अब जन्मदर बढ़ाने के लिए जापान ने खोला खजाना!

अब जन्मदर बढ़ाने के लिए जापान ने खोला खजाना!

जापान। भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने की मांग की जा रही है। सरकार भी परिवार नियोजन को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है । गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को पौष्टिक आहार प्रदान करने के लिए विविध योजनाएं चला रही है। इसके परिणामस्वरूप जहां एक ओर समाज का एक बड़ा समूह सन्तानोत्पत्ति से उदासीन होता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर आबादी को ही हथियार बनाते हुए समुदाय विशेष राष्ट्र की संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा बनता नजर आ रहा है। परिणामतः देश में जनसांख्यिक असंतुलन बढ़ता जा रहा है। इसके उलट एशिया के दो बड़े राष्ट्र चीन व जापान जनसंख्या में वृद्धि करने के लिए युगलों को भारी मात्रा में प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रहे हैं। ताजा घटनाक्रम में जापान में सरकार ने घर बसाने के इच्छुक जोड़ों को छह लाख येन अर्थात् लगभग 4.25 लाख रुपए तक की प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय किया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, जिससे लोग शादी कर जल्द बच्चे पैदा करें ताकि देश में तेजी से गिरती जा रही जन्मदर पर काबू पाया जा सके। इसके लिए सरकार अप्रैल से बड़े पैमाने पर पुरस्कार प्रदान करने का कार्यक्रम प्रारम्भ करने जा रही है।

बताया जाता है कि योजना में शामिल होने के लिए सरकार ने कुछ शर्तें रखी हैं। यथा-दम्पति की आयु 40 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए और दोनों की कुल आय 38 लाख रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसी तरह जिन युगल की उम्र 35 वर्ष से नीचे की होगी, उनकी कुल आय 33 लाख रुपए से अधिक न हो। उन्हें 2.11 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी।

ज्ञात हो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन एंड सोशल सिक्योरिटी रिसर्च ने 2015 में एक सर्वे किया था। जिससे यह तथ्य उभर कर सामने आया कि 25-34 साल के करीब 30 प्रतिशत अविवाहित लड़कों और 18 प्रतिशत अविवाहित लड़कियों ने शादी न करने के फैसले की वजह धन की कमी को बताया।

जापान में अनुमानत: 23.37 प्रतिशत लोग 50 की उम्र पार करने के बाद भी अविवाहित है। 14.06 प्रतिशत महिलाएं भी 50 के बाद भी विवाह की अनिच्छुक बताई जाती हैं। बताया जाता है कि जापान की 93 फीसदी आबादी शहरों में रहती है। एक या उससे ज्यादा बच्चों के लालन-पालन में बहुत मुश्किलें आती हैं। इसमें ऑफिस का तनाव भी एक प्रमुख कारण है। रहने के लिए छोटे घरों की वजह से लोग अकेले रह रहे हैं । टोक्यो के एनएनआई रिसर्च संस्थान के अनुमान के अनुसार 30,000 जापानी प्रति वर्ष अकेलेपन में के चलते दम तोड़ रहे है। हीरोआकी नाम के 54 वर्षीय बुजुर्ग की लाश 4 महीने तक कमरे में पड़ी रही।

एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि दम्पति बच्चे के जन्म पर ध्यान नहीं देते हैं, तो आगामी 20 वर्षों में, जापान की 35 प्रतिशत आबादी 80 वर्ष से अधिक उम्र की होगी। वर्ष 2025 तक, जापान में प्रत्येक 3 लोगों में से एक की आयु 65 वर्ष से अधिक होगी। कहा जाता है कि बढ़ती बुर्जुआ आबादी के चलते, देश पर कई नकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहे हैं । अकेलेपन से परेशान लोगों ने छोटे-मोटे अपराध करना शुरू कर दिया है जिससे वे जेल जा सकें।

उल्लेखनीय है कि जापान में जेल का वातावरण अच्छा है व कैदी की देखभाल अच्छी प्रकार से की जाती है। यह जापान की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बनता नजर आ रहा है। बताया जाता है कि यहाँ एक कैदी को 1 वर्ष तक जेल में रखने की लागत 20 लाख 80 हजार रुपये है। जो जापान में एक नागरिक के लिए सामाजिक कल्याण योजना पर वार्षिक खर्च का दोगुना है।साथ ही बढ़ते बुजुर्गों के कारण जापान पर पेंशन का दबाव बढ़ गया है। कामकाजी आबादी धीरे-धीरे कम हो रही है।

स्मरण रहे जापान की जनसंख्या लगभग 12.68 करोड़ है। विगत वर्ष जापान में सबसे कम 8 लाख 65 हजार बच्चों का जन्म हुआ। जन्म की तुलना में मृत्यु का आंकड़ा पांच लाख 12 हजार ज्यादा रहा। जो जन्म, मृत्यु के आंकड़ों में सबसे बड़ा अंतर है। जापान सरकार को विश्वास है कि इस वर्ष जन्मदर पिछले वर्ष के 1.42 प्रतिशत से कुछ अधिक 1.8 प्रतिशत रहेगी। जनसंख्या की दृष्टि से जापान दुनिया का सबसे बुजुर्ग देश है।

ध्यान रहे जापान के नागी नगर में सरकार के प्रोत्साहन प्रयासों से जन्म दर में अपेक्षाकृत बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। नागी शहर में यदि परिवार में पहला बच्चा पैदा होता है, तो सरकार की ओर से एक लाख येन (करीब 63 हजार रुपये) मिलते हैं। दूसरा बच्चा होने पर 1,50,000 येन (95,000 रुपये) और परिवार में पांचवां बच्चा आने पर तो 4 लाख येन (2.5 लाख रुपये) तक दिए जाते हैं। साथ ही सस्ते दाम पर घर, मुफ्त टीकाकरण, स्कूल दाखिले में छूट जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं। इन उपायों के चलते यह छोटा सा शहर जन्म दर को बढ़ोतरी देने में अन्य स्थानों से काफी आगे निकल गया है। बताया जाता है कि आप 2005 से 2014 के बीच इस शहर में एक महिला द्वारा अपने जीवनकाल में औसत बच्चे पैदा करने की दर 1.4 से बढ़कर 2.8 तक पहुंच गई। दो वर्ष पूर्व इस दर में थोड़ी गिरावट (2.39) आई है, लेकिन इसके बावजूद यह राष्ट्रीय दर 1.46 से काफी ज्यादा है। इस शहर की एक विशेषता यह भी बताई जााती है कि यहां लोग परिवार संग रहना पसंद करते हैं। 30 की उम्र से पहले ही विवाह कर परिवार बसाने के बाद वे माता-पिता के साथ ही रहना चाहते हैं। दादा-दादी के साथ होने से बच्चों की देखभाल की चिंता भी नहीं सताती। इसके अतिरिक्त महिलाओं के लिए यहां अंशकालिक नौकरी की भी व्यवस्था है। इस देश में 100 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, यदि जन्म दर की स्थिति यही रही तो यहां 2040 तक बुजुर्गों की आबादी 35 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगी। इस अंतर को पाटने के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर यह अभियान प्रारम्भ किया है। समीचीन होगा यदि भारत भी जनसांख्यिक असंतुलन को दूर करते हुए जापान के सामाजिक सरोकारों से सबक ले।

(मानवेन्द्र नाथ पंकज-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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