विस्तृत नहीं विराट होगा गणतंत्र दिवस

विस्तृत नहीं विराट होगा गणतंत्र दिवस

नई दिल्ली। कहते हैं जिन्दगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए। देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूमने वाले सरदार भगत सिंह 28 सितम्बद 1907 को पैदा हुए थे और 23 मार्च, 1931 को शहीद हुए। मात्र 24 साल की उम्र में वे अमर हो गये। इसलिए इस बार सम्पन्न होने जा रहे है गणतंत्र दिवस परेड पर दिल्ली से लेकर गली-गली तक होने वाले समारोह भले ही विस्तृत नहीं होंगे। लेकिन उनकी गरिमा और विराटता को किसी पैमाने में नहीं नापा जा सकता। भीड़ का घनत्व होगा और कार्यक्रमों से लगाव तो देश की लगभग 135 करोड़ जनता का रहेगा। देश को आजादी दिलाने वाले और देश की सम्प्रभुता-अखंडता की रक्षा करने वालों को नमन करते हुए अपने देश की महानता को यह समारोह दर्शाएगा। भीड़ कम दिखेगी लेकिन भव्यता पूरी होगी।

हर साल 26 जनवरी यानी भारत के गणतंत्र दिवस समारोह पर पूरी दुनिया की नजरें रहती हैं। इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनों में अलग होने वाला है। इसमें सबसे अहम कोविड-19 से पैदा हुए हालात के कारण सामने आए बदलाव हैं। इसके अलावा, कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो देशवासी पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह में देखेंगे। कोरोना वायरस महामारी के चलते इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में अतिथियों और दर्शकों की संख्या कम रहेगी। जहां हर साल रिपब्लिक डे परेड देखने 1।15 लाख लोग मौजूद रहते थे, वहीं इस बार यह संख्या 25 हजार लोगों तक ही सीमित होगी। सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाए रखने जैसी एहतियात गणतंत्र दिवस समारोह में भी दिखेगी। परेड का रूट छोटा होगा। पहले परेड की लंबाई 8.2 किलोमीटर होती थी, जो विजय चैक से लाल किले तक जाती थी। लेकिन इस बार विजय चैक से नेशनल स्टेडियम तक यह 3.3 किलोमीटर ही लंबी होगी।


गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाले दस्ते भी छोटे होंगे। अब तक हर दस्ते में 144 लोग होते थे, लेकिन इस बार 96 लोग ही होंगे। रिपब्लिक डे परेड में इस बार छोटे बच्चे हिस्सा नहीं लेंगे। 15 साल से ज्यादा उम्र के स्कूली बच्चे ही शामिल होंगे। साथ ही दिव्यांग बच्चे भी इस बार शामिल नहीं होंगे। इस बार खड़े होकर परेड देखने का इंतजाम नहीं होगा। जितनी सीटें होंगी उतने ही लोगों को इजाजत दी जाएगी। गणतंत्र दिवस समारोह में इस बारे विदेश का कोई गणमान्य मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल नहीं होगा। 1966 के बाद ऐसा पहली बार होगा कि भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में किसी दूसरे देश का प्रमुख मुख्य अतिथि नहीं होगा। पूरे विश्व में फैली कोविड19 महामारी को देखते हुए इस साल 26 जनवरी पर किसी विदेशी मुख्य अतिथि को गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा नहीं बनाने का फैसला किया गया है। इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होने वाले थे लेकिन ब्रिटेन में कोविड-19 का नया प्रकार सामने आने और उससे पैदा हुए हालात को देखते हुए ब्रिटिश पीएम ने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया।

इस बार भारतीय वायुसेना की पहली महिला फाइटर पायलेट्स में से एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय वायुसेना की झांकी का हिस्सा होंगी। गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाली वह पहली महिला फायटर पायलट होंगी। भारतीय वायुसेना में हाल ही में शामिल हुआ राफेल लड़ाकू विमान 26 जनवरी को भारत की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होगा और फ्लाईपास्ट का समापन इस विमान के 'वर्टिकल चार्ली फॉर्मेशन' में उड़ान भरने से होगा। 'वर्टिकल चार्ली फॉर्मेशन' में विमान कम ऊंचाई पर उड़ान भरता है। सीधे ऊपर जाता है। उसके बाद कलाबाजी खाते हुए फिर एक ऊंचाई पर स्थिर हो जाता है। इसके साथ ही एंट्री और एग्जिट गेट की संख्या बढ़ाई जाएगी। कोविड बूथ भी बनाए जाएंगे, जिसमें डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ मौजूद रहेंगे। हर गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग का बंदोबस्त किया जा रहा है। जगह-जगह हैंड सेनेटाइजर भी रखे जाएंगे।

इसमें कोई संदेह नहीं कि 26 जनवरी का दिन भारत के इतिहास में विशेष महत्व रखता है। 26 जनवरी 1950 को ही भारतीय संविधान लागू किया गया था जिसके पश्चात हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय अधिनियम एक्ट को हटा कर भारतीय संविधान को लागू किया गया था व लोकतान्त्रिक प्रणाली के साथ भारतीय संविधान को जोड़ा गया था। 26 जनवरी के दिन नई दिल्ली में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें भारत के राष्ट्रपति द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है। इस दिन स्कूल कॉलेजों व सरकारी संस्थानों में भी तिरंगा फहराया जाता है, रैलियां निकाल कर नारे लगाए जाते हैं और वीर सपूतों को याद किया जाता है। छात्रों द्वारा स्कूलों में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमे छात्र-छात्राएं स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए भाषण, निबंध, कला, नृत्य आदि प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। इस दिन अंग्रेजों के कानूनों को हटा कर हमने खुद के संविधान को अपनाया था, संसद से भारतीय संविधान लागू होने के बाद भारत एक लोकतान्त्रिक गणराज्य बन गया, यही कारण है कि इस दिन को हम सभी राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में सेलिब्रेट करते हैं।

स्वतंत्रता मिलने से पहले लाहौर अधिवेशन में इस प्रस्ताव की घोषणा की गयी की यदि अंग्रेज सरकार द्वारा 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमीनियम का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र घोषित कर दिया जाएगा। इस बात पर जब ब्रिटिश सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया, तब भारतीय कांग्रेस द्वारा 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज घोषित कर दिया गया। यह अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में दिसम्बर 1929 में हुआ था।


भारत की आजादी के बाद 9 दिसम्बर 1947 को संविधान सभा बनाने की शुरुआत हुई जिसे 2 वर्ष 11 माह व 18 दिन में बना कर तैयार किया गया। इसी दिन भारतीय कांग्रेस सरकार द्वारा भारत में पूर्ण स्वराज को भी घोषित कर दिया गया था और उस दिन से 26 जनवरी गणंतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। भारतीय संविधान निर्माण के लिए 22 समितियों का चुनाव किया गया, जिनका कार्य संविधान का निर्माण करना व संविधान बनाना था। सविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण के लिए 114 दिन की बैठक की गयी जिसमे 308 सदस्यों ने भाग लिया। इस बैठक के मुख्य सदस्य डॉ राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद आदि थे। इनके अलावा संविधान सभा बैठक में जनता अथवा प्रेस को भी शामिल किया गया था। भारतीय संविधान को बनने में कुल 2 वर्ष 11 माह व 18 दिन का समय लगा जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान पूरे देश में लागू किया गया। इसीलिए 26 जनवरी के महत्व बनाये रखने के लिए भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता देने के लिए 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। (हिफी)

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