न्यूज रूम की बेरूखी महापंचायत में पत्रकारों को पड़ी भारी

न्यूज रूम की बेरूखी महापंचायत में पत्रकारों को पड़ी भारी

मुजफ्फरनगर। किसानों की रिकाॅर्ड तोड़ भीड़ के बीच महापंचायत की कवरेज करने के लिए बाहर से आये पत्रकारों पर न्यूज रूम की बेरूखी भारी पड़ी। अक्सर देखा जाता है कि न्यूज रूम से एंकर कुछ ऐसा बोल देते हैं, जो कि वास्तविकता से परे होता है। ऐसी न्यूज का असर फील्ड में कार्य करने वाले पत्रकारों को भुगतना पड़ता है। इसका ही जीता-जागता उदाहरण आज किसानों की महापंचायत में देखने को मिला।

चंद घंटों में ही टिकैत के आह्वान पर राजकीय इंटर काॅलेज के मैदान पर जो रिकाॅर्ड तोड़ी भीड़ जुटी, वह किसी भी दल की परिकल्पना से परे है। किसानों ने आज जिस प्रकार से अपनी एकता का परिचय देते हुए आंदोलन किया, उसने सभी रिकाॅर्ड तोड़ दिये हैं। महापंचायत की कवरेज करने के लिए दूर-दूर से इलैक्ट्रानिक चैनल के पत्रकार आये हुए थे। जाहिर सी बात है कि इतनी बड़ी महापंचायत होगी, तो कवरेज भी बड़ी ही होगी।

महापंचायत के दौरान आज जो हुआ, वह न्यूज रूम में बैठे एंकरों के लिए एक सबक तो है ही, साथ ही एक संदेश भी है। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को आज महापंचायत के दौरान जिस मुसीबत का सामना करना पड़ा, उसका जिम्मेदार कम से कम फील्ड में रहने वाले पत्रकारों को तो ठहराया नहीं जा सकता। महापंचायत के दौरान कुछ चैनलों को लेकर किसानों में रोष व्याप्त था। उक्त चैनलों के पत्रकार जैसे ही महापंचायत में बाईट लेने के लिए आये, तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। किसानों का कहना था कि जो आंदोलन में हुआ ही नहीं, उसे भी बड़ी-बड़ी सुर्खियां बनाकर चला दिया जाता है।

बात निकलकर यह सामने आती है कि सुर्खियां बटोरने के लिए न्यूज रूम में बैठे एंकर कभी-कभी बेसिर-पैर की बातों को भी उछाल देते हैं या फिर फील्ड की रिपोर्टिंग से अलग हटकर ही कुछ ऐसा चला देते हैं, जो वास्तविकता से अलग होता है। इसी का खामियाजा कुछ न्यूज चैनल के फील्ड में कार्य करने वाले पत्रकारों को भुगतना पड़ा। किसानों के आक्रोश को देखते हुए बाहर से आये पत्रकारों को अपनी आईडी छिपाकर बाईट लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।





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