क्या इतिहास बन जाएंगी ह्वाइट शार्क

नई दिल्ली। समुद्र में शार्क मछलियों के विलुप्त होने का खतरा दिख रहा है और 50 सालों में 70 फीसदी आबादी कम हो गयी है। तो क्या दुनियाभर में फैले समुद्रों से शार्क मछलियां खत्म हो जाएंगी? दरअसल, एक नए शोध में पता चला है कि 1970 से 2018 के बीच समुद्र में शार्क और रे मछलियों की संख्या 70 फीसदी तक घट गई हैं।

जर्नल नेचर में छपी रिपोर्ट के अनुसार, शार्क और रे के 24-31 प्रजातियां के खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है जबकि शार्क की तीन प्रजातियों पर तो बेहद ज्यादा खतरा है। कनाडा के सिमोन फ्रासेर यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटेर के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 50 साल शार्क की आबादी के लिए काफी खतरनाक रहे। नेचर में छपी रिपोर्ट के सह लेखक और कनाडा के सिमोन फ्रेशर यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिस्ट नाथन पी ने कहा कि पिछले कुछ सालों से शार्कों का जबरदस्त शिकार किया जा रहा है। शार्क और रे मछलियां की संरचना काफी लचीली अस्थियों से होती है इनके बच्चों को सैक्सुअल मैच्युरिटी तक पहुंचने में सालों लग जाते हैं। जबकि इनके जरिए केवल कुछ बच्चे ही पैदा होते हैं।
देखा गया है कि आज समुद्रों में हजारों मछली मारने की नौकाएं चलती हैं और उनकी क्षमता भी 1950 की तुलना में काफी बढ़ गई हैं ऐसे में जब दुनिया की आबादी बढ़ रही है तो मौसम में भी बदलाव आ रहा है और शार्क के जीवन पर गहरा असर पड़ रहा है शोध में पाया गया है कि उष्णकटिबंधी इलाके जैसे हिंद महासागर में ये जीव ज्यादा तेजी से खत्म हो रहे हैं। हिंद महासागर में 1970 के बाद अभी तक करीब 84 फीसदी शार्क मछलियों की आबादी घट गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शार्क और रे को बचाने के लिए जल्द ही कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए इनका शिकार रोकना होगा।
