कोरोना, दहशत और अफवाह

कोरोना, दहशत और अफवाह

नई दिल्ली। कोरोना को लेकर समस्या दहशत और अफवाह दोनो की है क्योंकि जमाखोर और कालाबाजारियों ने दवाईयों और इंजेक्शन को बाजार से गायब कर दिया। रेमडेसिवियर इंजेक्शन मेडिकल की दुकान पर नहीं मिल रहा था। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही इस इंजेक्शन की ब्लैक में कीमत 20 हजार से ऊपर बताई जा रही थी। भगवान जाने इसमें कितनी सच्चाई थी लेकिन एक भुक्तभोगी ने मोबाइल फोन पर यही कहा था। मरीज की हालत सीरियस हो गयी थी, इसलिए जो सज्जन इंजेक्शन का जुगाड कर रहे थे, उनसे कहा गया कि काफी महंगा है। खरीदने से पहले घरवालों से बात कर लें। संभवतया उनका आशय यही था कि मरीज को कुछ हो गया तो इंजेक्शन व्यर्थ हो जाएगा। उधर, लोग कोरोना के लक्षण होने पर भी जांच करवाने से डर रहे हैं। कोरोना पॉजिटिव हमारे पड़ोसी के घर पर स्वास्थ्यकर्मियों ने टेप लगाया था, उसे उन लोगों ने नोचकर फेंक दिया। लोग इस प्रकार बीमारी को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। इसका फायदा अफवाह फैलाने वाले उठा रहे हैं।जिधर देखो, उधर ही कानाफूसी होती है कि फलां को कोरोना हो गया है। इससे दहशत भी पैदा हो रही है।

स्वास्थ्य के मामले में नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने गत 20 अप्रैल कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ाई में अगले तीन सप्ताह निर्णायक हैं। पॉल के अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी उसी दिन सांत्वनाभरी खबर दी थी कि कोरोना की वजह से मृत्यु दर कम हो रही है और इसमें कमी आई है। साथ ही कोरोना पर लगातार सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि महामारी को लेकर बने दहशत के माहौल के बीच लोगों को सही जानकारी मिलनी चाहिए और उनको सही सलाह मिलनी जरूरी है। डा वीके पाल ने कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए केन्द्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को तीन सप्ताह की विशेष तैयारी करने को कहा है। उन्होंने लोगों की अनावश्यक आवाजाही पर कड़ी नजर रखने, भीड़ लगाने पर प्रतिबंध तथा बाजारों के निश्चित समय तय करने की जरूरत बतायी है। केन्द्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गयी है कि वे कोरोना जांच बढाएं और गंभीर हालात को देखते हुए प्रयोगशालाओं और अस्पतालों के ढांचे को मजबूत करें।

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 20 अप्रैल की रात 8.45 बजे देश के नाम संबोधन दिया। इसमें उन्होंने फ्रंटलाइन वर्कर्स का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर उन्होंने देश की जनता से वैक्सीन की बात की और कहा कि हमें जीवन बचाने के साथ ही आर्थिक गतिविधियां भी चालू रखनी हैं, इसमें वैक्सीन सबसे अहम भूमिका निभाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कोरोना के खिलाफ देश आज फिर बहुत बड़ी लड़ाई लड़ रहा है। कुछ सप्ताह पहले तक स्थितियां संभली हुई थीं और फिर ये कोरोना की दूसरी वेव तूफान बनकर आ गई। उन्होंने कहा कि जो पीड़ा आपने सही है, जो पीड़ा आप सह रहे हैं, उसका मुझे ऐहसास है और जिन लोगों ने बीते दिनो में अपनो को खोया है, मैं सभी देशवासियों की तरफ से उनके प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूँ। परिवार के एक सदस्य के रूप में, मैं आपके दुःख में शामिल हूं। चुनौती बड़ी है लेकिन हमें मिलकर अपने संकल्प, हौसले और तैयारी के साथ इसको पार करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा, इस बार कोरोना संकट में देश के अनेक हिस्से में ऑक्सीजन की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ी है। इस विषय पर तेजी से और पूरी संवेदनशीलता के साथ काम किया जा रहा है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, प्राइवेट सेक्टर, सभी की पूरी कोशिश है कि हर जरूरतमंद को ऑक्सीजन मिले। ऑक्सीजन प्रोडक्शन और सप्लाई को बढ़ाने के लिए भी कई स्तरों पर उपाय किए जा रहे हैं। राज्यों में नए ऑक्सीजन प्लांट्स हों, एक लाख नए सिलेंडर पहुंचाने हों, औद्योगिक इकाइयों में इस्तेमाल हो रही ऑक्सीजन का मेडिकल इस्तेमाल हो, ऑक्सीजन रेल हो, हर प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक करके बहुत कम समय में देशवासियों के लिए वैक्सीन विकसित की हैं। आज दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन भारत में है। भारत की कोल्ड चेन व्यवस्था के अनुकूल वैक्सीन हमारे पास है। यह एक टीम एफर्ट है, जिसके कारण हमारा भारत, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन्स के साथ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर पाया। टीकाकरण के पहले चरण से ही गति के साथ ही इस बात पर जोर दिया गया कि ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों तक, जरूरतमंद लोगों तक वैक्सीन पहुंचे।

असल समस्या यही है। माहौल दहशत का बन गया है। किसी को कोरोना का संक्रमण हो गया तो वह बताने से हिचकता है। हमारे एक निकट की संबंधी, जो लखनऊ के इन्दिरा नगर में रहती हैं, उन्होंने बताया कि मेरे मकान से सटे मकान में कोरोना से एक व्यक्ति की मौत हो गयी तब पता चला कि उनके घर में कोरोना संक्रमित दो लोग थे। यह सुनकर मुझे भी याद आया कि मेरी कालोनी में भी एक डाक्टर साहब जब निगेटिव हो गये, तब उन्होंने ग्रुप पर सूचना डाली। वे कोरोना पाजिटिव लगभग 15 दिन पहले हो गये थे। उनके घर में काम करने वाली दो तीन अन्य घरों में वहीं काम करती है। उसे भी काम पर आने से नहीं रोका गया। वो गरीब बेचारी भगवान भरोसे काम करती रही। एक अन्य घर में दो लोग कोरोना पाजिटिव भी हो गये। इसलिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन जब कहा कि देश में कोरोना के चलते प्रतिकूल स्थिति के बीच मृत्यु दर 1.18 प्रतिशत है तो भगवान को ही धन्यवाद देना चाहिए।

डॉ हर्षवर्धन ने यह भी बताया कि महज 1.75 प्रतिशत लोग आईसीयू में हैं जबकि 0.40 प्रतिशत वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। इसी तरह 4.03 फीसदी मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। दिल्ली के संदर्भ में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पिछले 3 से 4 दिनों में 800 से अधिक नॉन आईसीयू ऑक्सजीन बेड जोड़े गए हैं। डीआरडीओ और सीएसआईआर ने दिल्ली में बेड की सुविधा बढ़ाई है। सफदरजंग और लेडी हॉर्डिंग में नए बेड बढ़ा रहे हैं। ऐसा ही एम्स में भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल 80 फीसदी लोगों का होम आइसोलेशन में इलाज किया गया था। हम लगातार सुविधाएं बढ़ा रहे हैं। अस्पतालों में अस्थायी बेड बढ़ाए जा रहे हैं। मैनपावर को बढ़ाया जा रहा है। आक्सीजन की सप्लाई को बढाया जा रहा है।

इसके बावजूद मध्य प्रदेश के अस्पतालों को लेकर मिली खबर कुछ और ही कहानी कहती है। यहां के शहडोल मेडिकल कालेज में 18अप्रैल को आक्सीजन सिलेंडर न मिलने से 6 कोविड मरीजों की मौत हो गयी। मध्यप्रदेश में तो भाजपा की ही सरकार है। महाराष्ट्र जैसे गैरभाजपा सरकार वाले प्रदेश केन्द्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हैं। बताया गया कि 13 कोरोना मरीजों की उस दिन मौत हो गयी थी। कोरोना मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर आक्सीजन का सपोर्ट देना पड़ता है। एक दिन पहले ही लिक्वेड आक्सीजन प्लांट का अलार्म बजने लगा था। इसके बावजूद आक्सीजन का इंतजाम न हो सका। यही स्थिति दवाईयों को लेकर भी है।

अब महाराष्ट्र की बात करें, जहां की सरकार केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाती है, वहां 21अप्रैल को नासिक में बड़ा हादसा हो गया । यहां के जाकिर हुसैन अस्पताल में ऑक्सीजन टैंक लीक हो गया । इन पंक्तियों के लिखे जाने तक हादसे में 22 मरीजों की मौत हो गई थी। इस बात की जानकारी एफडीए मंत्री राजेंद्र शिंगणे ने दी । उन्होंने ये भी कहा था कि कुछ लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। रिपोर्ट्स में बताया गया कि टैंकर भरने के दौरान यह रिसाव हुआ था। रिसाव होने की वजह से अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन फैल गई थी। शिंगणे ने कहा कि इसमें 11 लोगों की तत्काल मौत हुई। हम इसकी जांच करेंगे और आने वाले दिनों में ऐसी घटना न हो इसके लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। हम एक विस्तृत जांच रिपोर्ट पाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही हमने जांच के आदेश दे दिए हैं। मंत्री ने कहा जो भी जिम्मेदार होगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा।

बहरहाल, कोरोना के चलते कुछ ऐसे हालात हैं कि बुद्धि भी चकरा जाती है। समझ में ही नहीं आता कि वास्तव में समस्या क्या है। (हिफी)





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