अब ऑनलाइन दवा खरीदारी में भी बेहतर विकल्प

अब ऑनलाइन दवा खरीदारी में भी बेहतर विकल्प

नई दिल्ली। ई-कॉमर्स की शुरुआत 1960 के दशक से शुरू हुई थी। एक अंग्रेज इनोवेटर और व्यवसायी माइकल एल्ड्रिच ने कैशलेस दुनिया के बारे में बहुत पहले ही सोच लिया था। माइकल एल्ड्रिच ने 1979 में ऑनलाइन शॉपिंग इजाद की। उस वक्त ऑनलाइन शॉपिंग का अर्थ केवल ऑनलाइन पेमेंट करने से था।

ऑनलाइन कारोबार गांव से शहर तक क्रान्तिकारी परिवर्तन का वाहक बन गया है। यह बाजार इंटरनेट और स्मार्टफोन के बूते तेजी से आगे बढ़ रहा है। गांव से महानगर तक लोग अब ऑनलाइन कारोबार से लाभ उठा रहे हैं और अब भारत के ऑनलाइन दवा बाजार यानी ई-फार्मेसी मार्केट में बड़ी जंग छिड़ने वाली है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नेटमेड्स में बड़ा हिस्सा खरीदा है और एमेजॉन ने बेंगलुरु से ई-फार्मेसी कारोबार शुरू कर दिया है। उधर फ्लिपकार्ट भी इस बाजार में आने की कोशिश में लगी है तो अगले वर्षों में भारतीय ऑनलाइन दवा बाजार में देसी-विदेशी दिग्गजों में कड़ी प्रतिस्पर्धा हो सकती है। रिलायंस ने ऐलान किया है कि उसने ऑनलाइन फार्मेसी कंपनी नेटमेड्स में 620 करोड़ रुपए का निवेश किया है। रिलायंस ने विटालिक हेल्थ और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों में करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी ली है जिन्हें सामूहिक रूप से नेटमेड्स के रूप में जाना जाता है।

पिछले हफ्ते ही बेंगलुरु में 'एमेजॉन फार्मेसी' लॉन्च हुई है। कंपनी आने वाले दिनों में दूसरे शहरों में भी इसका विस्तार करेगी। एमेजॉन ने तो दवाओं पर 20 फीसदी छूट देने का ऐलान भी कर दिया है। इस प्रतिस्पर्धा का फायदा ग्राहकों को मिल सकता है। इस तरह एक तरफ भारत के सबसे धनी मुकेश अंबानी का रिटेल चेन होगा और दूसरी तरफ दुनिया के सबसे धनी जेफ बेजोस की कंपनी। दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा देखने लायक होगी। एमेजॉन इंडिया के बाद फ्लिपकार्ट ने भी ई-फार्मेसी सेगमेंट में एंट्री करने का मन बना लिया है। ये भी सुनने में आ रहा है कि फ्लिपकार्ट मुंबई की ऑनलाइन फार्मेसी में डील करने वाली फार्मईजी से पार्टनरशिप करने के लिए बात कर रही है। खबर तो ये भी है कि फार्मईजी भी बेंगलुरू की मेडलाइफ का अधिग्रहण करने की योजना पर काम कर रही है। ऑनलाइन दवा बाजार में अभी बहुत नियम-कायदे तय नहीं हुए हैं, इसलिए कंपनियां इस सेगमेंट में अच्छा कारोबार मिलने की उम्मीद कर रही हैं। भारत में ई-फार्मा इंडस्ट्री करीब 1.2 अरब डॉलर (करीब 9 हजार करोड़ रुपये) का है और अगले पांच साल में इसके बढ़कर 16 अरब डॉलर (1.20 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

ई-कॉमर्स की शुरुआत 1960 के दशक से शुरू हुई थी। एक अंग्रेज इनोवेटर और व्यवसायी माइकल एल्ड्रिच ने कैशलेस दुनिया के बारे में बहुत पहले ही सोच लिया था। माइकल एल्ड्रिच ने 1979 में ऑनलाइन शॉपिंग इजाद की। उस वक्त ऑनलाइन शॉपिंग का अर्थ केवल ऑनलाइन पेमेंट करने से था। माइकल ने वीडियो टेक्स के जरिए दो तरफा संदेश भेजना शुरू किया जो उस समय व्यापार में क्रांतिकारी कदम था। यह विश्व में पहली बार था जब कोई 'बिजनेस टू बिजनेस' के बारे में सोच रहा था। 1981 में थॉमसन हॉलीडेज ने वीडोटेक्स के जरिए ही पहला ऑनलाइन ट्रांसैक्शन किया। 1982 में मिन्टेल नाम की सर्विस आई जो वीडियो टेक्स सुविधा फोन पर देती थी जैसे ट्रैन बुकिंग या स्टॉक रेट चेक करना। 1990 के दशक में ईबे और अमेजन के उदय से ई-कॉमर्स उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव आया। अब ग्राहक अपनी सुविधा के अनुसार वस्तुओं के ऑर्डर अपने घर पर बैठ कर दे सकते हैं और इसकी डिलिवरी उन्हें उनके घर पर ही मिल जाती हैं। यह उन लोगों के लिए सबसे अच्छा खरीदारी ऑप्शन है जो हमेशा व्यस्त होते हैं। ऑनलाइन ने दुनिया की हकीकत को बदलना शुरू कर दिया है। अब बाजार के मतलब में से 'जगह' का तत्व गायब होता जा रहा है। यानी विक्रेता और क्रेता के बीच खरीदारी के लिए किसी दुकान की जरूरत नहीं है। अब ऑनलाइन सामान और सेवाओं की सूची बनती है। ग्राहक अपनी जरूरत के हिसाब से सामान और सेवाओं को चुनता है, ऑर्डर करता है और ऑनलाइन ही भुगतान कर देता है। जैसे-जैसे लोग इंटरनेट के जाल में फंसते जा रहे हैं। ऑनलाइन कारोबार बढ़ता जा रहा है। भारत दुनिया के तीन सबसे तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन बाजारों में से एक है। 2013 में देश में ऑनलाइन खरीददारी का बाजार 88 फीसदी की जबर्दस्त वृद्धि के साथ 16 अरब डालर तक पहुंच गया था वहीं 2023 तक ऑनलाइन खरीददारी बढ़कर 56 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है।

भारत में बाजार बदल रहा है और इसके साथ ही बदल रहा है बाजार में खरीद-फरोख्त का तरीका भी। बड़े-बड़े स्टोर्स द्वारा त्यौहार के मौकों और वर्षांत पर 'सेल' अब तक आम थी। सेल के दौरान कम कीमत पर ब्रांडेड वस्तुएं खरीदने की ललक लोगों को बाजार में सेल की ओर खींचती थी। बड़े-बड़े स्टोर्स में सेल अब भी लगती है लेकिन यह अब सिर्फ त्यौहार व वर्षांत पर ही नहीं बल्कि अक्सर लगने लगी है। पर ऑनलाइन कारोबार या ई-कॉमर्स ने इन स्टोर्स के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। स्नैपडील, जाबोंग, माइंत्रा, एमेजोन, अलीबाबा, फ्लिपकार्ट और इनकी ही तरह अन्य बहुत सी ई-कॉमर्स वेबसाइट। अब आप कुछ भी कहीं से भी खरीद सकते हैं और वह भी घर बैठे-बैठे। समय नहीं है- स्टोर तक नहीं जा सकते हैं, कोई बात नहीं। अपना मोबाइल ऑन कीजिये ऑनलाइन स्टोर्स पर जाइए और ऑर्डर कीजिए अपनी आवश्यकता की कोई भी वस्तु। यहां किराना की वस्तुओं से लेकर कार और घर भी ऑनलाइन बिक रहे हैं।

ऑनलाइन कारोबार या ई-कॉमर्स ऐसा उद्यम है जो बाजार की दिशा और दशा को तेजी से बदल रहा है। यह बाजार फैलता है इंटरनेट और स्मार्टफोन के बूते और भारत में स्मार्टफोन के साथ इसका फैलाव भी तेजी से बढ़ रहा है। बड़े शहर तो बड़े शहर, छोटे शहर और कस्बों में भी लोग अब ऑनलाइन कारोबार से लाभ उठा रहे हैं। ऑनलाइन कारोबार का फायदा यह है कि ग्राहकों को एक ही साथ एक ही जगह मनपसंद ब्राण्डों की सभी वस्तुएं मिल जाती हैं और इसके लिए उनको अपने मोबाइल, लैपटाॅप या पीसी के जरिये अपने घर या ऑफिस में बैठे-बैठे ऑर्डर देना होता है। बस, कुछ ही समय में सामान उनके घर पहुंच जाता है। मोबाइल ने तो इस कारोबार को और भी आसान कर दिया है। आप चलते-फिरते-घूमते हुए भी खरीददारी कर सकते हैं।

एक खास बात जो ऑनलाइन बाजार की ओर ग्राहकों को ज्यादा खींच रही है, वह है खरीददारी पर मिलने वाला भारी डिस्काउंट। आप किसी दिन का अखबार देखें तो पूरे पेज के डिस्काउंट वाले अनेक विज्ञापन दिख जाएंगे। कंपनियां डिस्काउंट को किसी भी तरह मैनेज करती हो, पर लोगों के लिए तो यह पूरे फायदे का सौदा ही है। ऑनलाइन कारोबार का दूसरा फायदा यह है कि ग्राहकों को दूसरी साइट्स से कीमतों की तुलना करने का अवसर भी मिलता है। मसलन अगर आप फ्लिपकार्ट से कोई वस्तु खरीदना चाहते हैं तो मिनटों में ही आप यह भी जान सकते हैं कि स्नैपडील पर वही वस्तु किस कीमत पर उपलब्ध है या वहां इस पर कितना डिस्काउंट है। यह भी कि कौन सी साइट डिलिवरी मुफ्त और जल्दी करती है या किस साइट पर भुगतान के तरीके आसान हैं और कौन सी कंपनी खरीदी गई वस्तुओं की वापसी आसानी से और जल्दी करती है। ऑनलाइन खरीददारी के लिए आपको चाहिए सिर्फ एक स्मार्ट फोन, पीसी, लैपटॉप या टैब, और एक क्रेडिट कार्ड और अब तो कैश-ऑन-डिलिवरी का ऑप्शन भी उपलब्ध है- मतलब यह कि सामान मिलने के बाद उसकी कीमत चुकाएं।

(नाज़नींन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

epmty
epmty
Top