फलों के पौधे की मांग पांच लाख तक पहुंची

फलों के पौधे की मांग पांच लाख तक पहुंची

नयी दिल्ली। किसान, विभिन्न संगठन और फलों के पौधे लगाने के शौकीन बगीचे, स्कूल सार्वजनिक जमीन पर लगातार ग्राफ्टेड पौधे लगाने की मांग बढा रहे हैं जो अब सालाना पांच लाख के आसपास पहुंच गया है। यह मांग केवल उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि पूरे देश में है।

केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) लखनऊ ने लाखों ग्राफ्टेड फलदार पौधे राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों को उपलब्ध कराये हैं और इसकी इसकी मांग लगातार बढ रही है। लोगों में आम की नयी नयी किस्मों के पौधे लोकप्रिय हो रहे हैं। पहले लोग दशहरी और चौसा के बाग लगाने पर ध्यान केन्द्रीत रखते थे लेकिन इस साल अधिकतर लोग अम्बिका और अरुणिमा लगाने पर जोर दे रहे हैं। आम्रपाली की मांग लगातार बनी हुयी है।

निजी नर्सरी आम की नयी किस्मों के नाम पर घटिया रोपण सामग्री की आपूर्ति कर बढी हुयी मांग का फायदा उठा रहे हैं। घेाखाघड़ी का शिकार हुए लोगों को तीन चार साल बाद फल आने पर असलियत का पता चलता है। जागरुक लोग प्रमाणित किस्मों के पौधों को लेकर सीआईएसएच का रुख करते हैं जिसके कारण भी पौधों की मांग बढ रही है । संस्थान ने जामुुन की कई किस्मों का विकास किया और राज्यों से उसें इसके 40000 ग्राफ्टेड पौधे की मांग आयी है।

अमरुद की विभिन्न किस्मों को लगाने की चाहत बनी हुयी है जबकि विभिन्न संगठनों में वनों के लिए उपयुक्त किस्मों की मांग में कमी देखी जा रही है और वे फलदार पौधे लगानें में रुचि ले रहे हैं जिससे पर्यावरण की सुरक्षा के साथ पेड़ की देखरेख करने वालों को फल भी मिल सके। ऐसा देखा गया है कि वृक्षारोपण के बाद लोग फलदार पौधे के लगाने के बाद उसका देखरेख ध्यान से करते हैं । लोग अब कम समय में फल देने वाले पौधे को लगाने में दिलचस्पी ले रहे हैं। आमतौर पर जामुन का सामान्य पेड़ आठ से दस साल में फलने लगता है लेकिन इसके ग्राफ्टेड पौधे में चार पांच साल में ही फल लगने लगते हैं।

सामान्य लोग कोई भी पौधा लगाने से पहले पर्यावरण को होने वाले फायदे की तुलना में उसके आर्थिक महत्व पर ध्यान देते हैं। हाल में किसानों ने बेल के हजारों ग्राफ्टेड पौधे खरीदे हैं। गुणों का खजाना माने जाने वाले आवला के पौधे लगाने के प्रति लोगों की दिलचस्पी दिनोंदिन कम होती जा रही है। विटामीन सी से भरपूर आंवला के फल लगभग डेढ माह तक पेड़ में लगे रहते हैं।

संस्थान अपना व्यवसाय शुरु करने वाले लोगों को नर्सरी लगाने वालों की मदद भी करता है और नये बाग लगाने के लिए उन्हें मदर प्लांट भी उपलब्ध कराता है। संस्थान का नर्सरी उत्तर भारत का आधुनिक माना जाता है। यहां नर्सरी को लेकर सरकार कर्मचारियों , वन विभाग और किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

Next Story
epmty
epmty
Top