सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल - महिला बंदियों ने रखा अहोई का व्रत

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल - महिला बंदियों ने रखा अहोई का व्रत

मुजफ्फरनगर। अश्विन मास की अष्टमी तिथि पर आज जिला कारागार में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली है। बच्चों की सलामती के लिए जेल में बंद 36 महिलाओं ने व्रत रखा जिसमे मुस्लिम समुदाय की 3 महिला बंदियों ने सामूहिक रूप से व्रत रखकर पूजा अर्चना की और ध्रुव तारे को देखकर अपने व्रत का पारायण किया।


महिला बंदियों के अहोई अष्टमी व्रत के लिए जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा की ओर से विशेष व्यवस्थाएं की गई थी। सोमवार को देशभर के साथ मुजफ्फरनगर के जिला कारागार में भी अहोई अष्टमी का व्रत पूरे श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया। विभिन्न मामलों में कारागार में बंद चल रही महिला बंदियों ने सांप्रदायिक सौहार्द की एक शानदार मिसाल पेश करते हुए हिंदू मुस्लिम महिलाओं ने अपने बच्चों की सलामती के लिए पूरे दिन अहोई अष्टमी का निर्जला व्रत रखा।

पूरे दिन महिलाओं ने कुछ भी नहीं खाया पिया और बच्चों की सलामती की अहोई माता से प्रार्थना की। जेल प्रबंधन की ओर से की गई व्यवस्थाओं के अंतर्गत सुबह से व्रतधारी महिलाओं ने शाम के समय ध्रुव तारे को देखकर अपने व्रत का पारायण किया। जेल प्रबंधन की ओर से व्रत रख रही महिलाओं को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी, जिसके चलते महिलाओं को ऐसा जरा भी नहीं लगा कि वह अपने घर के बजाय जेल के भीतर बच्चों की सलामती के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखकर भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण पर्व को मना रही हैं।

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