कितना कारगर रहेगा नया पैकेज

कितना कारगर रहेगा नया पैकेज

नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नरेन्द्र मोदी की सरकार ने गत 12 अक्टूबर को एक और राहत पैकेज देने की घोषणा की है। इसमें खासतौर पर सरकारी कर्मचारियों को फेस्टिवल एडवांस और एलटीसी की जगह कैश बाउचर देने का प्रावधान किया गया है। कैश बाउचर से कर्मचारी तरह-तरह के सामान और सेवाएं खरीद सकते हैं। इसके बावजूद दो बातें महत्वपूर्ण हैं। एलटीसी के स्थान पर मिलने वाले कैश बाउचर से तो खरीदारी होगी लेकिन फेस्टिवल एडवांस लेने से कर्मचारी पैसे से खरीददारी करेंगे, यह जरूरी नहीं है। यह पैसा अगर बाजार में नहीं पहुंचा तो सरकार का मकसद पूरा नहीं होगा। हालांकि केन्द्र सरकार की इस रणनीति ने कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर के टाइटन कम्पनी, ब्लू स्टार, ब्हर्ल पूल और वोल्टास जैसी कंपनियों के शेयरों में 13 अक्टूबर को 2 फीसद का इजाफा कर दिया। दूसरे शब्दों में कहें तो जनता ने मान लिया कि इन कंपनियों का कारोबार आने वाले त्योहारों में बढ़ेगा।

अर्थव्यवस्था की गतिशीलता के बीच में यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे ज्यादा जरूरी अर्थात् खान-पान की वस्तुओं में महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही है और जेब जब सब्जी-फल आदि खरीदने में ही खाली हो जाएगी तो वाहन और फ्रिज आदि खरीदने की कैसे सोच सकेंगे।

खाने-पीने के सामान का दाम बढ़ने से सितंबर महीने में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 7.34 फीसदी हो गई जो पिछले आठ महीने में सबसे ज्यादा है। दूसरी तरफ, अगस्त महीने के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 8 फीसदी की गिरावट देखी गई। खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर महीने में बढ़कर 7.34 फीसदी रही. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर अगस्त में 6.69 फीसदी और सितंबर 2019 में यह 3.99 फीसदी थी। इसके पहले खुदरा महंगाई सबसे ज्यादा जनवरी 2020 में 7.59 फीसदी थी।

सरकार द्वारा 12 अक्टूबर को जारी आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में 10.68 फीसदी थी जो अगस्त में 9.05 फीसदी के स्तर पर थी। भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दर पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर गौर करता है। इस बीच विनिर्माण यानी मैन्युफैक्चरिंग, खनन और विद्युत क्षेत्र का उत्पादन कम रहने से अगस्त माह में औद्योगिक उत्पादन में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के मुताबिक अगस्त 2020 में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 8.6 फीसदी, खनन क्षेत्र के उत्पादन में 9.8 फीसदी और बिजली क्षेत्र के उत्पादन में 1.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस बीच कोरोना संकट के दौरान अर्थव्यवस्था पर असर को देखते हुए मोदी सरकार ने एक और राहत पैकेज का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चार ऐसे कदमों का ऐलान किया, जिनसे अर्थव्यवस्था को तेजी मिलने की उम्मीद है। गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष की पहली यानी जून तिमाही में भारत की जीडीपी में करीब 24 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट आई थी। इसे देखते हुए एक्सपर्ट कह रहे थे कि सरकार को अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के और उपाय करने होंगे। इसके पहले मई में ही मोदी सरकार करीब 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान कर चुकी है। नए ऐलान के मुताबिक सरकार ने इकोनॉमी में मांग बढ़ाने के लिए कुल चार कदम उठाये हैं। पहला सरकारी कर्मचारियों के एलटीसी के बदले कैश वाउचर्स, दूसरा, कर्मचारियों को फेस्टिवल एडवांस देना, तीसरा, राज्य सरकारों को 50 साल तक के लिए बिना ब्याज कर्ज और चौथा, बजट में तय पूंजीगत व्यय के अलावा केंद्र द्वारा 25 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करना। वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि इन सारे कदमों से अर्थव्यवस्था में 31 मार्च 2021 तक करीब 73 हजार करोड़ रुपये की मांग पैदा होगी। उन्होंने कहा कि अगर निजी क्षेत्र ने भी अपने कर्मचारियों को राहत दी तो इकोनॉमी में कुल मांग 1 लाख करोड़ रुपये के पार हो सकती है।

सरकारी कर्मचारियों के लिए यात्रा अवकाश रियायत (एलटीसी) की कैश वाउचर्स स्कीम सरकार लेकर आई है। इसके तहत सरकारी कर्मचारी को नकद वाउचर मिलेगा जिससे वो खर्च कर सकेंगे और इससे अर्थव्यवस्था में भी बढ़त होगी। इसका लाभ पीएसयू और सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों को भी मिलेगा। वित्त मंत्री ने बताया कि इससे केंद्र और राज्य कर्मचारियों के खर्च के द्वारा करीब 28 हजार करोड़ रुपये की मांग इकोनॉमी में पैदा होगी।

वित्त मंत्री ने बताया कि इससे केंद्र और राज्य कर्मचारियों के खर्च के द्वारा करीब 28 हजार करोड़ रुपये की मांग इकोनॉमी में पैदा होगी. फेस्टिवल एडवांस- वित्त मंत्री ने बताया कि फेस्टिवल एडवांस स्कीम को फिर एक बार सिर्फ इसी साल के लिए शुरू किया जा रहा है। यह योजना छठे वेतन आयोग तक लागू थी, लेकिन सातवें वेतन आयोग में इसे खत्म कर दिया गया था. इसके तहत 10 हजार रुपये का एडवांस सभी तरह के कर्मचारियों को मिलेगा, जिसे वे 10 किस्त में जमा कर सकते हैं। यह 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध रहेगा। यह प्रीपेड रूपे कार्ड के रूप में दिया जाएगा। राज्यों को 50 साल तक का बिना ब्याज का लोन- वित्त मंत्री ने कहा कि पूंजीगत बढ़ाने के लिए 50 साल का ब्याज रहित लोन राज्यों को दिया जाएगा। यह करीब 12 हजार करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के लिए दिया जाएगा। इसके तीन हिस्से होंगे- 2500 करोड़ रुपये पूर्वोत्तर, उत्तराखंड और हिमाचल को दिए जाएंगे। इसके बाद 7500 करोड़ रुपये अन्य राज्यों को वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक दिए जाएंगे। तीसरा 2,000 करोड़ रुपये का हिस्सा उन राज्यों को मिलेगा जो कि आत्मनिर्भर भारत के तहत हुए ऐलान में से कम से कम 3 सुधार लागू करेंगे। यह पूरा लोन 31 मार्च 2021 से पहले दिया जाएगा। यह राज्यों को पहले से मिल रहे लोन के अतिरिक्त होगा। वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल बजट में तय केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय के अलावा सरकार अतिरिक्त 25,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। यह खासकर सड़क, डिफेंस संबंधी बुनियादी ढांचा, जलापूर्ति, शहरी विकास, डिफेंस के देश में बने कैपिटल इक्विपमेंट के लिए होगा। इससे अर्थव्यवस्था की गतिशीलता बढ़ेगी।(अखिलेश पाठक-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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