हिंदी की अनिवार्यता पर नई शिक्षा नीति के मसौदे का विरोध

नई दिल्ली। देश में नई शिक्षा नीति के मसौदे के तहत त्रिभाषा फार्मूले को लेकर विवाद हो गया है। इस मसौदे में क्लास 8 तक हिंदी अनिवार्य किए जाने की सिफारिश की गई है। इस सिफारिश पर कर्नाटक, तमिलनाडु और बंगाल आदि कई गैर हिंदी भाषी राज्यांे ने विरोध किया हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा (तीन भाषा) की नीति का विरोध करते हुए कन्नड़ में ट्वीट किया और लिखा, ''मानव संसाधन मंत्रालय (एचआरडी) की ओर से जारी मसौदे को कल मैंने देखा जिसमें हिंदी थोपने की बात की गई है। तीन भाषा की नीति के नाम पर किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी जानी चाहिए। इसके बारे में हमलोग केंद्र सरकार को सूचित करेंगे।''
बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर लंबित मसौदा रिपोर्ट बीते शुक्रवार को सार्वजनिक की गई थी। के कस्तूरीरंगन समिति ने हाल में केंद्र सरकार को सौंपे अपने राष्ट्रीय शिक्षा नीति मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले को लागू करने का सुझाव दिया है। इसके खिलाफ तमिलनाडु में राजनैतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। इसके बाद कई राज्यों में विरोध की आवाज तेज हुई है। हालांकि केंद्र ने साफ किया कि त्रिभाषा फार्मूला एक सिफारिश मात्र है, कोई नीति नहीं।
जानकारों की मानें तो कस्तूरीरंगन समिति ने राज्यों को हिंदीभाषी और गैर हिंदीभाषी में बांटा है और सुझाव दिया है कि गैर हिंदीभाषी राज्यों में त्रिभाषा सिस्टम के तहत अंग्रेजी और राज्य की क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी पढ़ाई जानी चाहिए। समिति ने सुझाव दिया है कि हिंदीभाषी राज्यों में हिंदी और अंग्रेजी के साथ देश के अन्य हिस्सों की आधुनिक भारतीय भाषाओं में से किसी एक को पढ़ाया जाए। समिति ने यह साफ नहीं किया है कि आधुनिक भारतीय भाषा से उसका क्या अर्थ है। तमिल को केंद्र सरकार ने क्लासिकल भाषा का दर्जा दिया हुआ है।
इस मसौदे को लेकर उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को सभी से आग्रह किया कि वे जल्दबाजी में अपनी राय देने के बदले पूरी रिपोर्ट को पढ़ें। उन्होंने कहा कि हमें भाषा पर लड़ाई नहीं करनी चाहिए। एम. वेंकैया नायडू ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय एकता के लिए उत्तर भारतीयों को एक कोई दक्षिण की भाषा सीखनी चाहिए और दक्षिण भारतीयों को उत्तर भारत की कोई एक भाषा सीखनी चाहिए।