मस्जिद में हनुमान चालीसा पाठ

मथुरा। उत्तर प्रदेश में मथुरा के गोवर्धन क्षेत्र में गोवर्धन- बरसाना रोड पर स्थित ईदगाह पर मंगलवार को चार युवकों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। पुलिस ने चारों युवको को शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डाॅ0 गौरव ग्रोवर यहां कहा कि मथुरा की फिजा को बिगड़ने नही दिया जाएगा और जो इसके साथ खिलवाड़ करेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने बताया कि सौरभ नम्बरदार, राघव मित्तल, रौकी (सभी निवासी जतीपुरा परिक्रमा मार्ग गोवर्धन)सौरभ नम्बरदार, राघव मित्तल, रौकी तथा पुरोहित, मोहल्ला गोवर्धन निवासी कान्हा आज ईदगाह पर गए और वहां पर हनुमान चालीसा का पाठ किया। ईदगाह के मुतवल्ली अनवर हुसेन एडवोकेट ने बताया कि उन्होंने इसकी सूचना गोवर्धन के चेयरमैन खेमचन्द्र शर्मा को दी। चेयरमैन ने इसकी सूचना पुलिस को दी जिसने जाकर चारो युवकों को 151 सीआरपीसी के तहत गिरफ्तार कर लिया। चारों युवक भाजपा के एक संगठन से जुड़े बताए जाते हैं। सौरभ नम्बरदार अपने आप को आजाद सेना का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा करता है।
एक चश्मदीद के अनुसार युवकों ने थाने जाते समय कहा कि उन्होंने यह कार्य भाईचारे के तहत किया है। जब वे लोग मन्दिर में नमाज अदा कर सकते हैं तो उन्होंने मस्जिद में हनुमान चालीसा का पाठ कर कोई गलत काम नही किया। पुलिस ने बाद में चारों को एसडीएम राहुल यादव की अदालत में पेश किया जहा उन्हें दो दो लाख के मुचलके पर छोड़ दिया गया ।
उधर नन्दबाबा मन्दिर नन्दगांव में खुदाई खिदमतगार संस्था नई दिल्ली के दो सदस्य फैजल खान, चांद मोहम्मद 29 अक्टूबर को दोपहर साढ़े 12 बजे मन्दिर में आए । उनके साथ इसी संस्था के सदस्य आलोक रतन एवं नीलेस गुप्ता भी थे। फैजल और चांद ने वहां पर नमाज अदाकर फोटो खिंचाया और उसे वाइरल कर दिया था।
पुलिस अधीक्षक देहात श्रीशचन्द्र ने बताया अभियुक्त फॅजल खां को सोमवार को दिल्ली से गिरफ्तार कर जुडीशियल मजिस्ट्रेट छाता स्वाती सिंह की अदालत में लाया गया लेकिन कोरोना पाजिटिव निकलने के कारण उसे एम्बुलेन्स से नही उतारा गया और जुडीशियल मजिस्ट्रेट खुद वहां चलकर आई। उसे 14 दिन के जुडीशियल रिमान्ड पर के0डी0 मेडिकल में इलाज के लिए भेजा गया है। उसे पूर्व में 153 /295/505 आईपीसी के तहत गिरफ्तार किया गया था। पूंछतांछ के बाद उन पर धरा 419/420/467/468/471 आइपीसी की धाराएं और जोड़ दी गई है। वे अपने आप को खुदाई खिदमदगार संस्था का सदस्य बताते हैं। जब कि यह संस्था स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अब्दुल गफ्फार खां के निधन के बाद ही समाप्त हो गई थी।