दहशतगर्दी पर Global Community का दोहरा किरदार ?

दहशतगर्दी पर Global Community का दोहरा किरदार ?

नई दिल्ली भारत में आतंकी हमलों को क्रियान्वित करने वाले संगठनों को आर्थिक सहायता दे रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपमान झेलना पड़ा है। परन्तु पाक को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उसके प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाक संसद में उल्टे विश्व समुदाय पर आतंक के नाम पर पाकिस्तान को तिरस्कृत करने का आरोप लगा दिया।

ज्ञात हो वैश्विक संगठन फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स ने निर्णय किया है कि पाकिस्तान को फिलहाल ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा क्योंकि वह लश्कर.ए.तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को पहुंचने वाली फंडिंग पर नकेल नहीं कस पाया है। एफएटीएफ का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान को भारत अफगानिस्तान और श्रीलंका में आतंकी हमले करने वाले संगठनों की सुरक्षित पनाहगाह बताया है। एफएटीएफ का निर्णय पाकिस्तान के लिए झटका माना जा रहा है। परन्तु पाक को ब्लैक लिस्ट में न डालना वैश्विक समुदाय के आतंकवाद पर दोहरे रवैए को प्रदर्शित करता है।

स्मरण रहे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित एफएटीएफ के अधिवेशन की अध्यक्षता चीन के शियांगमिन लिऊ ने की थी। इस अधिवेशन में इस बात का निर्णय किया जाना था कि उसे ग्रे लिस्ट में रखा जाएगा या ब्लैक लिस्ट में डाला जाएगा। एफएटीएफ ने आतंकवाद को वित्तीय पोषण रोकने और मनी लॉन्डरिंग के खिलाफ कदम उठाने को लेकर 27 बिंदुओं का ऐक्शन प्लान बनाया था और इसका पालन नहीं करने पर ब्लैकलिस्ट में डाले जाने को लेकर वह आशंकित भी था। पाकिस्तान को पिछले साल अक्टूबर के बाद से दो बार यह विस्तार मिल चुका है। इस बार कोरोना वायरस महामारी का सन्दर्भ देते हुए एफएटीएफ ने उन सभी देशों को ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला किया जो पहले से इसमें शामिल थे। वहीं जो देश ब्लैक लिस्ट में थे वे भी उसी में रहेंगे। सभी देशों की टेरर फाइनैंसिंग और मनी लॉन्डरिंग की स्क्रूटिनी अक्टूबर 2020 तक जारी रखी जाएगी। यह आकलन भेदभावपूर्ण इसलिए लगता है क्योंकि कोरोना आपदा के चलते ग्रे लिस्ट वाले देशों को ब्लैक लिस्ट में नहीं रखा गया तो सहानुभूतिपूर्वक ब्लैक लिस्ट वाले देशों को ग्रे लिस्ट में कुछ समय के लिए रखा जा सकता था। यह तो साफ साफ खेमेबंदी का परिणाम कहा जा सकता है। चीन जिसने इस अधिवेशन की अध्यक्षता की, वह पाक का संरक्षक जैसा है। जबकि अमेरिका आतंकवाद पर कहता कुछ है, करता कुछ और है। पाक तो यह मानने को तैयार ही नही है कि वह आतंकवाद को बढ़ावा देता है। इसके विपरीत वह आतंकवाद से लड़ने वाले योद्धा की तरह अपने को प्रचारित कर रहा है, वैश्विक समुदाय से मान्यता देने व इनाम पाने का ख्वाहिशमंद है। एफएटीएफ पाक को आतंकवाद को पालने वाले देशों की ब्लैक लिस्ट में सब कुछ जानते हुए भी डालना नहीं चाहता है।

पाक की धूर्तता देखिए, पाक संसद में इमरान खान किस प्रकार वैश्विक समुदाय को चिढ़ा रहे हैं। एक वीडियो में इमरान खान कह रहे हैं, हमने आतंक के खिलाफ लड़ाई में उनका साथ दिया इसके बाद भी हमारे मुल्क को जिल्लत उठानी पड़ी। मैं नहीं समझता कि कोई भी देश जो आतंक के खिलाफ लड़ाई में साथ दे रहा हो उसे इस हद तक जिल्लत उठानी पड़े वह भी हमें बुरा भला कहें। अमेरिका के संदर्भ में इमरान ने कहा कि वह अफगानिस्तान में कामयाब न हों तो भी पाकिस्तान जिम्मेदार है।

इमरान ने कहा हम पाकिस्तानियों के लिए दो बेहद शर्मिंदगी वाली घटनाएं हुईं। एक तो अमेरिका ने आकर एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मार दियाए शहीद कर दिया, उसके बाद सारी दुनिया ने हमें गालियां दीं, हमें बुरा भला कहा हमारा ही सहयोगी हमारे ही मुल्क में किसी को आकर मार रहा है और हमें ही नहीं बता रहा, इमरान ने कहाए उनकी जंग के लिए 70 हजार लोग मर चुके हैं। जो भी पाकिस्तानी यहां से बाहर थे उन्हें इस कदर जिल्लत उठानी पड़ी पाकिस्तान में ड्रोन हमले हो रहे हैं, ये सब पाकिस्तान की पूर्व सरकार की इजाजत से हो रहा था। एफएटीएफ के वेबिनार से पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट आई थी। जिसमे विदेश मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर जनवरी 2018 में लगाई गई रोक 2019 में भी प्रभावी रही। उसने कहा, पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने और जैश-ए-मुहम्मद द्वारा पिछले साल फरवरी में जम्मू कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के काफिले पर किये गए आतंकी हमले के बाद बडे़ ़पैमाने पर हमले से भारत केंद्रित आतंकी संगठनों को रोकने के लिए 2019 में मामूली कदम उठाए।

आतंकवाद पर देश की संसदीय..अधिकार प्राप्त समिति की वार्षिक रिपोर्ट कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म-2019 के अनुसार पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण के तीन अलग मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को दोषी ठहराने समेत कुछ बाह्य केंद्रित समूहों के खिलाफ कार्रवाई की। रिपोर्ट के अनुसार फिर भी पाकिस्तान क्षेत्र में केंद्रित अन्य आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि वह अफगान तालिबान और संबद्ध हक्कानी नेटवर्क को अपनी जमीन से संचालन की इजाजत देता है जो अफगानिस्तान को निशाना बनाते हैं। इसी तरह वो भारत को निशाना बनाने वाले लश्कर-ए-तैयबा और उससे संबद्ध अग्रिम संगठनों और जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने देता है। इसका मतलब यह हुआ कि अमेरिका मानता है कि दिखावे के लिए पाक ने कार्रवाई का नाटक किया। रिपोर्ट के अनुसार उसने पाक अन्य ज्ञात आतंकवादियों जैसे जैश-ए-मुहम्मद के संस्थापक और संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित आतंकवादी मसूद अजहर और 2008 के मुंबई हमलों के प्रोजेक्ट मैनेजर साजिद मीर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जिनके बारे में माना जाता है कि वे पाकिस्तान में खुले घूम रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान और पाकिस्तान में यद्यपि अलकायदा का प्रभाव काफी हद तक कम हुआ है लेकिन संगठन के वैश्विक नेताओं और उससे संबद्ध भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा लगातार उन सुदूरवर्ती इलाकों से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं जो ऐतिहासिक रूप से उनके सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर काम करते रहे हैं।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की प्रशंसा

रिपोर्ट बताती है कि भारत ने 2019 में अपनी सीमाओं के भीतर आतंकवादी गतिविधियों का पता लगाने और रोकने के लिए निरंतर दबाव बनाया और इसकी सुरक्षा एजेंसियां खुफिया जानकारी और सूचना साझा करने में कुछ अंतराल के बावजूद आतंकवादी खतरों को बाधित करने में प्रभावी हैं।

विदेश विभाग द्वारा जारी वार्षिक आतंकवाद के बारे में अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में भारत ने जम्मू..कश्मीर और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में आतंकवादी हमलों का सामना किया। इसमें कहा गया है, भारत सरकार ने अपनी सीमाओं के भीतर आतंकवादी गतिविधियों का पता लगाने और बाधित करने के लिए निरंतर दबाव डालना जारी रखा। यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने आतंकवादी हमलों की निंदा करते हुए कई बयान दिये और अमेरिका और समान विचारधारा वाले कई अन्य देशों के साथ सहयोग कर आतंकवाद के दोषियों को कानून के कठघरे में लाया गया।

ऐसा लगता है कि वैश्विक समुदाय का आकलन है कि अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में हालांकि पाकिस्तान ने कुछ सकारात्मक योगदान किया है। जिसमें तालिबान को हिंसा कम करने के लिये प्रेरित करना शामिल है। पाकिस्तान ने एफएटीएफ के लिये जरूरी कार्ययोजना की दिशा में कुछ प्रगति की है जिससे वह काली सूची में डाले जाने से बच गया लेकिन 2019 में उसने कार्ययोजना के सभी बिंदुओं पर पूरी तरह अमल नहीं किया। ब्लूचिस्तान व भारत के कब्जाए गये क्षेत्रों के नागरिकों पर अमानुषिक अत्याचार करने वाला पाकिस्तान आतंकवादियों का सुरक्षित अभ्यारण्य बना हुआ है। परन्तु विश्व जगत इसका फन कुचलने में नाकामयाब साबित हो रहा है।


~ मानवेन्द्र नाथ पंकज (हिफी)

epmty
epmty
Top