सिस्टम की संवेदनहीनता- बेटे के शव को बोरी में भरकर 3 किलोमीटर पैदल चला अभागा बाप

नई दिल्ली। लापता होने के साथ ही शुरू हुई एक लाचार बाप की बदकिस्मती बेटे की मौत के बाद भी खत्म नहीं हुई। सिस्टम की संवेदनहीनता और प्रशासन की उदासीनता के चलते बदकिस्मत बाप को 13 साल के बेटे का सड़ी-गली अवस्था में मिला शव बोरी में बंद करके 3 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। तब कहीं जाकर वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार कर पाया।
दरअसल जिला भागलपुर निवासी नीरू यादव का 13 वर्षीय बेटा हरिओम यादव तीनटंगा गांव में नदी को पार करने के दौरान नाव से गिर गया था। इसके बाद वह लापता हो गया था। इस बाबत बदनसीब बाप ने गोपालपुर थाने में बेटे की गुमशुदगी का मामला भी दर्ज कराया था। पुलिस से कोई मदद मिलती ना देख नीरू यादव ने अपने बच्चे की खुद ही खोजबीन जारी रखीं। इसी बीच पता चला कि बेटे का शव कटिहार जिले के कुर्सेला थाना क्षेत्र के खेरिया नदी के तट पर तैर रहा है। बेटे के लापता होने के गम में बेहाल हुआ पिता नीरू यादव जब घाट पर पहुंचा तो उसके बेटे का शव बुरी हालत में था।
मासूम की लाश सड़ी गली हालत में थी। बच्चे के शव को जानवरों ने नोचकर डाला हुआ था। बच्चे के कपड़े और शारीरिक अंगों के आधार पर उसकी पहचान तो हो गई। लेकिन उसके बाद शुरू हुई सिस्टम की संवेदनहीनता ने बेबस और लाचार बाप को बेटे के शव को लेकर 3 किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर कर दिया। सड़ी गली अवस्था में मिले 13 वर्षीय बालक के शव को घर तक लाने के लिए न तो भागलपुर जनपद की गोपालपुर थाना पुलिस और ना ही कटिहार जनपद की कुर्सेला पुलिस ने संजीदगी दिखाई।
शव को ले जाने के लिए दोनों जनपदों की संवेदन हो चुकी पुलिस ने एंबुलेंस बुलाना भी जरूरी नहीं समझा। अगर पुलिस ने जरा सी भी संजीदगी दिखाई होती और मदद के लिए एंबुलेंस या अन्य कोई गाड़ी उपलब्ध करा देते, तो एक अभागे और लाचार पिता को अपने मरे हुए बेटे के शव को बोरी में भरकर 3 किलोमीटर पैदल नहीं चलना पड़ता। संवेदनहीन हो चुके सिस्टम के चलते लाचार बाप ने 3 किलोमीटर पैदल चलकर अपने बेटे का क्रिया कर्म किया।