चीन से अटूट रिश्ता बता रहा नेपाल

चीन से अटूट रिश्ता बता रहा नेपाल
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काठमांडू। नेपाल यह नहीं कह रहा कि भारत से उसके रिश्ते खराब हैं लेकिन चीन से अटूट रिश्ता बताता है। नेपाल की पिछले कुछ दिनों में चीन से करीबी बढ़ी है। दूसरी तरफ, भारत के साथ नेपाल का सीमा विवाद गहराता जा रहा है। भारत और चीन के बीच भी सीमा पर तनाव बढ़ने की वजह से नेपाल की भूमिका और भी अहम हो गई है। तमाम विश्लेषक इस बात को लेकर भी चिंता जाहिर कर रहे हैं कि नेपाल में चीन की बढ़ती मौजदूगी भारत की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। इन सबके बीच, चीन में नेपाल के राजदूत महेंद्र बहादुर पांडे ने गत दिनों चीनी मीडिया को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने चीन और नेपाल के रिश्तों को अटूट बताया है।

चीन में नेपाल के राजदूत महेंद्र पांडे ने कहा कि नेपाल और चीन अच्छे पड़ोसी देश हैं और अच्छे दोस्त भी। साल 1955 से ही दोनों देशों के कूटनीतिक संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा, चीन में नेपाल के नए राजदूत होने के नाते मेरी प्राथमिकता दोनों देशों के बीच हुए समझौते हैं।

पिछले साल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नेपाल का दौरा किया था जो बेहद सफल रहा। करीब 20 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने भी चीन का दौरा किया और कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इसलिए मेरी प्राथमिकता रहेगी कि इन समझौतों पर जल्द से जल्द से काम आगे बढ़ सके। पिछले साल हम बेल्ट ऐंड रोड परियोजना के तहत कई प्रोजेक्ट शुरू कर चुके हैं। ये प्रोजेक्ट शिक्षा, स्वास्थ्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण से संबंधित हैं। चीन में अपने कार्यकाल के दौरान मेरी प्राथमिकता में यही चीजें होंगी।

नेपाली राजूदत से सवाल किया गया कि कुछ विदेशी मीडिया में खासकर भारतीय मीडिया में कहा जा रहा है कि चीन और नेपाल की गहराती दोस्ती से सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं, नेपाली राजदूत ने कहा, ये तथ्यों पर आधारित नहीं है और पूर्वाग्रहों से ग्रसित है। ये डर की अभिव्यक्ति है। भारत एक उपनिवेश था जबकि नेपाल हमेशा से एक स्वतंत्र और संप्रभु देश रहा है। हम किसी भी विचारधारा या किसी भी शक्ति की तरफ झुके हुए नहीं हैं।

नेपाली राजदूत ने कहा, भारतीय मीडिया पूर्वाग्रहों से ग्रसित है या फिर गुमराह है इसीलिए वे इस तरह की फर्जी खबरें और प्रोपेगैंडा छाप रहे हैं लेकिन ये असलियत नहीं है। चीन और नेपाल का रिश्ता स्वाभाविक और दोस्ताना है। ये क्षेत्र का सवाल नहीं है बल्कि समझ और एक-दूसरे की मदद का है। चीन और भारत दोनों ही पड़ोसियों को एक-दूसरे को लेकर डरना नहीं चाहिए। इसके बजाय हमें हाथ मिलाना चाहिए और आपसी समझ विकसित करते हुए सहयोग बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।

चीन-भारत सीमा पर तनाव ने कश्मकश बढ़ा दी हैं? इस सवाल के जवाब में नेपाल के राजदूत महेंद्र पांडे ने कहा, कई बार ऐसा होता है। चीन और भारत दो पड़ोसी देश है। नेपाल और चीन भी पड़ोसी हैं। इसी तरह नेपाल और भारत भी पड़ोसी हैं। नेपाल और भारत के बीच कुछ भू-भाग में लंबे समय से चली आ रही समस्याएं हैं। राजदूत ने कहा, पहले हमें चीन के साथ भी कुछ समस्याएं थीं लेकिन हम तत्कालीन चीनी नेता माओ जेडोंग के साथ बैठे और बातचीत की। उस वक्त चीन के प्रधानमंत्री झाओ इनलाई थे। हमने उस वक्त एक समझौता किया और सीमा विवाद सुलझ गया। अब चीन के साथ हमारा कोई सीमा विवाद नहीं है। नेपाली राजदूत ने यह भी कहा, भारत ने हमारी कुछ जमीन पर कब्जा कर रखा है और 1962 में जब चीन और भारत के बीच युद्ध हुआ तो भारत की हार हुई और भारतीय सेना अस्थायी रूप से हमारी जमीन पर रह गई। हालांकि, बाद में भारत दावा करने लगा कि जमीन उनकी ही है। यही हमारी समस्या है। हम बातचीत करके सीमा विवाद सुलझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

नेपाल के राजदूत ने कहा, आधुनिक दुनिया में हर मुद्दा बुलेट और चिंता जाहिर करके नहीं सुलझाया जा सकता है। हम बातचीत करके इसे सुलझा सकते हैं। चाहे सीमा विवाद चीन और भारत के बीच हो या फिर नेपाल और भारत के बीच, इसे प्रोपेगैंडा में नहीं बदला जाना चाहिए। सीमा विवाद को ऐतिहासिक रिकॉर्ड और तथ्यों के आधार पर बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए। तभी हम किसी वैज्ञानिक नतीजे पर पहुंचे सकते हैं। सभी पक्षों को इन नतीजों का सम्मान करना चाहिए। नेपाली राजदूत ने कहा, हम भारत से कई बार अनुरोध कर चुके हैं लेकिन उस वक्त वे ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। बातचीत को लेकर भारत का रुख सकारात्मक हुआ है।

चीन और नेपाल के बीच व्यावहारिकता का आकलन करने के लिए स्टडी पहले ही शुरू हो चुकी है। महामारी की वजह से पिछले कुछ महीनों से काम की रफ्तार धीमी पड़ गई थी लेकिन कोरोना के नियंत्रण में आते ही काम फिर से तेज हो जाएगा। ये प्रोजेक्ट पूरा होने में पांच साल से ज्यादा का वक्त लग सकता है और इसके बाद लोग इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।

नेपाली राजदूत ने कोरोना वायरस की महामारी पर नियंत्रण के लिए चीन की नीतियों का समर्थन किया। उन्होंने कहा, मैं हमेशा कहता हूं कि चीन ने लोगों की आजादी के हक में ही कोरोना वायरस पर नियंत्रण किया। कुछ देश दावा करते हैं कि वे स्वतंत्रता के अधिकारों के चैंपियन हैं लेकिन अगर लोगों की जानें जा रही हैं तो फिर आप आजादी की बात नहीं कर सकते हैं। नागरिकों की स्वतंत्रता के नाम पर हजारों लोग इस महामारी में मारे गए। चीन के नेतृत्व ने लोगों की जान की कीमत समझी और चीन ने नेपाल की भी मदद की। राजनीतिक रूप से कहूं तो कुछ देश महामारी में सिर्फ अपने बारे में सोचने लगे लेकिन ये 21वीं सदी है। इस वक्त में बहुपक्षीय संबंध ही प्रासंगिक हैं।

नेपाल की सीमा चीन के स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत से लगती है। तिब्बत और नेपाल के बीच सहयोग को लेकर राजदूत महेंद्र पांडे ने कहा, तिब्बत चीन का हिस्सा है और तिब्बत-नेपाल जुड़े हुए हैं। हमारी लंबी सीमा है और हम वन चाइना पॉलिसी का मजबूती से समर्थन करते हैं। चाहे मकाऊ हो, हॉन्ग कॉन्ग या फिर ताइवान, चीन का हर हिस्सा उसका है। राजदूत ने आगे कहा, कुछ लोग जिन्होंने तिब्बत छोड़ा, अब भारत में रह रहे हैं। नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा होने की वजह से कई लोग इसका दुरुपयोग करते हैं और कुछ अराजक तत्व नेपाल में प्रवेश कर जाते हैं। ये लोग हमारे संबंधों को खराब करने की पूरी कोशिश करते हैं लेकिन हम इसकी इजाजत नहीं देते हैं। हम अपने दोस्तों के खिलाफ अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने दे सकते हैं।

नेपाली राजदूत से सवाल किया गया कि भारतीय मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि चीन और नेपाल के संबंध खराब हो रहे हैं। महामारी खत्म होने के बाद नेपाल-चीन के संबंध किस दिशा में जाएंगे? इस सवाल के जवाब में नेपाली राजदूत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि नेपाल और चीन के बीच रिश्ते अब अच्छे नहीं रह गए हैं, खासकर भारत में ऐसा ज्यादा देखा गया है। ये फर्जी प्रोपैगैंडा है। हमारे पास कोई वजह नहीं है कि हम चीन के साथ संबंध अच्छे न रखें। उन्होंने कहा, महामारी के बाद की दुनिया में बहुपक्षीय व्यवस्था ही प्रभावी होगी और सामूहिक कोशिशें बढ़ेंगी। इसलिए इस तरह के पूर्वाग्रह पीछे छूट जाएंगे। महामारी खत्म होने के बाद कई बदलाव आएंगे लेकिन हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। दोनों देशों की राजनीतिक व्यवस्था में बड़ा फर्क है लेकिन हमारे बीच कई समानताएं भी हैं। (हिफी)

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