विलुप्त हो चुकी मोमबत्ती की बढ़ी डिमांड - दुकानदारों ने बढ़ाये रेट

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मुजफ्फरनगर। बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के बाद से अंधेरों में डूबे शहर से लेकर गांव तक में आज शाम से मोमबत्ती ढूंढी जा रही है।

दरअसल मोम के बीच में जवलनशील धागा डाल कर कभी मोमबत्ती बनाई जाती थी। शहर से लेकर गांव तक शाम से लेकर सोने तक मोमबत्ती का इस्तेमाल करना आम बात थी। धीरे-धीरे बिजली की आपूर्ति का टाइम बढ़ता गया और लगभग सभी घरों में इनवर्टर ने अपनी जगह बना ली। इस बीच मोमबत्ती केवल किसी पूजा आयोजन के लिए इस्तेमाल होने लगी, जिस वजह से मोमबत्ती बनाने वाली कंपनियों ने मोमबत्ती बनाना बहुत कम कर दिया और दुकानों पर भी मोमबत्ती लगभग मिलनी बंद हो गई लेकिन बिजली कर्मचारियों की 2 दिन से चल रही हड़ताल के बीच बत्ती गुल होने से इनवर्टर भी ठप हो गए हैं।

अब लोगों को आज शाम से फिर पुराने जमाने की मोमबत्ती याद आई लेकिन बहुत सी दुकानों पर मोमबत्ती उपलब्ध नहीं थी। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि जिन दुकानों पर मोमबत्ती उपलब्ध थी उन दुकानदारों ने ज्यादा रेट में मोमबत्ती बेचीं। शाम जैसे-जैसे रात में तब्दील होने लगी वैसे वैसे उन दुकानों पर भी मोमबत्ती खत्म हो गई, जिन पर उपलब्ध थी। बताया जाता है कि बहुत से बच्चे तो मोमबत्ती का नाम आने पर अपने परिजनों से पूछ रहे थे कि यह मोमबत्ती होती क्या है लेकिन बिजली कर्मचारियों की हड़ताल ने फिर से मोमबत्ती की याद दिला दी और लोगों को बहुत दिन बाद फिर से रोशनी के लिए फिर से मोमबत्ती पर निर्भर होना पड़ गया है।

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