अन्नदाता, कुपित विधाता

अन्नदाता, कुपित विधाता

नई दिल्ली। सबका पेट भरने वाला भारत का किसान अन्नदाता तो है लेकिन विधाता उस पर कुपित हो गये हैं। सियासत की बाजीगरी को वह समझ नहीं पाता। इसलिए कभी उसे अपने खेत में गन्ने की फसल जलानी पड़ती है, कभी टमाटर को सड़कों पर फेंकना पड़ता है और कभी अपने फूल गोभी के खेत में ट्रैक्टर चलाना पड़ता है क्योंकि उसकी फूल गोभी एक रुपये किलो बिकती है और खेत से निकालने में जितनी मजदूरी खर्च होगी, उतना पैसा भी नहीं मिलता। अफसोस तो यह कि अपनी समस्या लेकर जब वह सड़क पर उतरा तो उसे टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य बताया जा रहा है। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से उसे बरगलाया जा रहा है। अन्नदाता अपनी नियति पर रो रहा है और क्रोधित भी हो रहा है।

देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ 20 दिन से प्रदर्शन चल रहा है, वहीं बिहार के समस्तीपुर में गोभी का उचित मूल्य नहीं मिलने से एक किसान इतना टूट गया कि उसने लहलहाती फसल पर ट्रैक्टर चला दिया।

समस्तीपुर जिले के मुक्तापुर के किसान ओम प्रकाश यादव का कहना है कि गोभी की खेती में चार हजार रुपये प्रति कट्ठा का खर्च है और यहां मंडी में एक रुपये किलो भी नहीं बिक रहा है। अपनी पीड़ा बताते हुए ओम प्रकाश यादव ने कहा कि पहले तो गोभी को मजदूर से कटवाना पड़ता है, फिर बोरा देकर पैक करवाना होता है और ठेले से मंडी पहुंचाना पड़ता है, लेकिन वहां आढ़तिए एक रुपये प्रति किलो भी गोभी की फसल खरीदने को तैयार नहीं है। मजबूरन उसे अपनी फसल पर ट्रैक्टर चलवाना पड़ रहा है। किसान ने कहा कि दूसरी बार उसकी फसल बर्बाद हुई है, इससे पहले भी उसकी फसल को कोई खरीदने वाला नहीं था।

ओम प्रकाश यादव ने कहा कि अब वे इस जमीन पर गेंहू रोपेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार से एक रुपया लाभ नहीं मिल रहा है। इससे पहले उनका काफी गेहूं खराब हो गया था तो सरकार से एक हजार 90 रुपया का मुआवजा मिला था। इस किसान ने कहा कि वह 8 से 10 बीघे में खेती करते हैं और सरकार की ओर से एक हजार रुपया क्षतिपूर्ति मिलता है। यहां के किसानों का कहना है कि जितने रुपये खर्च कर के वो गोभी को मंडी लेकर जाएंगे वहां पर उसका मूल धन भी वापस नहीं होने वाला है। लिहाजा फसल को खेत में ही नष्ट कर देना सही है। खेत में ट्रैक्टर चलाते देखकर आस-पास के लोग खेत पहुंच गए और खेत से गोभी उठाकर घर ले गए। अपनी फसल की कीमत न पाने वाला किसान फिलहाल लोगों को अपनी गोभी ले जाता देखकर ही संतुष्ट था। इस किसान ने कहा कि ये सब गांव के लोग और मजदूर हैं, सब्जी खाकर खुश होंगे।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की नाराजगी दिन-ब दिन बढ़ती जा रही है। किसान तीनों कृषि कानूनों की रद्द कराने की अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में कृषि कानूनों पर सत्तापक्ष और विपक्षी पार्टियों के बीच तू डाल-डाल मैं पात-पात की राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी देश भर में कृषि कानूनों पर जनसमर्थन जुटाने के लिए किसान सम्मेलन और चैपाल शुरू कर रही है। वहीं, विपक्ष ने किसानों के समर्थन में गांव-गांव पंचायत और जिला मुख्यालय पर धरना देने की कवायद शुरू की है। इस तरह विपक्ष कानून की खामियों को किसानों के बीच पहुंचाने की तैयारी में है। कुल मिलाकर किसानों के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष की सियासत तेज होती नजर आ रही है।

किसानों के साथ सुलह की गुंजाइश कम देखते हुए बीजेपी में देश भर में कृषि कानूनों का फायदा किसानों को बताने का बीड़ा उठाया है। बीजेपी ने देशभर में 700 जगहों पर चैपाल लगाने का ऐलान किया है। बीजेपी इन चैपाल के जरिए किसानों को कृषि कानूनों के बारे में गलतफहमी दूर करने और किसानों को कानून के फायदे गिनाने का काम करेगी ताकि किसान आंदोलन को काउंटर कर सके। बीजेपी के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री से लेकर बीजेपी शासित राज्यों के मंत्री किसान सम्मेलन और चैपाल में शामिल होंगे।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी किसान सम्मेलन का आगाज पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्य के पार्टी प्रभारी राधामोहन सिंह ने बस्ती जिले से किया है। यह किसान सम्मेलन 18 दिसंबर तक चलेगा। राधामोहन सिंह हर रोज तीन से चार जिलों में किसान सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयक को लेकर किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दशकों तक जिन दलों ने सत्ता में रहते हुए किसानों को छला वही लोग आज ऐतिहासिक कानूनों को लेकर किसानों में भ्रम फैला रहे हैं। ऐसे में किसानों को कानून की सही बातें समझाना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में गांव, गरीब, किसान है और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून किसानों को ज्यादा अवसर व विकल्प प्रदान करने वाले हैं।

बीजेपी सूबे के कृषि कानून पर जनसमर्थन जुटाने के लिए सम्मलेन कर रही है तो समाजवादी पार्टी किसानों के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है। सपा के कार्यकर्ताओं ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन शुरू किए हैं। हालांकि, सपा के विरोध प्रदर्शन के ऐलान को देखते हुए प्रशासन ने सभी जिलों में बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स लगा रखी है। सपा के कई नेताओं को नजरबंद भी किए जाने की बातें सामने आ रही हैं। कैसरबाग स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया।

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने किसानों से एक बार फिर से सरकार के साथ बातचीत करने की अपील की है। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा है कि ये किसानों का मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए उन्होंने कहा कि इस सरकार में किसी भी तरह से किसानों के साथ नाइंसाफी नहीं होगी। गडकरी ने कहा कि सार्थक संवाद के बाद सरकार किसानों के अच्छे सुझावों को नए कृषि कानून में समायोजित करने को तैयार है।

महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के किसानों के आंदोलन में शामिल होने की खबरों के बीच नितिन गडकरी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि अन्ना हजारे इस आंदोलन में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने किसानों के खिलाफ कुछ भी नहीं किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये किसानों का अधिकार है कि वे अपने उपज को मंडी में बेचें, या व्यापारी को बेचें या फिर किसी और को। उन्होंने कहा कि कुछ लोग किसानों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं ये गलत है। किसानों को इन तीनों कानूनों को समझना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए समर्पित है। अगर किसान नए कानून को लेकर कुछ सुझाव देते हैं तो उनकी सरकार इन सुझावों को मानने के लिए तैयार है। गडकरी ने कहा कि जब तक नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्र में है किसानों के साथ कोई नाइंसाफी नहीं होगी। नितिन गडकरी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर संवाद नहीं होता है तो इससे भ्रम पैदा हो सकता है, फिर इससे विवाद जन्म लेता है, और अगर संवाद होता है तो समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को न्याय मिलेगा। (हिफी)

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