नख से शिखा तक 'राम नाम', मोर पंख की टोपी सिर का 'ताज'

नख से शिखा तक राम नाम, मोर पंख की टोपी सिर का ताज

रायगढ़। भगवान श्रीराम में आस्था रखने वाले रामनाथी पंथ के लोगों का भक्ति का अंदाज कुछ अलग ही है। एक तरह से वे पूर्ण रूप से भगवान राम में खो से गये हैं। पूरे शरीर पर राम नाम के साथ-साथ वे श्वेत वस्त्र धारण करते हैं और सिर पर मोर पंख वाली टोपी पहनते हैं, जिससे इनकी पहचान दूर से ही हो जाती है कि प्रभु श्रीराम के भक्त आ रहे हैं।


भगवान श्रीराम की भक्ति में रामनामी पंथ पूरी तरह से खोया हुआ है। इस पंथ के लोग नख से शिखा तक पूरे शरीर पर राम नाम उकेरते हैं। उन्होंने शरीर के प्रत्येक हिस्से को प्रभु श्रीराम के चरणों में समर्पित कर देते हैं। शरीर पर रामनाम गुदवाने के साथ ही इस पंथ के लोग श्वेत वस्त्र धारण करते हैं। श्वेत वस्त्र शांति की निशानी हैं। श्वेत रंग मन को शांत करता है, एकाग्रचित्त करता है। भक्ति के लिए मन का शांत होना बहुत ही आवश्यक है, इसलिए ये लोग शायद श्वेत रंग के कपड़ों का प्रयोग करते हैं। वहीं मोर पंख वाली टोपी को धारण करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण भी मोर के पंख को सर्वोच्च स्थान देते हुए उसे अपने मस्तक पर धारण करते हैं, इसलिए रामनामी पंथ के लोगों ने मोर पंख की टोपी धारण की है।


प्रत्येक वर्ष माघ माह की एकादशी को अखिल भारतीय रामनामी समाज महाभजन मेले का आयोजन करता है। इस बार भी यह मेला रायगढ़ के नंदेली गांव में आयोजित किया गया। मेले में रामनामी समाज के हजारों लोग शामिल हुए। रामनामी समाज के लोग नख से शिखा तक रामनाम क्यों गुदवाते हैं, इसके पीछे एक कथा प्रचलित है। बताया जाता है कि आजादी से पूर्व एक विशेष समुदाय के लोगों को मंदिर जाने से रोका जाता था। अगर कोई चला जाता था, तो उसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान था। ऐसे में इस समुदाय के लोगों ने भगवान के नाम को अपने पूरे शरीर पर गुदवा दिया।



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