सत्यदेव पचौरी ने 50 सर्वोत्कृष्ट रेशम कोया उत्पादकों एवं धागाकरण उद्यमियों को सम्मानित किया

सत्यदेव पचौरी ने 50 सर्वोत्कृष्ट रेशम कोया उत्पादकों एवं धागाकरण  उद्यमियों को सम्मानित किया

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक रेशम कोया (ककून) उत्पादित करने वाले कीटपालकों में प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने के उद्देश्य से ''पं0 दीन दयाल उपाध्याय रेशम उत्पादकता पुरस्कार वितरण'' कार्यक्रम का आयोजन यहां पर्यटन भवन में किया गया है। प्रदेश के रेशम मंत्री सत्यदेव पचौरी ने चयनित 50 सर्वोत्कृष्ट रेशम कोया उत्पादकों एवं धागाकरण उद्यमियों को 11 हजार रुपये, अंगवस्त्र एवं प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया। इससे पूर्व उन्होंने पर्यटन भवन में लगे 05 दिवसीय शिल्प एक्सपों का भी शुभारम्भ किया।
इस मौके पर सत्यदेव पचौरी ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले किसानों को हार्दिक बधाई देते हुए उनकी उन्मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने कहा रेशम उद्योग से जुड़े किसानों का किसी भी दशा में शोषण नहीं होने दिया जायेगा। किसानों के कोया उत्पाद का सही मूल्य मिले इसके लिए प्रदेश में जल्द ही धाना बनाने वाली इकाईयों की स्थापना कराई जायेगी। किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए हर सम्भव कदम उठाए जायेंगे। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्ग का उत्थान के लिए राज्य सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और पं0 दीन दयाल का सपना भी अन्त्योदय था। उन्होंने कहा कि जब अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को सशक्त नहीं बनता तब तक देश आगे नहीं बढ़ेगा।
सत्यदेव पचौरी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश विकास के नये आयाम हासिल कर रहा है। इसमें रेशम विभाग की भी अहम भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि अभी यहां के युवा दूसरे प्रदेशों में उद्यमिता का प्रशिक्षण लेने जाते हैं, शीघ्र यहा भी ट्रेनिंग इस्टीट्यूट खोले जायेंगे, ताकि युवाओं प्रशिक्षण के अन्य राज्यों में न जाना पड़े। इसके अलावा रेशम विभाग के 48 फार्म हाउसों को अत्याधुनिक बनाया जायेगा। जिससे किसानों की समस्याओं को त्वरित समाधान हो सके।
सत्यदेव पचौरी ने कहा कि सुदूर ग्रामीणवासी रोजगार के लिए शहर की ओर पलायन करते हैं। शहरों में उनका शोषण होता है। पलायन को रोकने के लिए राज्य सरकार ग्रामोद्योग को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजय योजना तथा विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के माध्यम से ग्रामवासियों को स्वारोजगार के लिए विशेष रियायती छूट के साथ ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इन योजनों के माध्यम से पुरातन उद्योगों से लोग विमुख नही होंगे। उन्होंने कहा कि खादी और हथकरघा को भी एक साथ जोड़ने पर विचार किया जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव, रेशम, मुकुल सिंघल ने बताया कि उत्तर प्रदेश में रेशम की खपत बहुत है। वाराणसी में रेशम की अत्यधिक मांग है। रेशम कोया (ककून) उत्पादित करने वाले कीटपालकों में प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने के उद्देश्य से रेशम का उत्पादन बढ़ेगा। पुरस्कार वितरण से क्रांति आयेगी और लोग इससे प्रेरित होकर अधिक से अधिक कोया उत्पादन करेंगे। उन्होंने बताया कि नई वस्त्रोद्योग नीति में रेशम विभाग के लिए अच्छे प्राविधान किये गये है। इससे किसानों को सीधा लाभ होगा।
कार्यक्रम के शहतूती क्षेत्र में 35 उद्यमियों को पुरस्कृत किया गया, इनमें निजी क्षेत्र के 14 तथा सरकारी सेक्टर के 21 लोगो को पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बहराइच के तीरथराम ने 276 कि0ग्रा0 कोया का उत्पादन करके प्रथम स्थान हासिल किया, वहीं बस्ती की श्रमती मंजू देवी ने 271 कि0ग्रा0 कोया उत्पादन के लिए द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया। इसी प्रकार सरकारी क्षेत्र के गोरखपुर निवासी श्री इन्द्रजीत ने 263 कि0ग्रा0 उत्पादन करके प्रथम स्थान हासिल किया। टसर क्षेत्र में 06, अरण्डी क्षेत्र में 07 कोया उत्पादक तथा धागाकरण क्षेत्र में 02 टसर उद्यमियों को भी पुरस्कृत किया गया।
इस मौके पर विशेष सचिव एवं निदेशक, रेशम, मदन पाल आर्य, केन्द्रीय रेशम बोर्ड के अधिकारीगणों के साथ 500 कोया उत्पादकों एवं धागाकरण उद्यमियों के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय रेशम वस्त्र निर्माता मौजूद थे।

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