जन्मदिन विशेष- गुडवर्क से गोल्ड लेने वाले IPS संजीव कर रहे हैं गुड पुलिसिंग

जन्मदिन विशेष- गुडवर्क से गोल्ड लेने वाले IPS संजीव कर रहे हैं गुड पुलिसिंग

मुजफ्फरनगर। एक कहावत है कि लहरों से डरकर नैय्या पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, इस कहावत को एक युवा ने आईपीएस अफसर बनकर चरितार्थ किया है। माता-पिता द्वारा अपने दिल में बेटे को सिविल सर्विसेज का अधिकारी बनाने का सपना संजोया गया था। माता-पिता का सपना साकार करने के लिये आईआईटियन बेटे ने हाईपैकेज वाली जॉब छोड़कर परीक्षा दी लेकिन वह पहले प्रयास में सफल नहीं हुए तो वह निडरता का परिचय देते हुए लगातार हिम्मत दिखाते हुए प्रयासों में लगे रहे और अंततः वह सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर एक आईपीएस अधिकारी बन गये। आईपीएस अधिकारी को उनके द्वारा किये गये गुडवर्कों का दो बार इनाम मिल चुका है। आईपीएस अफसर को 26 जनवरी 2021 को पुलिस महानिदेशक का प्रशंसा चिन्ह सिल्वर व 15 अगस्त 2022 को डीजीपी का प्रशंसा चिन्ह गोल्ड मिल चुका है।

जी हां हम बात कर रहे हैं आईपीएस संजीव सुमन की। आईपीएस संजीव सुमन मूल रूप से बिहार प्रदेश के जनपद खगड़िया जिले के रहने वाले हैं। संजीव सुमन का जन्म महेश्वर के परिवार में 30 नवम्बर 1986 को हुआ था। संजीव सुमन ने प्रारंभिक शिक्षा से लेकर इंटरमीडिएट तक की शिक्षा बोकारो के संत जेवियर स्कूल से पूर्ण की है। इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद संजीव सुमन उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिये उत्तराखंड के आईआईटी रूड़की चले गये थे, जहां से उन्होंने कम्प्यूटर साइंस से बी.टेक किया। संजीव सुमन का सपना एक अच्छी-खासी नौकरी करने का था और उनके माता-पिता का सपना था कि उनका पुत्र सिविल सर्विसेज में जाकर लोगों की सेवा करे। साल 2014 बैच के आईपीएस अफसर व मुजफ्फरनगर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन के जन्मदिन पर पेश है खोजी न्यूज की विशेष स्टोरी...


बी.टेक की पढ़ाई पूरी होने के बाद संजीव सुमन को बेंगलूरू में एक अमेरिकन प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी जॉब मिल गई थी। नौकरी करने के दौरान ही संजीव सुमन के मन में सिविल सर्विसेज में जाने का सवाल भी उठ रहा था, जो उनको सिविल सर्विसेज में जाने के लिये प्रेरित कर रहा था। माता-पिता की सलाह के बाद संजीव सुमन ने सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला ले लिया था। हालांकि नौकरी करने के दौरान ही संजीव सुमन को एक कम्पनी द्वारा हाईपैकेज वाली जॉब का ऑफर मिला लेकिन उन्होंने उसे भी ठुकरा दिया था क्योंकि उन्हें अपने माता-पिता का सपना साकार करते हुए जनसेवा करनी थी।

संजीव सुमन ने कम्पनी से एक वर्ष का मेडिकल लीव मांगी तो कम्पनी ने मना कर दिया, जिसके बाद उन्होंने अगले दिन ही नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। अच्छी-खासी नौकरी छोड़ने के बाद संजीव सुमन सिविल सर्विसेज की परीक्षा को पास करने के लिये तैयारी में जुट गये लेकिन वह पहले अटेम्प में असफल हो गये। असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने माता-पिता के सपने को रियल बनाने के मकसद से जुटे रहे। संजीव सुमन तीसरे अटेम्ट में वर्ष 2013 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा को पास कर वह साल 2014 बैच के आईपीएस अफसर बन गये।


आईपीएस संजीव सुमन ने अंडर ट्रेनी के रूप में बुलंदशहर के एक थाने में एसएचओशिप की। आईपीएस संजीव सुमन आजमगढ़ और बागपत में एएसपी रहे। संजीव सुमन एएसपी बागपत के पद पर साल 2016 से अप्रैल 2018 तक तैनात रहे। बागपत से संजीव सुमन का तबादला करते हुए उन्हें कानपुर का एसपी वेस्ट बनाया गया। कानपुर में एसपी वेस्ट के पद पर संजीव सुमन 31 अक्टूबर 2019 तक रहे, जिसके बाद उन्हें हापुड जिले में पुलिस कप्तान बनाया गया। पुलिस कप्तान के रूप में जनपद हापुड में आईपीएस अफसर संजीव सुमन की पहली पोस्टिंग थी।

शासन ने आईपीएस अफसर संजीव सुमन का 1 दिसम्बर 2020 को लखनऊ कमिरनरेट में ट्रांसफर करते हुए उन्हें डीसीपी पूर्वी बनाया था। लखीमपुर खीरी में वर्ष 2021 की तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में लापरवाही बरतने के आरोप में आईपीएस विजय ढुल को हटाकर शासन ने आईपीएस संजीव सुमन को 11 नवम्बर 2021 को लखीमपुर खीरी पुलिस कप्तान की कमान सौंपी थी। शासन द्वारा आईपीएस संजीव सुमन का लखीमपुर खीरी से मुजफ्फरनगर तबादला कर दिया गया है, जिसके बाद आईपीएस अफसर संजीव सुमन ने 12 जनवरी को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरनगर का कार्यभार ग्रहण किया है। अब आईपीएस संजीव सुमन मुजफ्फरनगर एसएसपी के रूप में कार्य कर रहे हैं।

युवा आईपीएस ने चलाया था बागपत में बदमाशों पर चाबुक

आईपीएस संजीव सुमन ने बागपत में तैनाती के दौरान दो बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर करने का काम किया था। इसके अलावा पश्चिमी यूपी में आतंक का पर्याय बन चुके लखटकिया इनामी बदमाश अजीत हप्पू को आईपीएस संजीव सुमन ने अधीनस्थों के साथ मिलकर कड़ी मेहनत के बाद राजस्थान से गिरफ्तार किया था। अजित हप्पू के विरूद्ध 8 मर्डर और ढाई दर्जन से अधिक गंभीर मामले पश्चिम यूपी के थानों पर दर्ज थे। इसके अलावा आईपीएस संजीव सुमन ने आठ इनामी बदमाशों पर अपन हंटर चलाते हुए उन्हें भी कारागार एक्सप्रेस में रवाना कर दिया था।

अजीत सिंह हत्याकांड के मुख्य शूट को मुठभेड़ में किया था ढे़ेर

बताया जाता है कि पूर्व जेष्ठ प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड का मुख्य शूटर गिराधरी को हत्याकांड में इस्तेमाल किये गये असलहा की बरामदगी के लिये रिमांड पर लाया गया था। इसी दौरान रास्ते में पड़ने वाले गोमतीनगर थाना इलाके के खरगापुर रेलवे क्रासिंग के पास पहुंचते ही गिरधारी ने सिर झपटते हुए दरोगा अख्तर उस्मानी के चेहरे पर हमला बोलते दिया था और पिस्टल छीन ली थी। गिरधारी को पुलिसकर्मियों ने पकड़ने का प्रयास किया था तो वह पिस्टल से फायरिंग कर फरार होने का प्रयास कर रहा था। इस दौरान पुलिस की जवाबी कार्रवाई में गिरधारी ढेर हो गया था। बताया जाता है कि गिरधारी 2001 से अपराध जगत में रहकर घटनाओं को अंजाम दे रहा था।

अल्प समय में ही खोल दी थी ऋषभ तोमर हत्याकांड की पोल

जिले हापुड़ के थाना सिंभावली इलाके में 22 जुलाई 2020 को हुए ऋषभ तोमर हत्याकांड का हापुड के तत्कालीन एसपी संजीव सुमन ने अल्प समय में खुलासा कर दिया था। तत्कालीन एसपी संजीव सुमन ने खुलासे करते हुए बताया था कि इकलौते बेटे की हत्या पिता ने 2 लाख रूपये की सुपारी देकर करवाई थी। पुलिस ने पिता सहित दो सुपारी किलर को दबोचकर उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें बड़ेघर भेज दिया था। पुलिस ने आरोपियों के पास से डेढ़ लाख रूपये भी बरामद किये थे।

डबल मर्डर का खुलासा कर 24 घंटे के भीतर मारा था आरोपियों की गिरफ्तारी का छक्का

लखीमपुर खीरी के निघासन थाना इलाके में की गई दो बहनों की हत्या का लखीमपुर के तत्कालीन एसपी संजीव सुमन ने खुलासा करते हुए 6 आरोपियों को 24 घंटे के भीतर दबोचकर उन्हें जेल भेज दिया था। बताया गया कि आरोपियों ने दोनों बहनों को अगवा कर खेतों में लेकर जाकर दुष्कर्म की वारदात का अंजाम दिया था और बाद में दुपट्टे से गला घोंटकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था।

क्राईम कंट्रोल करने हेतु कप्तान संजीव सुमन द्वारा क्रिमनलों पर की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई

आईपीएस अफसर संजीव सुमन मुजफ्फरनगर में एसएसपी के रूप में गुड़ पुलिसिंग कर रहे हैं। जिले में कानून व्यवस्था बनाये रखने के उद्देश्य से आईपीएस अफसर संजीव सुमन को अपराधियों के प्रति सख्त अंदाज के रूप में देखा जाता हैं। वहीं फरियाद लेकर आये पीड़ितों के साथ एसएसपी संजीव सुमन द्वारा नरम लहजे से बात की जाती है और उनकी समस्याएं सुनी जाती है। जिले में 21 थाने हैं और दर्जनों पुलिस चौकियां हैं। एसएसपी संजीव सुमन द्वारा अपने अधीनस्थों को भी यही निर्देश दिये गये हैं कि बदमाशों से सख्ती से निपटा जाये और पीड़ित के साथ कुशल व्यवहार करते हुए उसकी समस्या का निवारण कराया जाये।

एसएसपी संजीव सुमन के निर्देशन में थानों की पुलिस द्वारा बदमाशों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है। उनके कार्यकाल में चोरी, लूट, डकैती, हत्या जैसी घटनाओं का खुलासा कर मुजफ्फरनगर पुलिस ने बम्पर में अपराधियों के विरूद्ध कार्रवाई कर उन्हें कारागार एक्सप्रेस में रवाना किया है। वहीं भोले-भाले लोगों का बेवकूफ बनाकर उनसे रकम ठगने वाले साइबर ठग के चंगुल से रकम निकालकर पीड़ित का वापस कराने में भी मुजफ्फरनगर पुलिस पीछे नहीं रही।पुलिस द्वारा की जा रही निरंतर कार्रवाई के खौफ के चलते बदमाशों ने पुलिस के सामने सरेंडर किया। एसएसपी संजीव सुमन के नेतृत्व में मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा सिर्फ दो दिनों में विभिन्न मामलों में फरार चले रहे 202 वारंटियों को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया था।

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