महामारी में अफसर और नेता

महामारी में अफसर और नेता

लखनऊ। कोरोना महामारी ने दूसरी लहर में बदहवासी जैसे हालात पैदा कर दिये। इस समय धैर्य की ज्यादा जरूरत होती है लेकिन कहीं अफसरों ने तो कहीं नेताओं ने धैर्य खो दिया। रामपुर जिला अस्पताल में कोरोना मरीज की मौत को लेकर हुई बहस के दौरान एक नर्स ने रिटायर्ड सीएमएस को थप्पड़ मार दिया। डीएम ने नर्स को सस्पेन्ड कर दिया। लाॅकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में मध्य प्रदेश के शाजापुर की एडीएम मंजूषा विक्रांत राय ने एक दुकानदार को थप्पड़ जड़ दिया। पश्चिम त्रिपुरा जिले के डीएम शैलेश कुमार यादव ने एक शादी समारोह में पहुंचकर कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन पर शादी करवा रहे पंडित को चांटा मारा था। इस प्रकार के आचरण की हमेशा आलोचना होती है। अब ताजा मामला उत्तराखण्ड के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत का है। वे रामनगर अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे थे। वहां कुछ अव्यवस्थाओं को लेकर अपना आपा खो बैठे। अस्पताल के इंचार्ज से कड़े शब्दों में बोलने लगे। कोरोना योद्धा माने जाने वाले अस्पताल इंचार्ज ने कहा कि आप जिस माहौल में बात कर रहे हैं, वो हमें पसन्द नहीं है। मैं कोई अपराधी नहीं हूं। आपदा के समय इस तरह के आचरण अच्छे नहीं माने जाएंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश में भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने व्यवहार से सराहना पा रहे हैं। कुछ अफसर भी काबिले तारीफ कार्य कर रहे हैं। इनसे अन्य लोगों को सबक लेना चाहिए।

उत्तराखण्ड के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत गत दिनों सरकारी अस्पताल की लगातार मिल रही अव्यवस्थाओं की शिकायत को लेकर निरीक्षण करने पहुंच गए। अस्पताल का निरीक्षण करने के दौरान विधायक दीवान सिंह बिष्ट भी साथ रहे। इस दौरान व्यवस्थाओं को लेकर मंत्री और हॉस्पिटल इंचार्ज के बीच नोक-झोंक हो गई। उन्होंने चिकित्सालय में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए। रामनगर के सरकारी अस्पताल को बेहतर बनाने के लिए पूर्व में प्रदेश सरकार द्वारा इसे पीपीपी मोड पर दे दिया गया था। पीपीपी मोड पर जाने के बाद भी मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ न मिलने पर मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है। यहां काफी मंहगा इलाज होता है। कैबिनेट मंत्री भगत व अस्पताल इंचार्ज के बीच व्यवस्थाओं को लेकर तीखी नोक-झोंक हो गई। अस्पताल इंचार्ज ने मंत्री के सामने यह तक कह डाला कि आप जिस माहौल में बात कर रहे हैं, उस माहौल में मैं बात नहीं करूंगा। मैं कोई अपराधी नहीं हूं। इतना सुनते ही मंत्री भगत का पारा चढ़ गया। इसके बाद मंत्री से इस प्रकार का व्यवहार करने के बाद कार्यकर्ताओं की भी जमकर नोकझोंक हो गई। मौके पर मौजूद एसडीएम विजय नाथ शुक्ल ने मामला शांत किया। कैबिनेट मंत्री भगत ने कहा कि अस्पताल में ब्लड बैंक शुरू करने की मंजूरी 2007 में मिल गई थी, लेकिन आज तक यह चालू नहीं हो पाया है। इसका लाइसेंस भी 3 माह पूर्व मिल चुका है। ब्लड बैंक शुरू न होने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि 1 सप्ताह के भीतर इसे शुरू कर दिया जाएगा। अस्पताल में यदि किसी का सीटी स्कैन नहीं होता है तो उनको अवगत कराएं। इस पर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रामनगर के इस अस्पताल को शीघ्र ही 100 बेड का कोविड अस्पताल बनाने की तैयारी चल रही है। इसकी अनुमति सरकार द्वारा शीघ्र दे दी जाएगी। अस्पताल में ऑक्सीजन को लेकर पाइप लाइन बिछाने का कार्य भी किया जा रहा है।

मध्य प्रदेश में सद्व्यवहार के लिए ज्योतिरादित्य की तारीफ की जा रही है। कोरोना मरीजों के इलाज में अग्रणी रहा भोपाल के चिरायु अस्पताल को लेकर कुछ सवाल उठ रहे हैं। दो दिन में दो मामले यहां चर्चा में आए। पहला मामला बिना पैसे दिये मृतक का शव देने से मना करने का था और दूसरा आयुष्मान कार्ड धारक का इलाज करने से इंकार करना। खबरें सामने आयीं और कुछ वीडियो वायरल हुए तो कांग्रेस नेताओं और बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया तक एक्शन में आ गए। मध्य प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान ले लिया और शासन ने अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया।

एक युवक ने अस्पताल में आयुष्मान कार्ड न स्वीकार करने के आरोप चिरायु मेडिकल प्रबंधन पर लगाए। युवक का नाम योगेंद्र रघुवंशी है उसकी दादी सरजू बाई रघुवंशी का इलाज होना था। वीडियो वायरल होते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने युवक से फोन पर बात की और उसे हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया। सिंधिया ने उस युवक से आयुष्मान कार्ड की डिटेल और उसकी दादी की पूरी डिटेल मोबाइल फोन पर मंगवाई और स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चैधरी और अस्पताल मैनेजमेंट से चर्चा की।

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के खिलाफ सीएम योगी आदित्यनाथ पूरे प्रदेश में ताबड़तोड़ दौरा कर रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को सीएम योगी सहारनपुर पहुंचे थे। इस दौरान सीएम ने विकास खंड सरसावा के ग्राम सुराना में होम आईसोलेशन में रह रहे कोविड-19 मरीजों से सीधे संवाद किया। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी सीधे ग्राम पंचायत बलवन्तपुर/सलेमपुर के ग्राम पंचायत घर में पहुंच कर निगरानी समिति के सदस्यों और स्वास्थ्यकर्मियों से बातचीत कर जमीनी हकीकत को परखा और जाना।

दरअसल सीएम योगी सौराना गांव में होम आईसोलेशन में रह रहे सुमित कुमार और शुभम के दरवाजे पर पहुंच गए। कोविड-19 के अंतर्गत कंटनमेंट जोन की बैरिकेड्स देखकर मुख्यमंत्री योगी ने रूक कर शोभित और शुभम से उनका हाल जाना। इससे उनकी तारीफ हो रही है।

सीएम योगी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को देखते हुए हमनें कोरोना कर्फ्यू लगाया है, यह सम्पूर्ण लॉकडाउन नहीं है। आवश्यक सेवाएं चालू हैं। मजदूरों को समस्या न आए, उनके समक्ष रोजीरोटी की समस्या ने आये, इसके लिए उद्योग धंधे और कारोबार चालू हैं।

इस आपराकाल में अफसर भी जनता की तारीफ पा रहे हैं। आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार कानपुर में एडीसीपी ट्रैफिक हैं, उन्होंने दूसरी लहर आते ही कानपुर में कोविड अस्पताल शुरू कर दिया। अनिल के अनुभव को देखते हुए पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने उन्हें कोरोना सेल का प्रभारी भी बनाया है। अनिल कुमार ने जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस करने के बाद कुछ दिनों तक दिल्ली के गुरु तेगबहादुर अस्पताल में प्रैक्टिस भी की है। वह राजस्थान में झुंझनू जिले के अलसीसर के रहने वाले हैं। अनिल ने दूसरी लहर आते ही कानपुर पुलिस लाइन में 16 बेड का एक एल-1 श्रेणी का हॉस्पिटल शुरू कर दिया। ओपीडी में रोजाना बैठ रहे हैं। आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार कहते हैं- एक बड़े अधिकारी की पत्नी को कहीं इलाज नहीं मिला तो अपने अस्पताल में भर्ती करके ठीक कर दिया। अब तक 18 मरीजों को ठीक किया है। ओपीडी में 385 से ज्यादा संक्रमितों को इलाज दिया है। इस आपदा के समय अच्छे आचरण की अपेक्षा नेताओं और अफसरों से की जाती है। (हिफी)

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