न लव न जिहाद, ये है भटकाव

नई दिल्ली। समाज में अजीब सा विचलन हो रहा है, जो अच्छे संकेत नहीं देता। इसका एक कारण तो समाज पर नियंत्रण कमजोर होना है। समाज शास्त्र में जिनको रुचि है, वे जानते होंगे कि समाज पर नियंत्रण कानून और धर्म के माध्यम से लगाया जाता है। स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है तो उच्छृंखलता समाज को तोड़ती है। भौतिकवाद और परसंस्कृतिकरण ने स्वतंत्रता को इसी उच्छृंखलता में बदल दिया है। आजकल लव जिहाद को लेकर सोशल मीडिया से लेकर प्रिन्ट मीडिया तक घमासान मचा है। मुझे तो न कहीं लव दिखाई देता है और न जेहाद। सोशल मीडिया पर भटकाव जरूर तेजी से फैलाया जा रहा है। अलग अलग सम्प्रदाय के लोगों को इस तरह के मैसेज फार्वर्ड किये जा रहे हैं जिससे आपस में वैमनस्यता बढे़। इनका मूल स्रोत तलाशें तो छींके आ जाएंगी। दोनों सम्प्रदाय के लोगों से अलग अलग बात की तो वे अपने पक्ष को ही उचित बताते हैं। पाकिस्तान की एक घटना का उल्लेख भी किया जा रहा है जिस पर भारत सरकार ने आपत्ति भी जतायी और सिख समुदाय को न्याय देने की मांग की है। लव जिहाद रोकने के लिए उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। इसलिए लव जिहाद से मामलों को लेकर मीडिया और समाज के जागरूक लोगों को आगे आना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि लव जेहाद को लेकर हिन्दुओं में उत्तेजना बढ़ रही है और दूसरे सम्प्रदाय के प्रति नफरत पैदा होती है जो हमारे देश की गंगा जमुनी संस्कृति के लिए घातक साबित हो सकती है। आरोप निराधार नहीं हैं और यह तर्क भी नहीं दिया जा सकता कि युद्ध और प्यार में सब कुछ जायज है तो झूठ बोलकर भी अपने प्यार को हासिल करना जायज है। दरअसल प्यार होना चाहिए और उसके पीछे नेकनीयत। इतिहास से अकबर और जोधाबाई का किस्सा बार बार उछाला जाता है लेकिन याद रखना पड़ेगा कि अकबर ने कभी भी जोधाबाई से अपना धर्म बदलने के लिए नहीं कहा। इतना ही नहीं जोधाबाई के लिए महल में ही मंदिर बनवाया गया था, जहां भगवान कृष्ण का जन्म दिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता था। आज भी कोलकाता की टीएमसी सांसद नुसरत जहां उसी परम्परा की याद दिलाती हैं। कोलकाता के व्यवसायी निखिल जैन से शादी रचाई। अपने चाहने वालों को गणेश महोत्सव विश करते हुए गणेश जी के साथ अपने फोटो वाले कार्ड पर लिखा था- मैं आशा करती हूं भगवान हमें अच्छी सेहत और खुशियों से नवाजें-हैपी गणेश चतुर्थी। अभी हाल में नुसरत जहां ने दुर्गा का रूप धारण कर फोटो शूट करवाया था और सोशल मीडिया का घिनौना चेहरा सामने आ गया। सांसद नुसरत जहां को धमकियां मिलने लगीं।
राशिद से राकेश बनकर हिन्दू लड़की से शादी करके उससे धर्म बदलने को क्यों कहते हैं ? इस तरह की घटनाएँ ही आज की मुख्य समस्या बन गयी हैं। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में चोपन थाना क्षेत्र के प्रीत नगर के पास गत 21 सितम्बर को एक युवती की सिरकटी लाश मिली थी। पुलिस ने इस मामले में छानबीन की तो पता चला कि यह लव जिहाद मामला है। मजहब नहीं बदलने के कारण युवती के पति ने अपने दोस्त के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी और शव की शिनाख्त छिपाने के लिए सिर और धड़ अलग अलग कर दो स्थानों पर फेंक दिये। पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव ने इस मामले में बताया कि प्रीतनगर निवासी लक्ष्मी सोनी की बेटी 21वर्षीय प्रिया सोनी की लाश थी। प्रिया ने परिवार की बिना सहमति के पड़ोस में रहने वाले एजाज अहमद से शादी की। एजाज ने पुलिस को बताया कि प्रिया शादी के बाद मजहब बदलने को तैयार नहीं थी। यही कारण था कि उसने प्रिया को अपने घर में न रखते हुए ओबरा स्थित एक महिला लाज में कमरा लेकर रखा था। पुलिस ने मृतका का मोबाइल, आलाकत्ल चाकू, लोहे का राड व फावड़ा बरामद कर एजाज के दोस्त शुएब को भी गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले की सच्चाई बताने के लिए प्रिया तो इस दुनिया में नहीं है लेकिन कुछ तथ्य ऐसे हैं जिन पर विश्वास करना ही पडे़गा। पहला यह कि प्रिया की उम्र इतनी है कि उसे बरगलाया नहीं जा सकता और उसने जानबूझकर एक मुसलमान युवक से प्रेम किया। उस युवक ने धोखा दिया। इसे उसकी तरफ से प्यार तो कतई नहीं कहा जा सकता। प्यार में किसी प्रकार की शर्तें नहीं होतीं। यहां तो उसी के विश्वास के साथ शरीर की भी हत्या कर रहे हैं। अब जिहाद बात करें तो इन युवाओं को उसका पता ही नहीं है। जेहाद के नाम पर बरगलाए जाते हैं। ऐसा सुनियोजित ढंग से हो रहा है तो निश्चित रूप से उसे रोकना होगा। प्रहार भी जड़ पर करना होगा। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के पूर्वी उत्तर प्रदेश में धर्म प्रसार के क्षेत्र प्रमुख ने सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों को अपने साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित भी किया है जो हिन्दू समाज के धर्मांतरण और लव-जिहाद को रोकने, घर वापसी करवाने तथा ऐसे बन्धुओं की सेवा में रुचि रखते हैं। उन्होंने तमाम घटनाओं का उल्लेख भी किया है जिनमें किसी शुएब ने दिनेश नाम से हिन्दू लड़की को धोखा दिया। विभिन्न समाचार पत्रों में छपी खबरों को साक्ष्य के रूप में भी पेश किया गया है। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जिन्होंने हिन्दू लड़कियों को धोखा देने के साथ-साथ बदले हुए नाम से नौकरी भी की। ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ मुकदमा भी चल रहा है। जोर जबरदस्ती के भी उदाहरण हैं। कश्मीरी पंडितों के साथ 1990 में यही हुआ था। कट्टरपंथियों ने फरमान जारी किया था- मर्द घर छोड़कर चले जाएं, औरतों को यहीं रहने दें। आज भी पाकिस्तान में यही हो रहा है। इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने पाकिस्तान में रहने वाले एक हिन्दू परिवार के साथ हुई घटना का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि कराची में रहने वाले हिन्दू परिवार की बेटी की शादी पुणे में तय हुई थी। लॉकडाउन लने में देरी हुई । इसी बीच बेटी को अगवा कर लिया गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा निकाह पढ़ाया गया। सांसद ने बताया कि विदेश और गृह मंत्रालय से कहा गया है कि उस परिवार को जल्द वीसा दिया जाए क्योंकि उसी परिवार की छोटी बेटी के रिश्ते की बात राजस्थान में चल रही है। पाकिस्तान की सरकार से वहां के अल्पसंख्यकों के प्रति अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करना ही व्यर्थ है। हम अपने देश में अल्पसंख्यकों के प्रति उसी तरह की भावना रखते हैं जैसी बहुसंख्यकों के प्रति है लेकिन कुछ भटके हुए लोग हैं जिनके कारण पूरा समाज बदनाम हो रहा है। इस भटकाव का समाधान भी हमें सोशल मीडिया के एक मैसेज से मिला।
महाभारत काल का समय है। अर्जुन ने कृष्ण से पूछा-माधव.. ये सफल जीवन क्या होता है। कृष्ण अर्जुन को पतंग उड़ाने ले गए।
अर्जुन कृष्ण को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था। थोड़ी देर बाद अर्जुन बोला-माधव.. ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें? ये और ऊपर चली जाएगी। कृष्ण ने
धागा तोड़ दिया ..। पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई...। तब कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का दर्शन समझाया...। पार्थ.. जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं.. हमें अक्सर लगता कि कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं। जैसे-घर, परिवार, अनुशासन, माता-पिता, गुरु और समाज- और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं...। वास्तव में यही वो धागे होते हैं- जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं..। इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ,। ये जो लव जिहाद है, इसके नायक और नायिकाएं भी इन धागों को तोड़कर ही कष्ट भोग रहे हैं। (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)