संस्मरण-नवोदय विद्यालय के टाॅपर रहे है आईपीएस बबलू कुमार

संस्मरण-नवोदय विद्यालय के टाॅपर रहे है आईपीएस बबलू कुमार
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आगरा। जनपद आगरा में तैनात आईपीएस बबलू कुमार बिहार प्रदेश के मधुबनी शहर के रहने वाले है। उनके पिता का नाम प्रो० रामशरण पंजीयार है। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा कक्षा पांच तक प्राथमिक विद्यालय मधुबनी में ही हुई। एसएसपी आगरा बबलू कुमार ने अपने जीवन के बारे में बताया कि उनके भाई सरोज कुमार डॉक्टर थे। उन्होंने इंजीनियरिंग की थी लेकिन सिविल सर्विस में जाना था इसलिए वही चुना उन्होंने बताया कि उनका काम करने का अपना अलग ही तरीका है। वह एक समय में एक ही काम करते है। यदि पढ़ना है तो पढ़ेगे और खेलना है तो खेलेगे। यदि मूवी देखनी है तो उसे देखो लेकिन जो करता था वह एक ही काम मन लगाकर करता था। उन्होंने बताया कि शुरू से ही ज्ञान और अनुभव हासिल करना उनका मकसद रहा है। अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए बबलू कुमार अपने मित्रो को पढाया भी करते थे। उनका मानना है कि दूसरो को पढाने से अपना ज्ञान बढता है। यही वजह थी कि उनके कई सहपाठी उनसे पढा करते थे। जो भी उनसे कुछ पूछता था वह बेहिचक उसे बता दिया करते थे। कठिन से कठिन विषय को वह अपने सहपाठियों को बताया करते थे। उनके मन में कभी यह ख्याल नहीं आया कि जिस विषय की जानकारी वह अपने सहपाठियो को दे रहे है उनके आधार पर उनके सहपाठी की परीक्षा में उनसे अधिक नम्बर आ जायेंगे। बबलू कुमार बताते है कि वह किताब पढकर नोटस तैयार करते थे। यदि कोई उनका सहपाठी पूछने आ जाता था तो उसे अच्छी तरह समझाया करते थे। यह भावना कभी मन में नही आई कि हमसे जानकर इस सहपाठी के अधिक नम्बर आ जायेंगे। उन्होंने बताया कि वह जवाहर नवोदय विद्यालय के 10 प्लस 2 के पूरे भारत के टॉपर है। मेरे बाद जिस मेरे सहपाटी के नम्बर थे उनमें 9 प्रतिशत का अंतर है। मेरे नम्बर 92 प्रतिशत तथा मेरे दूसरे सहपाटी के 83 प्रतिशत है। उन्होने बताया कि वर्ष 1999 में उन्होंने 10 प्लस 2 में टॉप किया था। उन्होंने नवोदय विद्यालयो के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि पूरे देश में 600 नवोदय विद्यालय है। इन विद्यालयो में जातिगत भावना नहीं है। हर जाति और धर्म के छात्रो को सभी भेदभाव से दूर रहकर शिक्षा दी जाती है। यह ऐसे विद्यालय है जहां पर पढ़कर दोस्ती बहुत अच्छी हो जाती है। यही वजह है कि मैं बहुत से दोस्तो का अच्छा दोस्त हूँ और मेरे भी अच्छे दोस्त है। मेरे सम्बन्ध अपने दोस्तो से इतने अच्छे है कि जब भी कभी उनका फोन आ जाता है तो सम्बन्ध फिर रिनिवल हो जाते है। मेरे मित्रो में विनय है जो आर्टस का ऑल इंडिया का टॉपर रहा है और वर्तमान में आर्मी में मेजर के पद पर तैनात है। दूसरा मित्र राजीव रंजन प्रभात है जो दिल्ली में बैंक मैनेजर है। एक अन्य मित्र सुरेन्द्र टीचर है। विनोद कुमार इंजीनियर हैं। जवाहर नवोदय विद्यालय में देश के प्रति समर्पित भाव से कार्य करना सिखाया जाता है।


कक्षा 6 से 12 तक जवाहर नवोदय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् बबलू कुमार ने कानपुर से वर्ष 2000 से लेकर 2004 तक बीटेक की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने बताया कि मेरी सर्विस बीटेक करने के बाद सैमसंग कंपनी में लग गई इसी बीच शिकागो से भी बुलावा आ गया। मैनें घर की जिम्मेदारी पूरी करने के लिए तथा धन अर्जित करने के लिए शिकागो जाना चुना। चूंकि मैने जिस सोसाइटी के धन से अपनी शिक्षा पूरी की थी उसको वापस भी करना था और वह शिकागो जाकर ही हो सकता था क्योकि वहां का पेस्कूल काफी अच्छा था। वर्ष 2004-05 में मैने शिकागों में जाकर नौकरी की। मेरी ढाई लाख रूपये सैलरी थी। सब कुछ काटकर मुझे सवा लाख रूपये बच जाते थे। मैने उन पैसो से अपने परिवार की सारी जिम्मेदारियां पूरी की। मेरे दोस्त मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे। वह संघर्ष कर रहे थे। मैने उनकी आर्थिक मदद की। मेरे कुछ दोस्त लोन लेकर अपनी पढाई पूरी कर रहे थे। मैने उनका लोन चुकाया। कुछ दोस्तो के परिवार में शादी आदि कार्यक्रमो में भी मदद की। आज मेरे वह सब दोस्त स्टेबलिश हो चुके है। मेरा एक दोस्त साहूकार से पैसा उधार लेकर पढा था। उसका उधार मैने चुकाया। आज वह बीएचईएल हरिद्वार में इंजीनियर है। बाद में उसने वह पैसा वापस भी कर दिया था। मेरे एक दोस्त के पिता अस्पताल में एडमिट थे। उसकी मैने मदद की। मै शिकागों में डेढ़ साल रहा। इस दौरान तकरीबन 8 लाख रूपये से मैने अपने दोस्तो की मदद की। मेरा शिकागो जाने का मकसद वहां का सिस्टम देखने का था। वहां का नागरिक अपने देश के प्रति एक अच्छी सोच रखता है। वह अपने देश की आलोचना नही करता है और न ही सुनता है। देश के प्रति हर नागरिक समर्पित भाव से कार्य करता है। मैने यह सब शिकागो में रहकर सीखा। शिकागो में किशोर कुमार और लता मंगेशकर के गानो को सुनकर गाना गुनगुनाने के शौकीन बने बबलू कुमार पंसदीदा खेल के बारे में पूछने पर कहते है मै चेस और केरम का खेल पंसद करता हूं। मैं भी अपने देश के प्रति समर्पित भाव से कार्य करता हूं। मैं अपनी सर्विस को भावनात्मक रूप से करता हूँ। प्रोफेशन के रूप में नहीं। मैं जब किसी की मदद करता हूँ और उसके चेहरे पर खुशी के भाव देखता हूँ तो मुझे बेहद खुशी होती है। लेकिन मैं जिस व्यक्ति की मदद करता हूँ उससे थैंक्स की कोई उम्मीद नही रखता हूं यही वजह है कि आज मेरे ऐसे दोस्त मौजूद है कि यदि में उन्हे सूचित कर दूं कि मुझे 50 लाख रूपये चाहिए तो वह थोंडी ही देर में मुझे इतनी बड़ी धनराशि भिजवा देंगे। मेरे आईआईटी वाले मित्रो के नाम नितिन, प्रतीक, कमलेश, गुरुदेव है।

वर्ष 2006 से लेकर 2008 तक आईआईटी कानपुर से एमटेक किया जिस समय बबलू कुमार आईआईटी कर रहे थे उस समय के संस्मरण सुनाते हुए उन्होंने बताया कि वह अपने दोस्तो के साथ नवोदय विद्यालयों में जाकर कैरियर काउन्सलिंग किया करते थे। यानि 10 प्लस 2 के बाद छात्रांे को क्या करना चाहिए वह अपना कैरियर कैसे बनायें इसकी जानकारी दी जाती थी। हमने मउ, कानपुर और सुल्तानपुर में जाकर कैरियर काउसलिंग की। एमटेक वाले मित्र का नाम संतोष भालेकर जो महाराष्ट्र का निवासी है बबलू कुमार बताते है कि वह अपनी सैलरी का दस प्रतिशत हिस्सा उन लोगो को देता है जिन्हें धन की आवश्यकता रहती है। मैं अपने फालवर, तथा अन्य कर्मचारियो की मदद करता हूँ। मैं यह सब ईश्वर की कृपा मानता हूँ कि उसने मुझे इस लायक बनाया कि मैं किसी के काम आ सकू। हमारी टीम में गुरुदेव कमलेश और अनुपम हमारे साथ थे।

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