मेरे शब्द मेरी कविता- प्यार की परिभाषा

किसी ने मुझसे आज एक प्यार की परिभाषा मांगी मैंने कहा...
कि जिस्म को नोचकर अपनी हवस का शिकार बनाने वाले प्यार होने का दावा करते है,
वह प्यार नही होता
खुद को आप बुलवा दूसरे को तू तड़ाक कर मारपीट कर रात के अंधेरे में समझाने वाले प्यार का दावा करते है,,
वह प्यार नहीं होता
खुद के आंसू पूछकर दूसरे को सौ बात सुना रुलाने वाले प्यार की बातें करें और मोहब्बत का दावा करते हैं,
वह प्यार नही होता,
महलों के सपने दिखने वाले खुले आसमान में पंख लगाने की बात करे फिर चार दीवारों में कैद कर प्यार का दावा करते है,,
वह प्यार नहीं होता
कि जिस्म को नोच कर हवस का शिकार बनाने वाले प्यार का दावा करते हैं!!
वह प्यार नहीं होता
आज की दुनिया में GF और BF ट्रेंड बनकर चल रहा है इसलिए मुझे लगता है...
कि शादी से पहले कोई अलग रिश्ता बनाकर उसको जायज बताने वाले प्यार का दावा करते हैं,
वह प्यार नहीं होता
स्कूल जाने के बहाने झूठ बोलकर कहीं होटल में किसी और के साथ ठहरने वाले प्यार का दावा करते हैं,,
यह प्यार नहीं होतापिता की पगड़ी उछाल मां की ममता का गला घोट कर घर को छोड़कर भागने वाले प्यार का दावा करते हैं,
वह प्यार नहीं होता
2 लोगों की खुशी के लिए लाखों की खुशियों का गला घोटकर अपना संसार बसाने वाले प्यार का दावा करते हैं,,
वह प्यार नहीं होता
आजकल GF/BF का ट्रेंड चल रहा है इस जमाने में सच्चा प्यार कहीं नहीं मिलता!!
देर रात को बिना बात किसी के लिए जागने वाले और मां के एक बार बीमार होने पर 10:00 बजे ही सोने वाले प्यार का दावा करते हैं,
वह प्यार नहीं होता
सच्चा प्यार आज के दिन में बचा नहीं है इसलिए इस घोर कलयुग में सच्चे प्यार की परिभाषा ढूंढने वाले समझदार होने का दावा करते हैं तुमको बता दे कि इस कलयुग में समझदार कोई नहीं होता!!
Megha Gupta