बोली मासूम बच्ची- पापा! किसी की जान खतरे में है- आपको जाना होगा

बोली मासूम बच्ची- पापा! किसी की जान खतरे में है- आपको जाना होगा

मुजफ्फरनगर। मानवता का अहसास उम्र का मोहताज नहीं होता, इसका जीता जागरण उदाहरण पेश किया है कि मुजफ्फरनगर निवासी कमल की पांच वर्षीय बिटिया ने। 12 वर्षीय लड़की की जान बचाने के लिए पांच वर्षीय लड़की ने आधी रात को अपने पाप को रक्तदान करने के लिए मेरठ हाॅस्पिटल जाने के लिए मजबूर कर दिया।

मेरठ निवासी भूषण कुमार जिन्दल की 12 वर्षीय पुत्री आंत की गंभीर बीमारी से ग्रसित है। उसका मेरठ मेडिकल में उपचार चल रहा है। उसका ब्लड ग्रुप एबी नेगेटिव है, जो कि काफी रेयर होता है। प्लेटलेट्स कम हो जाने के कारण मासूम बालिका को जान का खतरा बन गया था। परिवार ने एबी नेगेटिव ब्लड के लिए मेरठ में काफी प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मिल पाया। इसी दौरान परिवार के किसी परिचय ने समर्पित युवा समिति मुजफ्फरनगर से संपर्क करने का सुझाव दिया। सुझाव पर अमल करते हुए परिजनों द्वारा समर्पित युवा समिति के अमित पटपटिया, वीर कमल कुमार से संपर्क किया। जिस वक्त परिजनों ने वीर कमल से संपर्क किया, उस वक्त काफी रात हो चुकी थी, इसलिए कमल की मां व पत्नी ने सुबह रक्त देने के लिए हाॅस्पिटल जाने की बात कही।


यह सब वीर कमल की पांच वर्षीय पुत्री भी सुन रही थी। वह अचानक ही कमल से बोली, पापा एक बच्ची की जान खतरे में है, आपको रक्त देने के लिए अभी जाना चाहिए। बच्ची की बात सुनकर घर के सभी सदस्य अचंभित रह गये। छोटी सी उम्र में मानवता के लिए बच्ची के दिल में प्यार देखकर कमल तुरंत मेरठ जाने के लिए तैयार हो गये। वह रात्रि लगभग एक बजे मेरठ हाॅस्पिटल पहुंच गये और प्लेटलेट्स डोनेट की। धन्य हैं, ऐसे बच्चे, जिनमें इतनी छोटी सी उम्र में ही मानवता कूट-कूट कर समाई है। बच्चों में मां-बाप के ही संस्कार आते हैं। धन्य हैं, ऐसे माता-पिता, जिन्होंने बालिका को इतने अच्छे संस्कार दिये हैं कि वह अपनी मुसीबत को न देखकर दूसरों का दुख दूर करने की कोशिश करते हैं। वहीं, समर्पित युवा समाज लगातार रक्तदान करके मानवता की नई मिसाल कायम कर रहा है। समर्पित युवा समाज ने समाज के लोगों से आह्वान किया है कि वे भी दूसरों की जान बचाने की मुहिम के तहत समर्पित युवा समाज से जुड़े और किसी की जिंदगी बचाने में अपना सहयोग दें।

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