ों लोगों से करोडों की ठगी की जा चुकी है । इस गैंग के सदस्य पूर्व में विभिन्न इंश्योरेंश कम्पनियों में भी कार्य कर चुके है।

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