गांधीनगर के फैशन डिजाइनर बुंदेलखंड में सीख रहे खेती के गुर

गांधीनगर के फैशन डिजाइनर बुंदेलखंड में सीख रहे खेती के गुर

बांदा। कोरोना संकट ने प्रकृति और पर्यावरण के प्रति संजीदा सोच रखने वालों को जीवन शैली में बदलाव लाने के लिये ऐसा प्रेरित किया है कि फैशन डिजाइनिंग और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से लेकर पत्रकारिता और कला जगत तक के लोग अब अपना कार्य क्षेत्र बदलकर गांव और खेती किसानी का रुख कर रहे हैं।

विभिन्न क्षेत्रों के कार्यकुशल ( प्रोफेशनल) लोगों में खेती किसानी के जरिये प्रकृति के करीब रहकर काम करने और खेती के गुरु सीखने की इच्छा को देखते हुए बुंदेलखंड के प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह के बांदा स्थित फार्म हाऊस में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरु किया गया है।

ताईवान में कार्यरत आईटी प्रोफेशनल राजीव सिंह और उनकी पत्नी साक्षी हों या गांधीनगर के फैशन डिजाइनर रोहित दुबे और लोकगायिका बेबी रानी प्रजापति हों, अन्य क्षेत्रों के प्रोफेशनल को खेती किसानी सिखाने के लिए पिछले सप्ताह पहली कार्यशाला का आयोजन किया गया। संतोषप्रद जीवनशैली को सुनिश्चित करने वाली आवर्तनशील खेती की अवधारणा से दुनिया को परिचित कराने वाले प्रेम सिंह की अगुवाई में हुई पहली कार्यशाला में ''खेती क्यों और कैसे हो'' इसका व्यवहारिक ज्ञान कराया गया।

चार दिवसीय कार्यशाला की सफलता से उत्साहित प्रेम सिंह और उनकी प्रशिक्षण टीम ने इस तरह की अनूठी कार्यशालाओं का सिलसिला जारी रखने का फैसला किया है। कार्यशाला के संचालक जितेन्द्र गुप्ता का कहना है कि पर्यावरण संकट को देखते हुये अब विभिन्न क्षेत्रों के प्रोफेशनल खेती की ओर बढ़ रहे हैं। खेती किसानी के हुनर से अनभिज्ञ होने के कारण उन्हें इस विधा के सामान्य व्यवहारिक ज्ञान की दरकार होती है। इस जरूरत को महसूस करते हुये अब हर महीने चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन करने की कार्ययोजना बनायी गयी है।

प्रेम सिंह का मानना है कि किसानी ही एकमात्र ऐसा कार्य है जो प्रकृति की सेवा करते हुये पर्यावरण को संतुलित बनाने एवं मानव जीवन की पूर्णता का अहसास कराता है। उन्होंने 1987 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद बांदा स्थित अपने पुश्तैनी गांव बड़ोखर खुर्द में नयी अवधारणाओं पर आधारित खेती करना शुरु किया था। पिछले तीन दशक से जारी प्रयोगधर्मी कृषि के दौरान ही आवर्तनशील पद्धति को विकसित किया गया। उनके फार्म हाऊस पर अब इस पद्धति से खेती सीखने के लिये दो दर्जन से अधिक देशों के किसान और छात्र हर साल नियमित रूप से आते है।

सतत प्रयोगों पर आधारित आवर्तनशील पद्धति से खेती के प्रशिक्षण के व्यवस्थित पाठ्यक्रम को युवा किसान जितेन्द्र गुप्ता ने तैयार किया है। अपने तरह के इस अनूठे प्रशिक्षण में फार्म डिजाइनिंग, सिंचाई एवं जल प्रबंधन, पशुपालन और जैविक खाद निर्माण सहित खेती से जुड़े विभिन्न कार्यों को सीखने समझने का पाठ्यक्रम डिजाइन किया गया है। इसमें तालाब निर्माण के महारथी और बुंदेलखंड क्षेत्र में एक हजार से अधिक तालाब बनवाने वाले प्रगतिशील किसान पुष्पेन्द्र भाई जल प्रबंधन के गुर सिखाते हैं।

बागवानी विशेषज्ञ, पंकज बागवान फल एवं सब्जियों के बाग लगाने के तौर तरीके बताते हैं जबकि कृषि विशेषज्ञ शैलेन्द्र सिंह बुंदेला, किसानों को खुद अपने फार्म पर ही जैविक खाद बनाने के गुर सिखाते हैं। इसके अलावा प्रेम सिंह, 'खेती क्यों और कैसे' जैसे मूलभूत सवालों के जवाब अपने अनुभवजन्य ज्ञान से देकर संतृप्त एवं संतोषप्रद जीवनशैली से प्रशिक्षुओं को अवगत कराते हैं।

वार्ता

Next Story
epmty
epmty
Top