शाहपुर में सिंबल पर घमासान - एक तरफ वफादार तो दूसरी तरफ नया कैंडिडेट

शाहपुर में सिंबल पर घमासान - एक तरफ वफादार तो दूसरी तरफ नया कैंडिडेट

शाहपुर। नगर पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर शाहपुर में रालोद के सिंबल को लेकर घमासान मचा है। एक तरफ जहां 27 साल पुराना कार्यकर्ता टिकट का दावेदार है तो वहीं दूसरी तरफ जिसकी सत्ता उसके साथ रहने वाला ग्रुप भी रालोद के सिंबल के लिए दावेदारी कर रहा है। अब देखना यह होगा कि सिंबल इस लड़ाई में वफादार जीतता है या पैसे के बलबूते नया दावेदार।

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर जनपद की शाहपुर नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के लिए यह सीट छोड़ दी गई है। अब राष्ट्रीय लोकदल के सिंबल के लिए सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे रालोद के 27 साल पुराने कार्यकर्ता हाजी इलियास दावेदार हैं तो वहीं दूसरी दूसरी तरफ हाजी अकरम उर्फ कल्लू पोदी भी रालोद के टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। रालोद के सिंबल के लिए प्रयास जारी है। एक तरफ हाजी इलियास है जो 1996 से लगातार राष्ट्रीय लोकदल के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। बताया जाता है हाजी इलियास ने उस समय भी रालोद से किनारा नहीं किया था जब रालोद और भाजपा का गठबंधन हुआ था।

इसके साथ ही हाजी इलियास जब 2012 का विधानसभा चुनाव हो रहा था और समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे थे तब बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शाहपुर कस्बे में हाजी इलियास का परिवार अकेला राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी राजपाल बालियान के साथ खड़ा था, बाकी मुस्लिम मतदाताओं में नवाजिश आलम की लहर थी। जब चुनावी नतीजे आए और नवाजिश आलम बुढ़ाना से विधायक बन गए तथा राजपाल बालियान रालोद के टिकट पर हार चुके थे लेकिन हाजी इलियास ने रालोद का दामन नहीं छोड़ा।

2017 में हाजी इलियास ने शाहपुर नगर पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और भाजपा के परमेश सैनी से टक्कर लेते हुए दूसरे नंबर पर रहे हाजी इलियास तब चुनाव हार गए थे क्योंकि बच्ची लाल सैनी चुनाव लड़ रहे थे और उन्होंने मुस्लिम मतों में सेंध लगाते हुए काफी वोट हासिल कर ली थी। अब जब 2022 में स्थानीय निकाय के चुनाव हो रहे हैं तो इलियास कुरेशी रालोद के सिंबल के लिए प्रबल दावेदार हैं। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि लेकिन इसी बीच शाहपुर में कुछ प्रॉपर्टी के काम में हाथ आजमाने वाले गैंग ने एक नए प्रत्याशी को इसलिए मैदान में उतार दिया क्योंकि एक बहुत बड़े प्रॉपर्टी के मामले में भाजपा के नेताओं ने अड़ंगा लगा रखा है।

भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेताओं का दबाव है शाहपुर नगर पंचायत में भाजपा का नगर पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी चुनाव जीता तभी इस प्रॉपर्टी को क्लीरियंस मिल पाएगा। बताया जाता है इसीलिए सत्ता के गलियारों में अपनी धमक रखने वाला यह गैंग रालोद के सिम्बल पर भाजपा के साथ फिफ्टी फिफ्टी खेलकर अपने मकसद में कामयाब होना चाहता है क्यूंकि इस प्रॉपर्टी की कीमत करोडो में बताई जाती है।

अब देखना यह होगा की सिम्बल की इस लड़ाई में रालोद का वफादार सिपाही जीतता है या पैसे के बल पर प्रॉपर्टी डीलर ।

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