पंख दो उन्हें, उड़ने की इजाजत तो दो...

पंख दो उन्हें, उड़ने की इजाजत तो दो...

नई दिल्ली। बेटियां, जिन पर न जाने चाहे-अनचाहे कितनी बंदिशें लगा दी जाती हैं, जो की बहुत गलत हैं। बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा चुकी है। जरूरत है, तो उनके सपनों को पंख लगाने की। फिर इजाजत मिलते ही, वे इतनी कामयाबी हासिल करेंगी कि कोई उन्हें रोक नहीं पायेगा।


ताजी हवा का झोंका हैं ये बेटियां,

खुलकर सांस लेने दों,

मत लगाओ बंदिशें इन पर,

चिड़ियां हैं, इन्हें चहकने दो।

उक्त पंक्तियां किसी शायर ने बिल्कुल सही लिखी हैं। उक्त पंक्तियां राष्ट्रीय बालिका दिवस की सार्थकता को भी सिद्ध करती हैं। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने भी कुछ ऐसी ही फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं, जो बेटियों को खुलकर जीने देने का अहसास दिला रही हैं। बेटियां ही ऐसी कड़ी हैं, जो पढ़ी लिखी हों, तो एक साथ दो घरों को रोशन करने का दम रखती हैं। राष्ट्रीय बालिका दिवस बेटियों को सम्मान, प्यार, आदर देने का नाम है।


बेटियों पर जो प्रतिबंध गाहे-बगाहे लगाये जाते हैं, उन्हें पुरूष प्रधान समाज को हटाना ही होगा, तभी इस दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी। बेटियों ने हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है और सिद्ध किया है कि वे किसी से भी कम नहीं हैं, वरन अवसर मिले, तो पुरूषों को भी काफी पीछे छोड़ सकती हैं।


जो फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, उसमें एक प्यारी सी बिटिया क्लाॅस में अपनी कुर्सी पर बैठी हुई है और पेंसिल को हाथ में लिये हैं। बड़े इत्मीनान के साथ पेंसिल को देख रही हैं। मानो बहुत ही गंभीरता के साथ किसी विषय पर मंथन कर रही है। दूसरी फोटो में एक बिटिया सिर पर टोकरी रखे हुए हैं। उसकी टोकरी में फल रखे हुए हैं। मनीष सिसौदिया उससे कुछ पूछ रहे हैं और वह मुस्कुराकर जवाब दे रही है। बेटियों जैसी खुशियां और कोई नहीं दे सकता, यह एकदम सच है।

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