दुश्मनी, दोस्ती और नूराकुश्ती

दुश्मनी, दोस्ती और नूराकुश्ती

कोलकाता। राजनीति में स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होते। इसलिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि किसे पक्का दोस्त समझा जाए और किसको दुश्मन। राजनीति में नूराकुश्ती तो अक्सर होती रहती है। जनता के लिए यह तमाशा हो जाता है। पश्चिम बंगाल और बिहार की राजनीति में आजकल यही हो रहा है। उत्तर प्रदेश में भी नूराकुश्ती का रिहर्सल किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) में आए शुभेंदु अधिकारी के बाद उनके भाई सौमेंधु अधिकारी भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इसकी संभावना उसी समय से जतायी जा रही थी, जब शुभेंदु ने टीएमसी छोड़ दी थी। शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के सबसे विश्वसनीय नेता हुआ करते थे लेकिन आज वही ममता बनर्जी के दुश्मन बन गये हैं। इसी प्रकार बिहार में भाजपा और जदयू के बीच नूराकुश्ती हो रही है जिसे पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देबी भी नहीं समझ पा रही हैं और कहने लगीं नीतीश को हम महागठबंधन में ले आएंगे।

पश्चिम बंगाल में किसानों का सिंगुर में हुआ आंदोलन वहां की जनता अब तक भूली नहीं है। ममता बनर्जी ने इसी आंदोलन को समर्थन दिया। वे अनशन कर रही थीं और एक दिन जब किसानों को संबोधित करते समय ममता बनर्जी बेहोश होने लगीं तब उनको जिस युवक ने संभाल कर अस्फताल पहुंचाया था, उसका नाम था शुभेंदु अधिकारी। उस समय लोगों ने ममता बनर्जी जिंदाबाद के नारे लगाए तो शुभेंदु ने उन्हें रोक दिया और कहा, नारे बाद में लगाना पहले दीदी को स्वस्थ हो जाने दो।दीदी स्वस्थ हो गयीं और पश्चिम बंगाल की सत्ता पर उनका कब्जा भी हो गया। शुभेंदु अधिकारी भी प्रभावशाली नेता बन गये। उनके परिजन भी राजनीति में उसी तरह जम गये जैसे उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह के परिवार ने सत्ता पर कब्जा करने का प्रयास किया। अब शुभेंदु के भाई सौमेंधु अधिकारी ने भी बीजेपी की सदस्यता ले ली। सौमेंदु कांथी नगरपालिका के अध्यक्ष रह चुके हैं।

उन्हें हाल ही में अपने पद से हटा दिया गया था। सौमेंदु ने पहले ही बीजेपी में शामिल होने के संकेत दे दिए थे। इस कार्यक्रम के दौरान टीएमसी के खिलाफ नाराजगी जता रहे अधिकारी ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में आए शुभेंदु अधिकारी के बाद उनके भाई सौमेंदु अधिकारी का बीजेपी में शामिल होना इसलिए महत्वपूर्ण है कि वे भाजपा में उस दिन शामिल हुए जब टीएमसी का स्थापना दिवस था। सौमेंदु ने पहले ही कहा था कि हर घर में कमल खिलेगा। इस दौरान ही उन्होंने अपने भाई के पदचिन्हों पर चलकर बीजेपी में शामिल होने के संकेत दे दिए थे। फिलहाल अधिकारी परिवार के दो और सदस्य सांसद दिब्येंदु और शिशिर टीएमसी खेमे में बने हुए हैं। शुभेंदु अधिकारी ने 16 दिसंबर को टीएमसी से नाता तोड़ लिया था।

पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी राज्य में काफी सक्रिय बनी हुई है। वहीं, राज्य में लगातार एक के बाद एक सियासी घटनाओं के चलते हलचल तेज है। कुछ दिन पूर्व ही टीएमसी यूथ विंग के महासचिव विनय मिश्रा के घर गौ-तस्करी और कोयला चोरी के आरोपों के चलते सीबीआई ने छापा मारा। मिश्रा राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी के काफी करीबी माने जाते हैं।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मवेशी तस्करी मामले में 1 जनवरी को पश्चिम बंगाल में कई ठिकानों की तलाशी ली जिनमें तृणमूल कांग्रेस नेता विनय मिश्रा के ठिकाने भी शामिल हैं जिन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का करीबी समझा जाता है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने मिश्रा के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया है ताकि वह देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकें। उन्होंने बताया कि अन्य ठिकानों के साथ सीबीआई मिश्रा के कोलकाता स्थित दो परिसरों की भी तलाशी ले रही है। अब इसे राजनीति से क्यों न जोड़ा जाए ? मामले कोई नये नहीं हैं। विधानसभा चुनाव नजदीक आ गये हैं।

पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव इस साल अप्रैल-मई में होने की संभावना है। राज्य के 7.18 करोड़ मतदाताओं में से 3.15 करोड़ महिलाएं हैं। यह ऐसी संख्या है जिसकी कोई भी पार्टी अनदेखी नहीं कर सकती। महिला मतदाताओं पर ध्यान ऐसे समय पर केंद्रित किया जा रहा है जब आंकड़ों से यह पता चला है कि महिलाओं के चलते बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम राजग के पक्ष आये थे। महिला मतदाता ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस के समर्थन में मजबूती से खड़ी रही हैं लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उनमें से कई ने भाजपा का समर्थन किया। इसके बाद राज्य में सत्ताधारी पार्टी ने उन्हें फिर से लुभाने के लिए कई पहलें शुरू की हैं।

उधर, बिहार में नए साल में नूराकुश्ती देखने को मिल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बिहारवासियों को बधाई देते हुए नीतीश कुमार को लेकर बड़े संकेत दिए है। राबड़ी देवी ने कहा कि नीतीश कुमार को फिर महागठबंधन में शामिल करने पर पार्टी के नेता विचार करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष सहित तमाम नेता इसपर चर्चा करेंगे। अरुणाचल में जेडीयू के विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर राबड़ी देवी ने कहा कि बिहार में भी बीजेपी ऐसा कर सकती है। उन्होंने कहा बीजेपी जब कर देती है तब पता चलता है।परिवार के सदस्यों और राजद नेताओं को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधे राजनीतिक हमला करने से परहेज करने को कहा गया है।

ऐसी चर्चा है कि अरुणाचल प्रदेश में जदयू विधायकों को तोड़कर भाजपा में मिलाने के बाद से पैदा हुई संभावनाओं को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं। बिहार में नए साल में बड़ा सियासी उलटफेर हो सकता है। मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा के इस भीतरघात से नाराज नीतीश कुमार को महागठबंधन के पाले में करने के लिए खुद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने मोर्चा संभाल लिया है। बताया जाता है कि परिवार के सदस्यों और राजद नेताओं को बिहार के मुख्घ्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधे राजनीतिक हमला करने से परहेज करने को कहा गया है। यही कारण है कि परिवार का कोई भी सदस्य फिलहाल कहीं कुछ नहीं बोल रहा है। पार्टी के सभी नेताओं को सोच-समझ कर बोलने तथा एक-दूसरे के बयान के साथ पार्टी को खड़ा रखने की जवाबदेही दी गई है। ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं कि नीतीश कुमार को एक बार फिर अपने पाले में करने के लिए लालू यूपीए के कुछ बड़े नेताओं की भी मदद ले रहे हैं। संभव है कि नीतीश के लिए यूपीए का दरवाजा खोलने संबंधी बयान एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तरफ से आए। इस रणनीति पर भी काम हो रहा है।

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नए साल के पहले ही दिन से एक्शन मोड में नजर आए। नीतीश कुमार ने साल के पहले दिन मुख्य सचिवालय पहुंच कर कई विभागों की समीक्षा बैठक की। नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 2021 में आने वाली चुनौतियों के बारे में नही सोचता मैं चुनौतियों पर काम नहीं करता मैं जनता के लिए और जनता के हित में काम करता हूं। नीतीश कुमार ने एक जनवरी को एक साथ तीन विभागों की समीक्षा बैठक की, जिसमें ग्रामीण विकास विभाग परिवहन विभाग और लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम की समीक्षा दिशा-निर्देश भी दिया। जाहिर है कि वे भी सतर्क हैं। (हिफी)

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