कोरोना वैक्सीन को लेकर अफवाहें

कोरोना वैक्सीन को लेकर अफवाहें

नई दिल्ली। कोरोना पर नियंत्रण के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने दो वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। डीसीजीआई ने सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकाल इस्तेमाल को अंतिम मंजूरी दे दी है। हालांकि कोरोना वैक्सीन की मंजूरी से पहले ही इसको लेकर अफवाहों का बाजार भी गर्म हो गया है। कुछ लोगों ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर भ्रामक बयानबाजी शुरू कर दी है। इसको लेकर राजनीति भी की जाने लगी है जबकि डीसीजीआई ने कहा है कि वैक्सीन को लेकर जरा भी चिंता होती तो वे इसके इस्तेमाल की इजाजत नहीं देते। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लेने के बाद हल्का बुखार, सरदर्द, एलर्जी जैसी मामूली दिक्कतें हो सकती हैं।

बता दें कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2 जनवरी को लखनऊ में बड़ा बयान देते हुए कहा था कि मैं बीजेपी की कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा, क्योंकि मुझे बीजेपी पर भरोसा नहीं है। वहीं, मिर्जापुर से सपा के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा कि कोविड 19 की वैक्सीन में कुछ तो है जो लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि कल को लोग कहेंगे कि ये वैक्सीन उन्हें मारने या फिर जनसंख्या को कम करने के लिए दी गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ भी हो सकता है। ये भी संभव है कि इस वैक्सीन को लगवाने के बाद लोग नपुंसक हो जाएं।

हालांकि बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने कोरोनावायरस वैक्सीन को मंजूरी मिलने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा, अति-घातक कोरोनावायरस महामारी को लेकर आए स्वदेशी वैक्सीन (टीके) का स्वागत व वैज्ञानिकों को बहुत-बहुत बधाई। साथ ही, केन्द्र सरकार से विशेष अनुरोध भी है कि देश में सभी स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ सर्वसमाज के अति-गरीबों को भी इस टीके की मुफ्त व्यवस्था की जाए तो यह उचित होगा। वहीं, मुस्लिम धर्म के कुछ कट्टरपंथी इस वैक्सीन में सुअर के खून के प्रयोग की बात कहकर मुसलमानों के लिए इसे हराम बता रहे हैं। इस तरह कोरोना के वैक्सीन को लेकर एक सुनियोजित साजिश की जा रही है जो हमें पोलियो उन्मूलन की तरह पीछे ढकेल सकती है। कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की मंजूरी पर पीएम मोदी ने बधाई दी और कहा- पूरे देश के लिए गर्व का पल है। टीकाकरण के दौरान वैक्सीन की 2-2 डोज दी जाएंगी। चिकित्साकर्मियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए हम आप सभी की महती जिम्मेदारी है ।

कोरोना वैक्सीन को लेकर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया है कि देश में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की कोविशील्ड वैक्सीन और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपातकाल के लिए मंजूरी दी गई है। सीरम इंस्टीट्यूट कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बना रहा है। डीसीजीआई ने जानकारी दी है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित हैं। टीकाकरण के दौरान इन वैक्सीन की 2-2 डोज दी जाएंगी, वहीं कैडिल हेल्थकेयर की वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण को भी मंजूरी दी गई। उन्होंने लोगों का भ्रम दूर करते हुए कहा कि कोरोना वैक्सीन को लेकर कहा जा रहा है कि वैक्सीन लगवाने के बाद इंसान नपुंसक हो सकता है, यह पूरी तरह निराधार है। देश में तेजी से बढ़ रही अफवाहों को देखते हुए डीसीजीआई ने इसे बकवास बताया है और इस तरह की अफवाहों से बचने की सलाह दी है। डीसीजीआई ने कहा कि जिन दो वैक्सीन को मंजूरी दी गई है वह 110 प्रतिशत पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

उन्होंने कहा कि अगर वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर जरा भी चिंता होती तो वे इसके इस्तेमाल की इजाजत नहीं देते। इन्होंने कहा कि वैक्सीन लेने के बाद हल्का बुखार, सरदर्द, एलर्जी जैसी मामूली दिक्कतें हो सकती है। भारत में कोरोनावायरस के केस बढ़ने के साथ अब वैक्सीन का इंतजार खत्म हो गया है। भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई) ने सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा उत्पादित की जा रही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्रा जेनेका और भारत बायोटेक की वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। मीडिया ब्रीफिंग के दौरान डीसीजीआई के अफसर ने बताया कि जायडस कैडिला की वैक्सीन भी ट्रायल्स में काफी आगे है और उसे जल्द ही तीसरे फेज के लिए मंजूरी दी जा सकती है।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन की करोड़ों डोज तैयार कर ली हैं।

बहरहाल, भारत में कोरोनावायरस के केस बढ़ने के साथ अब वैक्सीन का इंतजार खत्म हो गया है लेकिन अफवाहों का खतरनाक सिलसिला शुरू हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि दवाईयों और इंजेक्शन के साइड इफेक्ट होते हैं। कोरोना वैक्सीन के भी साइड इफेक्ट होंगे लेकिन इस महामारी को फैलने से वैक्सीन ही रोकेगा। इसीलिए सबसे पहले यह टीका स्वास्थ्यकर्मियों को लगेगा। इसके बाद जो लोग फ्रन्ट लाइन पर काम कर रहे हैं, उनको लगाया जाएगा। तीसरे स्टेज पर सीनियर सिटिजन होंगे क्योंकि संक्रमित होने की संभावनाएं उनके सामने ज्यादा हैं। इसके बाद अन्य सभी को वैक्सीन उसी तरह लगेगा जैसे पोलियो उन्मूलन के लिए सभी बच्चों को एक साथ दवा पिलायी गयी। इस बीच हम सभी को समझदारी का परिचय भी देना है। अफसोस यह कि तथाकथित वुद्धिजीवी भी नासमझी दिखा रहे हैं। कांग्रेस नेता शशि थरूर से लेकर जयराम रमेश ने भारत बायोटेक की देसी वैक्सीन को मंजूरी मिलने पर चिंता जताई। शशि थरूर ने कहा कि कोवैक्सिन ने अभी फेज-3 के ट्रायल पूरे नहीं किए हैं, ऐसे में इसे मंजूरी देना चिंताजनक हो सकता है। डॉक्टर हर्षवर्धन को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। पूरे ट्रायल खत्म होने तक इसके इस्तेमाल से भी बचना चाहिए। भारत इस दौरान एस्ट्रा जेनेका के इस्तेमाल से शुरुआत कर सकता है। इससे पहले सपा नेता अखिलेश यादव ने भी वैक्सीन पर चिंता जताते हुए कहा था कि वे भाजपा की वैक्सीन नहीं लगवाएंगे।

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने थरूर और अखिलेश यादव को घेरते हुए ट्वीट में कहा कि हमारे निंदक जयराम, थरूर और अखिलेश दो वैक्सीन को डीसीजीआई की मंजूरी मिलने से भी नाखुश हैं। जाहिर है कि वे अब पूर्ण तरह से राजनीतिक हाशिए पर जाने के रास्ते पर हैं।

पहले वैक्सीन को मंजूरी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) ने बधाई दी। पीएम मोदी ने जहां वैज्ञानिकों की मेहनत की सराहना की, वहीं डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल ने कहा कि संगठन भारत की कोरोना वैक्सीन को आपात मंजूरी देने के फैसले का स्वागत करता है।

इन टीकों को मंजूरी देने के लिए बनाए गए सरकार के एक्सपर्ट पैनल ने 1 जनवरी को सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई जा रही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन को पास कर दियाथा। अगले दिन इस पैनल ने स्वदेशी भारत बायोटेक की वैक्सीन को भी मंजूरी दे दी। एक दिन पहले ही सरकार ने कोरोनावायरस वैक्सीन आम जनता तक पहुंचाने के लिए ड्राय रन करवाया था। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हुए इस टेस्ट में 125 जिलों में स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों को परखा गया, इसके लिए 286 सेशन साइट्स भी बनाई गईं। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में कोरोना के वैक्सीन लगने लगे। वहां बड़े बड़े नेताओं और धर्मगुरुओं ने सबसे पहले वैक्सीन लगवाया ताकि आमजनता को यह भरोसा रहे कि इससे कोई खतरा नहीं है। अगले एक से दो हफ्तों में यह वैक्सीन भारत के बाजारों में उपलब्ध हो सकती हैं। इस बीच बताया गया है कि कोरोनावायरस की वैक्सीन देशभर में पहुंचाने में स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा 19 मंत्रालय और 23 अलग-अलग विभाग अहम भूमिका निभाएंगे। बताया गया है कि कम से कम चार विभाग- शहरी विकास, राजस्व, लोक निर्माण विभाग और पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग को कोरोनावायरस वैक्सीन साइट की पहचान के निर्देश दे दिए गए हैं लेकिन साइट से ज्यादा महत्व सजगता का है। (हिफी)

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